भारत देश का संविधान दुनिया के सभी लिखित संविधानों में सबसे लंबा संविधान है। 140 करोड़ लोगों की आत्मा इसमें बस्ती है। किसी देश या संगठन का संविधान कानूनों की वह प्रणाली है जो औपचारिक रूप से लोगों के अधिकारों और कर्तव्यों को बताती है।
यह एक विस्तृत कानूनी दस्तावेज़ है। यह भारत की सर्वोच्च विधि है। इसमें विभिन्न राजनीतिक दर्शन, नागरिकों के मूल अधिकार, नागरिकों के मूल कर्तव्य, विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों का विभाजन, केंद्र सरकार और राज्य सरकार के मध्य विषयों का विभाजन इत्यादि प्रावधान शामिल हैं।
संविधान में एकल नागरिकता का प्रावधान है अर्थात भारत का नागरिक किसी भी अन्य देश का नागरिक नहीं हो सकता है। संविधान में मौलिक अधिकारों का प्रावधान है. जैसे कि, समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, संवैधानिक उपचार का अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार।
संविधान में धर्मनिरपेक्षता का प्रावधान है। संविधान में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का प्रावधान है। संविधान में आपातकालीन प्रावधान हैं। संविधान में त्रिस्तरीय सरकार का प्रावधान है। भारत दुनिया का सबसे विविध राष्ट्र है। पोशाक, भाषा शैली, देश अलग अलग सांस्कृतिक पहचान का सबसे जटिल मिश्रण में से एक माना जाता है। इस तरह के करीबी और सही तरीके से एक साथ बुनाई गई विभिन्न संस्कृतियों की बड़ी संख्या, भारत की विविधता को दुनिया के चमत्कारों में से एक बनाती है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।
जब हमारे संविधान की रचना हुई थी तब इसमें 395 अनुच्छेद या धाराएं थीं । मूल अनुच्छेद/धाराओं की संख्या संविधान में आज भी इतनी ही है । हालाँकि समय – समय पर होने वाले संशोधनों के कारण आज कुल अनुच्छेदों की संख्या 448 हो गई है, लेकिन ये मूल अनुच्छेद के ही विस्तार के रूप में स्थापित किये गये हैं । इसमें 12 अनुसूचियां , 105 संशोधन और 1,17,369 शब्द हैं।
डॉ.भीमराव अंबेडकर ने विश्व के महत्वपूर्ण 60 देशों के संविधानों का अध्ययन कर भारत का संविधान आज ही के दिन 26 नवंबर 1949 को तैयार किया था। जिस पर संविधान सभा के 284 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए। संविधान की आठवीं अनुसूची में निम्नलिखित 22 भाषाएँ शामिल हैं। मूल संविधान 2 साल, 11 महीने और 18 दिन में लिखा गया था।संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। संविधान पुस्तक की मूल प्रति भारत की संसद की लाइब्रेरी में एक विशेष हीलियम से भरे केस में रखी गई है।
संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदत मौलिक अधिकारों का उपयोग नागरिकों को इस प्रकार करना होगा कि उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, समानता , साहस्कृतिक, शैक्षणिक और धर्म निरपेक्षता के अधिकार भारत की संप्रभुता तथा एकता और अखंडता को बनाए रखने में सहायक हो।
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डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवं पत्रकार, कोटा