Monday, May 20, 2024
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Monthly Archives: January, 2016

फेलोशिप करने आये थे,लीडरशिप में लगे रहे

हैदराबाद विश्विद्यालय के छात्र रोहित की आत्महत्या पर हिन्दू समाज को तोड़ने वाली राजनैतिक एवं राष्ट्रविरोधी साजिश को व्यक्त करती ताज़ी कविता

महंत राजा दिग्विजयदास के योगदान का महाविद्यालय ने किया कृतज्ञ स्मरण

उच्च शिक्षा के स्वप्नदृष्टा, दानवीर महंत राज दिग्विजयदास जी की पुण्य तिथि ( 22 जनवरी ) पर, शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में महाविद्यालय परिवार द्वारा उनका भावपूर्ण स्मरण किया गया और पुष्पांजलि अर्पित की गई।

काँटों के बीच नरेंद्र मोदी

हकीकत है कि भारत का कोई दूसरा प्रधानमंत्री इतना कांटों में नहीं रहा जितना नरेंद्र मोदी रहे। बचपन और प्रचारक जीवन की बात छोड़ें उसके बाद का कांटों का योग उनकी सत्ता से अधिक बना। गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के साथ से ही उनका सत्ता अनुभव ऐसा कांटों भरा बना कि उन्हें वे कांटे आज भी चुभते होंगे।

मानवता के बिल की कोई मशीन नहीं

केरल में एक रेस्टोरेंट में खाना खाने गए एक युवक को रेस्टोरेंट वालों ने अजीब बिल दिया, उन्होंने जब इस बिल को अपने फैसबुक पोस्ट पर डाला तो लोग रेस्टोरेंट वाले की और उस युवक की वाहवाही करने लगे

सड़क सुरक्षा- कदम उठाने का समय

परिवहन नेटवर्क का विस्‍तार वृद्धि के लिए पहली जरूरत है और शहरीकरण उसका लगभग निश्चित परिणाम है। इसलिए, अब जबकि भारत वृद्धि के पथ पर अग्रसर है, हमारे यहां शहरीकरण का बढ़ता स्‍तर और शहरों में जनसंख्‍या का भारी घनत्‍व है।

नई शिक्षा नीति में संस्कृत को स्कूलों में पढ़ाने का सुझाव

आरएसएस की शैक्षणिक शाखा विद्या भारती ने कहा है कि स्‍कूली शिक्षा में बच्‍चों को संस्‍कृत भी पढ़ाई जानी चाहिए ताकि भारतीय भाषाओं में विदेशी शब्‍दों की घुसपैठ रोकी जा सके।

महिला पत्रकारों के लिए चमेली देवी पुरस्कार

2015-16 को लेकर मीडिया फाउंडेशन ने चमेली देवी जैन अवॉर्ड के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं।

क्या हमारी संताने विदेशियों की सेवा के लिए है?

आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज का कहना है कि हमारे बच्चे प्रतिभाशाली हैं,उन्हें विदेश भेजना, देश से प्रतिभा का निर्यात करना है।

मैने स्टार वालों से कहा, ट्रांसपोंडर के लिए मैं दूंगा 5 मिलियन हर सालः सुभाष चंद्रा

ये एक देसी कारोबारी के खुद के दम पर सफल होने की गाथा है, जो 20 साल की उम्र में मात्र 17 रुपये लेकर दिल्ली आया था।

रोहित वेमुला के हत्यारे कौन ?

मुझे रोहित वेमुला से सहानुभूति नहीं है । यकीन मानिये रत्ती भर भी नहीं । क्यूंकि मेरा ह्रदय संघर्ष से विरत किसी डरपोक, भगोड़े के लिए द्रवित नहीं हो सकता ।
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