Thursday, January 2, 2025
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शृंगार रस के कवि पण्डित राम नारायण चतुर्वेदी

पंडित राम नारायण चतुर्वेदी का जन्म बैसाख कृष्ण 12, संवत् 1944 विक्रमी को उत्तर प्रदेश के सन्त कबीर नगर के हैसर बाजार-धनघटा नगर पंचायत के ग्राम सभा मलौली में हुआ था। यह क्षेत्र इस समय वार्ड नंबर 6 में आता है। जो पूरे नगर पंचायत क्षेत्र के बीचोबीच स्थित है। यह एक प्रसिद्ध चौराहा भी है जो राम जानकी रोड पर है । इनके पिता पंडित कृष्ण सेवक चतुर्वेदी जी थे। यह बस्ती मण्डल का एक उच्च कोटि का कवि कुल घराना रहा है। पंडित कृष्ण सेवक चतुर्वेदी के छः पुत्र थे – प्रभाकर प्रसाद, भास्कर प्रसाद, हर नारायण, श्री नारायण, सूर्य नारायण और राम नारायण। इनमें भास्कर प्रसाद , श्री नारायण और राम नारायण उच्च कोटि के छंदकार हो चुके हैं। पंडित राम नारायण जी का रंग परिषद में भी बड़ा आदर और सम्मान हुआ करता था। घनाक्षरी और सवैया छंदों की दीक्षा उन्हें रंगपाल जी से मिली थी। वे भास्कर प्रसाद चतुर्वेदी श्री नारायण चतुर्वेदी और राम नारायण चतुर्वेदी के भाई थे। राम नारायण की शिक्षा घर पर ही हुई थी। इनके चार पुत्र बांके बिहारी, ब्रज बिहारी, वृन्दावन बिहारी और शारदा शरण थे। जिनमें ब्रज बिहारी ब्रजेश और शारदा शरण मौलिक अच्छे कवि रहे।

पंडित राम नारायण जी अंग्रेजी राज्य में असेसर (फौजदारी मामलों में जज / मजिस्ट्रेट को सलाह देने के लिए चुना गया व्यक्ति) के पद पर कार्य कर रहे थे। एक बार असेसर पद पर कार्य करते हुए उन्होंने ये छंद लिखा था जिस पर जज साहब बहुत खुश हुए थे –

दण्ड विना अपराधी बचें कोऊ,

दोष बड़ों न मनु स्मृति मानी।

दण्ड विना अपराध लहे कोऊ,

सो नृप को बड़ा दोष बखानी।

राम नारायण देत हैं राय,

असेसर हवै निर्भीक है बानी।

न्याय निधान सुजान सुने,

वह केस पुलिस की झूठी कहानी।।

ब्रज भाषा और शृंगार रस

कवि राम नारायण जी ब्रज भाषा के शृंगार रस के सिद्धस्थ कवि थे। सुदृढ़ पारिवारिक पृष्ठभूमि और रंगपाल जी का साहश्चर्य से उनमें काव्य कला की प्रतिभा खूब निखरी है। उनका अभीष्ट विषय राधा- कृष्ण के अलौकिक प्रेम को ही अंगीकार किया है। शृंगार की अनुपम छटा उन्मुक्त वातावरण में इस छंद में देखा जा सकता है। एक छंद द्रष्टव्य है –

कौन तू नवेली अलबेली है अकेली बाल,

फिरौ न सहेली संग है मतंग चलिया।

फूले मुख कंज मंजुता में मुख नैन कंज,

मानो सरकंज द्दव विराजे कंज कलिया।

करकंज कुचकंज कंजही चरण अरु

वरन सुकन्ज मंजु भूली कुंज अलियां।

तेरे तनु कंज पुंज मंजुल परागन के,

गंध ते निकुजन की महक उठी गालियां।।

घनाक्षरी का नाद-सौष्ठव

सुकवि राम नारायण की एक घनाक्षरी का नाद सौष्ठव इस छंद में देखा जा सकता है-

मंद मुस्काती मदमाती चली जाती कछु,

नूपुर बजाती पग झननि- झननि- झन ।

कर घट उर घट मुख ससीलट मंजु,

पटु का उडावै वायु सनन- सनन- सन।

आये श्याम बोले वाम बावरी तु बाबरी पै,

खोजत तुम्हें हैं हम बनन- बनन- बन।

पटग है झट गिरे घट-खट सीढ़िन पै,

शब्द भयो मंजु अति टनन-टनन- टन।।

वैद्यक शास्त्रज्ञ

सुकवि राम नारायण जी कविता के साथ साथ वैद्यक शास्त्र के भी ज्ञाता थे। उनके द्वारा रचित आवले की रसायन पर एक छंद इस प्रकार देखा जा सकता है –

एक प्रस्त आमले की गुठली निकल लीजै,

गूदा को सुखाय ताहि चूरन बनाइए।

वार एक बीस लाइ आमला सरस पुनि,

माटी के पात्र ढालि पुट करवाइए।

अन्त में सुखाद फेरि चुरन बनाई तासु,

सम सित घृत मधु असम मिलाइये।

चहत जवानी जो पै बहुरि बुढ़ापा माँहि,

दूध अनुपात सो रसायन को खाइये।।

ज्योतिष के मर्मज्ञ

सुकवि राम नारायण जी को कविता , वैद्यकशास्त्र के साथ साथ ज्योतिष पर भी पूरा कमांड था। उनके द्वारा रचित एक छंद नमूना स्वरूप देखा जा सकता है-

कर्क राशि चन्द्र गुरु लग्न में विराजमान,

रूप है अनूप काम कोटि को लजावती।

तुला के शनि सुख के समय बनवास दीन्हैं

रिपु राहु रावन से रिपुवो नसावाहि।

मकर के भौम नारि विरह कराये भूरि,

बुध शुक्र भाग्य धर्म भाग्य को बढ़ावहीं ।

मेष रवि राज योग रवि के समान तेज,

राम कवि राज जन्म पत्रिका प्रभावहीं।।

ब्रजभाषा की प्रधानता

इस परम्परागत कवि से तत्कालीन रईसी परम्परा में काव्य प्रेमी रीतिकालीन शृंगार रस की कविता को सुन-सुन कर आनंद लिया करते थे। कवि राम नारायण भोजपुरी क्षेत्र में जन्म लेने के बावजूद भी ब्रजभाषा में ही कविता किया करते थे। उनका रूप-सौंदर्य और नख-सिख वर्णन परंपरागत हुआ करता था। उन्होंने पर्याप्त छंद लिख रखें थे पर वे उसे संजो नहीं सके। कविवर ब्रजेश जी के अनुसार पंडित रामनारायण जी चैत कृष्ण नवमी सम्बत 2011 विक्रमी को अपना पंच भौतिक शरीर को छोड़े थे ।

बस्ती के छंदकार शोध ग्रन्थ के भाग 1 के पृष्ठ 122 से 126 पर स्मृतिशेष डॉक्टर मुनि लाल उपाध्याय ‘सरस’ जी ने पंडित राम नारायण जी के जीवन वृत्त और कविता कौशल पर विस्तार से चर्चा किया है।

लेखक परिचय

(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए सम-सामयिक विषयों, साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं। मोबाइल नंबर +91 8630778321, वर्डसैप्प नम्बर+ 91 9412300183)

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