Monthly Archives: February, 2016
इन्कलाब कोई होने को है : चंद्रलेखा
चंद्रलेखा का प्रथम काव्य संग्रह “सन्नाटा बुनता है कौन” स्त्री विमर्श के उन पहलुओं को उजागर करता है जो आधुनिक चकाचौंध में धुन्दला गये हैं. आधी आबादी ने मानव विकास की मंजिलों में अनेकों कठिनाइयों का सामना करते हुए बहुत सी महिलायों ने ऊँचाईयों को छुआ जरुर है लेकिन आधी आबादी की कुछ समस्याएँ आज भी ज्यो की त्यों बनी हुई हैं .
जोधपुर प्रधान डाकघर में डाक निदेशक केके यादव ने ईबे इंडिया के लिए किया विशेष काउंटर का शुभारंभ
जोधपुर। डाक विभाग के व्यापक नेटवर्क एवं देश-विदेश में वितरण की सुविधा को देखते हुए तमाम ई-कामर्स कम्पनियाँ डाकघरों के माध्यम से अपने उत्पादों की बुकिंग और वितरण के लिए तत्पर हैं। ऐसे में डाकघर स्थानीय व्यवसायियों और ई-कामर्स कम्पनियों के मध्य एक बेहतर प्लेटफार्म के रूप में भी कार्य कर सकेंगें।
रवीश जी मैने आपको 41 मिनट सुना, मेरे 883 शब्दों को बस 5 मिनट पढ़ लीजिए
आप उन चैनलों से पूछते हैं कि अगर वीडियो फर्जी निकल गया तो क्या फिर से वह उतने ही घंटे चिल्ला चिल्लाकर प्रोग्राम चलाएँगे जितने कन्हैया के विरोध में चलाए गए—मै आपसे पूछती हूँ रवीश जी कि हेडली की गवाही के बाद ये सच सामने आने के बाद कि इशरत जहाँ फिदायीन थी आपने कितने घंटे अपनी कुटिल मुस्कान और मध्यम आवाज़ में Prime Times किए?
दिल्ली इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल और रबात इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ़ ओथेर सिनेमा, मोरक्को ने हाथ मिलाया
रबात/मोरक्को। आमतौर पर फिल्मों के निर्माण के लिए दो देशों के बीच मिलकर काम करने के करार किये जाते हैं लेकिन पहली बार दो देशों के दो शहरों के बड़े फिल्म समारोहों ने साथ मिलकर फिल्म समारोह आयोजित करने के लिए अनुबन्ध किया है.
‘अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान की व्यावहारिक परख’ का लोकार्पण संपन्न
‘’अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान की चर्चा पश्चिम में 1920 ई. के आसपास तब शुरू हुई जब एक देश के सैनिकों को शत्रु देश के सैनिकों की भाषा सीखने की आवश्यकता पड़ी.
श्रीलंका में दिल्ली इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ने रचा इतिहास
फेस्टिवल के दो महीने बाद केतन मेहता को श्रीलंका में दिया गया दिल्ली इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड.
बाबा रामदेव की पतंजलि ने शेअर बाजार के फार्मूलों को भी झुठलाया
स्टॉक मार्केट जब औंधे मुंह गिरता है तो निवेशक रक्षात्मक तरीके से इस बाजार में उतरते हैं और शेयर बाजार के कई नियम तो कहते हैं कि इन हालातों में उन कंपनियों का रुख करना चाहिए जो रोजाना इस्तेमाल में की जाने वाली वस्तुएं बनाती हैं क्योंकि इकॉनमी कितनी भी धीमे क्यों न हो लोग दांत साफ करना और कपड़े धोना नहीं छोड़ेंगे।
ये है प्रभुजी की ट्विटर की दुनिया, जो यात्रियों के लिए रामबाण सिध्द हो रही है
सोशल मीडिया का जादू पूरी दुनिया के सिर चढ़कर बोल रहा है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने ट्विटर को जादू की छड़ी बना रेल यात्रियों को मौका दिया है अपनी समस्याएं सीधे उन तक पहुंचाने का।
संपादक जी, सुजीत की खबर हटा लीजिए, अभी तो जेएनयू का मुद्दा गर्म रखिए
देश में हलचल हो या न हो, दिल्ली में हलचल है। वैसे तो जब भी दिल्ली में कोई हलचल होती है तो मै गांव फोन करता हूं, ये जानने के लिए कि क्या गांव में भी कुछ ऐसा है?
एक गिलास पानी से ज्यादा नहीं है किसी भी साम्राज्य की कीमत
सिकंदर एक फकीर से मिला और उसने फकीर से पूछा कि मैं संसार को जीतने निकला हूं मुझे आशीर्वाद दो।