Tuesday, December 17, 2024
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सलिल प्रवाहः बाल साहित्य की ज्योति प्रज्ज्वलित रखने का अनूठा प्रयास

आज दोपहर में घर जा कर पूछा कोई डाक आई क्या ? पत्नी में मेज पर रखी एक किताब की तरफ इशारा कर कहां यह किताब आई है।
देखा और कवर हटाया तो सामने थी खूबसूरत पत्रिका सलिल प्रवाह। पत्रिका शीर्षक के नीचे था डॉ. विमला भंडारी का नाम। देश की विख्यात बाल साहित्यकार का नाम पढ़ते ही पत्रिका को अंदर से देखने की इच्छा तीव्र हो उठी। खड़े – खड़े ही पत्रिका के सभी पन्ने पलट डाले। साहित्यकार डॉ. शील कौशिक पर केंद्रीय आमुख पृष्ठ पर  15 वाँ राष्ट्रीय बाल साहित्यकार सम्मेलन 2024 की चित्रों की झलक नजर आ रही थी। पिछले आवरण पृष्ठ पर संस्था की गतिविधियों के रंगीन चित्र जीवन बांसुरी की धुन पर सजे थे। चौदह वर्ष शुरू किया गया यह छोटा सा प्रयास आज 15 वें अंक के रूप में किसी वट वृक्ष से कम नहीं है। इस तथ्य को प्रकाश तातेड ने वैचारिक विकास की शब्द यात्रा के अपने संपादकीय में बखूबी शब्दातीत किया है।
इंदौर मध्य प्रदेश के गोपाल माहेश्वरी के मंगलाचरण श्रीगणेश हुई पत्रिका किसी इंद्रधनुष से कम नहीं है। लेख, गीत, कविता, रिपोर्ट, समीक्षा, धरोहर, गौरव, साक्षात्कार, पुस्तक परिचय, बाल मंच और विविध इस इंद्रधनुष के सतरंगी रूप हैं। उदयपुर की साहित्यकार मंजु चतुर्वेदी ने पत्रिका के 2023 अंकों की समीक्षा की बानगी प्रस्तुत की है। डॉ. विमला भंडारी की यात्रा ” अमेरिका से मुलाकात” निबंध शैली में काफी रोचक है, जिसे किशनगढ़ के डॉ. सतीश कुमार ने प्रस्तुत किया है। इसी यात्रा वृतांत को अपने शब्दों में आगे तालेचर ओडिशा के दिनेश कुमार माली ने इसे अनमोल कृति बताया।  विमला भंडारी की कृति ” बच्चों के ज्ञानवर्धक आलेख” एवं ” मधुबन की सरस कहानियां” और मधु माहेश्वरी की कृति ” बेटी की अभिलाषा ” की समीक्षाएं बाल साहित्य की उम्दा कृति की और इशारा करती हैं। धरोहर में बाल साहित्य के अग्रणीय सृजक शंभुदयाल सक्सेना, हमारे गौरव में भोपाल के डॉ. विकास दवे पर जानकारी है।
साक्षात्कार में बहुआयामी लेखन के धनी डॉ. शील कौशिक और उनकी  बाल कहानी ” अछूता बचपन”, ” गिप्पी और लप्पी “, कविताएं ” मकड़ी छत से लटके और बादल भैया जम कर बरसे, उपन्यास “माया का रहस्यमय टीला” के अंश, एकांकी ” मैं हूं पिंक परी”, प्रेरक जीवनी ” गणित के जादूगर – श्रीनिवास रामानुजन “, रचनाओं से कौशिक के लेखन व्यक्तित्व को सामने लाते हुए उनके परिचय अवगत कराया है।
रंगीन 50 पृष्ठों में समाहित विविध  जानकारी के साथ   बाल साहित्य को समर्पित अत्यंत उपयोगी पत्रिका है। बाल साहित्य को बढ़ावा देने में संस्था और पत्रिका के प्रयास निसंदेह श्रमसाध्य और अनुकरणीय हैं। डॉ. विमला भंडारी जी को इस अथक प्रयास से बाल साहित्य की ज्योति प्रज्ज्वलित रखने के लिए कोटि कोटि आभार।
समीक्षक :
 डॉ. प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवं पत्रकार, कोटा

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