श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु की अध्यक्षता में 48 सदस्यीय राष्ट्रीय स्तरीय समिति का गठन किया गया, जिसमें सहकारी क्षेत्र के विशेषज्ञ, राष्ट्रीय/राज्य/जिला/प्राथमिक स्तर की सहकारी समितियों के प्रतिनिधि, सचिव (सहयोग) और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के आरसीएस, अधिकारी शामिल थे। नई राष्ट्रीय सहयोग नीति तैयार करने के लिए केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों से। इस संबंध में, राष्ट्रीय स्तर की समिति ने सुझाव/सिफारिशें प्राप्त करने के लिए देश भर में 17 बैठकें और 4 क्षेत्रीय कार्यशालाएं आयोजित कीं। राष्ट्रीय स्तर की समिति द्वारा तैयार की गई नई राष्ट्रीय सहयोग नीति पर मसौदा रिपोर्ट प्राप्त हो गई है। नीति का मसौदा तैयार हो चुका है और इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है।
राज्य स्तरीय सहकारी समितियाँ जो संबंधित राज्यों के सहकारी समिति अधिनियमों के तहत पंजीकृत हैं, राज्य सरकार के दायरे में आती हैं। सहकारिता मंत्रालय सहकारी संघवाद की भावना के साथ देश में सहकारी क्षेत्र के विकास के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रहा है।
सहकारिता मंत्रालय ने देश के हर जिले को एक व्यवहार्य जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (डीसीसीबी) और एक व्यवहार्य जिला दुग्ध उत्पादक संघ से जोड़ने की पहल की है। इस संबंध में, मंत्रालय ने नाबार्ड से सहकारी बैंकों के पूर्ण कवरेज के लिए कवर नहीं किए गए जिलों में नए डीसीसीबी खोलने के लिए एक योजना/कार्य योजना तैयार करने का अनुरोध किया है।
सरकार ने 15 फरवरी 2023 को को देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत करने और जमीनी स्तर तक इसकी पहुंच को गहरा करने की योजना को मंजूरी दे दी है। योजना में डेयरी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (डीआईडीएफ), डेयरी विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम सहित विभिन्न भारत सरकार की योजनाओं के अभिसरण के माध्यम से अगले पांच वर्षों में देश के सभी अछूते पंचायत/गांवों को कवर करने वाले नए बहुउद्देशीय पैक्स या प्राथमिक डेयरी/मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना की परिकल्पना की गई है।
नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति का मसौदा तैयार करने के लिए गठित राष्ट्रीय स्तर की समिति के अध्यक्ष श्री सुरेश प्रभु ने 5 जून 2023 को केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह को इसका विसतृत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया था।
प्रस्तुति के दौरान, समिति के सदस्यों ने केन्द्रीय सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह को मसौदा नीति के उद्देश्यों, विज़न और मिशन के साथ-साथ कई क्षेत्रों में मुख्य सिफारिशों के बारे में जानकारी दी।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के ‘सहकार से समृद्धि’ के विज़न को प्राप्त करने और नई नीति के माध्यम से जमीनी स्तर पर सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के बारे में समिति सदस्यों का मार्गदर्शन किया।
नई राष्ट्रीय सहकार नीति का मसौदा तैयार करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की समिति का गठन 02 सितंबर, 2022 को केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के नेतृत्व में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के “सहकार से समृद्धि” के विज़न को साकार करने के लिए एक नई राष्ट्रीय नीति तैयार करने के लिए किया गया था
प्रस्तुति के दौरान, समिति के सदस्यों ने केन्द्रीय सहकारिता मंत्री को मसौदा नीति के उद्देश्यों, विज़न और मिशन के साथ-साथ संरचनात्मक सुधारों और शासन, वायब्रेंट आर्थिक संस्थाओं के रूप में सहकारी समितियों, सहकारी समितियों के लिए समान अवसर, पूंजी के स्रोतों, प्राथमिकता वर्गों को शामिल करना, प्रौद्योगिकी का उपयोग, अपस्किलिंग और प्रशिक्षण, स्थिरता और कार्यान्वयन योजना सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रमुख सिफारिशों के बारे में जानकारी दी।
बैठक के दौरान, केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के ‘सहकार से समृद्धि’ के विज़न को प्राप्त करने और नई नीति के माध्यम से जमीनी स्तर पर सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के बारे में समिति सदस्यों का मार्गदर्शन किया।
समिति के अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री सुरेश प्रभु हैं और इसमें देशभर से 49 सदस्य चुने गए हैं जिनमें विभिन्न हितधारक जैसे राज्य सहकारिता विभागों, केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, के अधिकारी IRMA, RBI जैसे संस्थान, इफ्को, NCCF, NAFCARD, NAFCUB, KRIBHCO, NFCSF, NCUI, NAFED जैसे राष्ट्रीय महासंघ और विभिन्न क्षेत्रों में सहकारी समितियों के प्रतिनिधि, शिक्षाविद और विशेषज्ञ आदि शामिल थे।
12-13 अप्रैल, 2022 को आयोजित राज्य सहकारिता सचिवों / आरसीएस के सम्मेलन और 8-9 सितंबर, 2022 को आयोजित राज्य सहकारिता मंत्रियों के सम्मेलन, जिनका उद्घाटन केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह द्वारा किया गया था, के दौरान नई राष्ट्रीय सहकार नीति बनाने की अवधारणा पर चर्चा हुई थी और ये नीति बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। नीति के मसौदे के लिए विभिन्न हितधारकों और आम जनता से 500 से अधिक सुझाव प्राप्त हुए थे। राष्ट्रीय स्तर की समिति की इसके गठन के बाद 8 से अधिक बैठकें हो चुकी हैं और इसने मसौदा तैयार करने के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श भी किया है।
उल्लेखनीय है कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 8.5 लाख सहकारी समितियाँ हैं, जिनके सदस्यों की संख्या लगभग 29 करोड़ है। ये सहकारी समितियाँ कृषि प्रसंस्करण, डेयरी, मत्स्य पालन, आवास, बुनाई, ऋण और विपणन जैसी विभिन्न गतिविधियों में लगी हुई हैं।