चित्रनगरी संवाद मंच का माहौल ऐसा लग रहा था जैसे घर परिवार के सदस्य गपशप के लिए साथ बैठे हों। अपने विशिष्ट चुटीले अंदाज़ में संचालन करते हुए कवि सुभाष काबरा ने शुरुआत में ही वातावरण को इतना रसमय बना दिया कि हंसते मुस्कुराते, ठहाके लगाते कब दो घंटे गुज़र गए पता ही नहीं चला।
जाने माने कवि-व्यंग्यकार डॉ संजीव निगम की व्यंग्य रचना उनकी जीवनसंगिनी शशि निगम ने उन्हीं के अंदाज़ में पेश की और कुछ रोचक प्रसंग साझा किये। शशि जीने कहा- “संजीव थे” यह मैं कभी नहीं कह सकती। मैं कहती हूँ – “संजीव हैं” और मैं हमेशा उनकी मौजूदगी महसूस करती हूँ।
नवभारत टाइम्स में ‘खाली पीली’ स्तम्भ लिखने वाले सुप्रसिद्ध कवि व्यंगकार यज्ञ शर्मा के सुपुत्र उन्मेष शर्मा ने अपने पिताजी की मधुर स्मृतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने हमें शब्दों को बरतने का सलीक़ा सिखाया। उन्मेष ने बड़े सुरुचिपूर्ण तरीके से पिता यज्ञ शर्मा की व्यंग्य रचनाओं का पाठ किया। श्रोताओं की मांग पर उन्होंने बच्चों पर लिखी हुई यज्ञ जी की चर्चित कविता का भी पाठ किया।
रविवार 11 अगस्त 2024 को केशव गोरे स्मारक ट्रस्ट गोरेगांव मुम्बई के मृणालताई हाल में आयोजित चित्रनगरी संवाद मंच के इस कार्यक्रम में फरीदाबाद से पधारी शायरा मीनाक्षी जिजीविषा विशेष रूप से मौजूद थीं। उन्होंने कुछ चुनिंदा शेर और दो ख़ूबसूरत ग़ज़लें सुनाकर अपनी गहरी छाप छोड़ी।
‘धरोहर’ के अंतर्गत कवि राजेश ऋतुपर्ण ने कथाकार सूरज प्रकाश द्वारा अनूदित चार्ली चैपलिन की आत्मकथा का एक मार्मिक अंश पेश किया जिसकी श्रोताओं ने बहुत तारीफ़ की। कवि महेश दुबे ने समय और समाज के ज्वलंत सवालों पर एक महत्वपूर्ण व्यंग्य रचना का पाठ करके बेहतर संभावनाओं का संकेत दिया। शैली के साथ ही उनका कथ्य भी सराहनीय था। ठाणे से पधारे व्यंग्यकार महेश साहू के व्यंग्य लेख में ऐसी रोचकता थी कि श्रोताओं ने तालियां बजाकर उनकी हौसला अफ़ज़ाई की। कवि रमेश शर्मा के समसामयिक दोहों को श्रोताओं ने पसंद किया। संचालक सुभाष काबरा और संयोजक देवमणि पांडेय ने भी व्यंग्य रचनाओं का पाठ किया।
इस अवसर पर हॉल में कई मशहूर रचनाकार उपस्थित थे। इनमें मधु अरोड़ा, शशि शर्मा, विवेक अग्रवाल, मनजीत सिंह कोहली, नवीन चतुर्वेदी, उदयभानु सिंह, यशपाल सिंह यश, आर एस रावत, दमयंती शर्मा, अमर त्रिपाठी, सविता दत्त, अनीश मलिक, नुसरत खत्री, अफ़ज़ल खत्री, और क़मर हाजीपुरी का समावेश था।