सूर्य प्रकाशन मंदिर बीकानेर से वर्ष 2025 में प्रकाशित पुस्तक “राजस्थानी कहानियाँ एक विवेचना” में समालोचक जितेन्द्र निर्मोही जी ने बत्तीस कहानीकारों के राजस्थानी कहानी संग्रहों को गहनता से विवेचित करते हुए समकालीन परिवेश में उनके महत्व को प्रतिपादित किया है।
आरम्भ में लेखक- समालोचक जितेन्द्र निर्मोही ने पूर्व पीठिका के अन्तर्गत राजस्थानी कहानी की परम्परा को विस्तार देते हुए मुख्य रूप से आलोचक डॉ. नीरज दइया और प्रो. कुंदन माली के वैचारिक भाव और उनकी आलोचनात्मक टिप्पणियों को उल्लेखित करते हुए विश्लेषण तो किया ही है साथ ही राजस्थानी कहानी जगत में सृजित कहानियों में होते रहे परिवर्तन को उजागर करने का प्रयास भी किया है जो लेखक की समकालीन राजस्थानी कहानी के सृजन सन्दर्भों पर प्रति दृष्टि को परिलक्षित करता है।
पूर्व पीठिका के पश्चात् लेखक ने क्रमशः जिन कहानीकारों को लिया है उनके कहानी सृजन को प्रमुखता से शीर्षित करते हुए उनकी कहानियों के बारे में सारगर्भित चर्चा की है।
पुस्तक में मुरली धर व्यास : अपने समय के युगीन बिम्ब रूपायित करती कहानियाँ , श्रीलाल नथमल जोशी : विषय वैविध्य कथ्य से भरी कहानियाँ ,अन्नाराम सुदामा : एक लम्बी यात्रा का कथाकार , ओम प्रकाश भाटिया : जैसलमेर की मिट्टी के अप्रतिम कथाकार , पूर्ण शर्मा पूरण : ज़िन्दगी को नजदीक से देखता रचनाकार , माधव नागदा : मेवाड़ कथा क्षेत्र का निलकंठी कथाकार , सावित्रि चौधरी : अपने समय की बानगी का अनुभव से प्रस्तुतिकरण ,संतोष चौधरी : अपनी कहानियों में नवाचार और समकाल का बोध ,नंद भारद्वाज : अपने समय की हरावल पीढ़ी के कथाकार , सत्यनारायण सोनी : नायको के रेखाचित्र रूपायित करते कथाकार ,बसंती पंवार : अपनी कहानियों में जोधपुरिया मटेट, किरण राजपुरोहित : अनूठे राजस्थानी शब्दों से रूपायित कहानियाँ ,अशोक जोशी “क्रांत” : राजस्थानी कथा जगत का प्रतिनिधि कथाकार, जेबा रशीद : विषय वैविध्य और नारी जीवन संघर्ष से भरी कहानियाँ , राजेंद्र शर्मा “मुसाफिर ” : अपने आस पास जमीन से जुड़ी संवेदनशील कहानियाँ, डॉ. कृष्ण कुमार आशु : अपने जीवन अनुभवों का सच सामने रखता कथाकार, मधु आचार्य आशावादी : अपनी कहानियों से समकाल को शिद्दत से सामने रखता कथाकार, कमला कमलेश : जिंदगानी होम करता कथा परिवेश, उम्मेद धनियां : अपनी कहानियों में ढलता दलित जीवन,कुमार अजय : वर्तमान परिवेश को उकेरती कहानियाँ , मेहर चंद धामू : ठेठ गंवई राजस्थानी के कथाकार, जितेन्द्र निर्मोही : राजस्थानी कहानियों में नवाचार और संस्कार, विजय जोशी : लोक संवेदनाओं के कथानक ,राजेंद्र जोशी : अपने आसपास की कहानियाँ, मदन गोपाल लढ़ा : कथा सन्दर्भों में नवाचार और नवशिल्प , राजू सारसर राज : दलित संघर्ष की कहानियाँ , ऋतु शर्मा : स्त्री संघर्ष की कहानियों का रचाव ,सांवर दइया : राजस्थानी कथा नवयुग के प्रणेता ,हरीश बी. शर्मा : अपनी कथाओं में नवल रंग भरते कथाकार , मनोहर सिंह राठौड़ : मरुधरा के सामाजिक एवं सांस्कृतिक रंग की कथाएँ , रीना मेनारिया : स्त्रैण मर्म को प्रकट करती कहानियाँ ,
करणीदान बारहठ : प्रेमचंद, फणीश्वरनाथ रेणु की परम्परा का कथाकार की कहानियां सम्मिलित हैं।
इन विवेचित कहानीकारों की कहानियों को विश्लेषित करते हुए समालोचक जितेन्द्र निर्मोही ने कथानक को उभारते हुए उसमें समाहित कहानी के उद्देश्य को तो उकेरा है साथ ही जहाँ – जहाँ पात्रों के संवाद अथवा कहानी के प्रमुख उल्लेखनीय अंश को समालोचित करना हो वहाँ – वहाँ मूल स्वरूप अर्थात् राजस्थानी में ही उद्धरित किया है। यही नहीं इन विवेचित कहानीकारों की कहानियों के बारे में जिन विद्वानों ने अपना मंतव्य किसी भी रूप में प्रकट किया है ; उसे भी लेखक ने प्रमुखता से सन्दर्भित करते हुए कहानियों की विशेषता और प्रासंगिकता को दर्शाया है।
लेखक : जितेंद्र निर्मोही
प्रकाशक : सूर्य मंदिर , बीकानेर
मूल्य : 350
संस्करण : 2025
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विजय जोशी,
कथाकार और समीक्षक, कोटा