Friday, May 17, 2024
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Monthly Archives: November, 2021

मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया में हिंदी के विश्वदूत डॉ. सुभाष शर्मा

राष्ट्र का अभिप्राय केवल एक भूमि का हिस्सा नहीं होता। राष्ट्र बनता है उस भूभाग पर रहने वाले लोगों द्वारा हजारों वर्षों से संचित ज्ञान-विज्ञान, धर्म-संस्कृति और जीवन-शैली। इनके बिना राष्ट्रीय एकता को बनाए रखना संभव नहीं।

अयोध्या और हिंदुत्व पर कांग्रेस हुई बेनकाब

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव जैसे -जैसे नजदीक आते जा रहे हैं वैसे वैसे राजनैतिक दलों की तैयारियां और उनके मन के कोने में छिपी घबराहट भी बाहर निकल कर सामने आ रही है। सभी विपक्षी दलों में प्रदेश के 18 प्रतिशत मुस्लिम वोट पाने के लिए दौड़ शुरू हो गयी है लेकिन कहीं न कहीं हिन्दुओं को रिझाने का प्रयास भी चल रहा है।

पर्यटन का मज़ा दुगुना कर देंगे ये रोमांचक खेल

भूमि आधारित पैरासेलिंग को प्रतियोगिता खेल में भी शामिल किया जाता है।

शहदः स्वास्थ्य और सौंदर्य का अमृत

शहद खाने के तरीके और लाभ : शहद पिछले 8000 सालों से हमारे भोजन और उपचार में प्रयोग हो रहा है।

तालिबान के उभार के बाद कश्मीर के हालात क्या होंगे

कश्मीर में सुरक्षा चुनौतियों के परिदृश्य बेहद तेज़ी से बदल रहे हैं. कुछ लोग इसे तालिबान की जीत का परिणाम बता रहे हैं जबकि दूसरों का मानना है कि यह ‘कश्मीर में 90 के दौर’ की पुनर्वापसी है लेकिन इन दोनों अध्यायों का सीधा कोई संपर्क अभी तक सामने नहीं आया है.

कार्तिक शुक्ल नवमी यानि आंवला नवमी – धार्मिक व आयुर्वेदिक महत्व

पंच दिवसीय दीपावली पर्व के बाद कार्तिक शुक्ल नवमी को आंवला नवमी का पर्व मनाया जाता है।

खूबसूरत जैन मंदिर ही नहीं पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र भी है महावीर जी

राजस्थान के करौली जिले के हिण्डौन उपखण्ड में गंभीर नदी के किनारे पश्चिम तट पर चांदन गांव में श्री महावीर जी जैनियों का महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल स्थित है।

कश्मीर त्रासदी का आइना: डॉ. कुंदन लाल चौधरी

डॉ. कुंदन लाल चौधरी की सभी पुस्तकें जिस में कश्मीरी समाज और राष्ट्रीय स्थिति का आकलन है,

अभी भाजपा का रास्ता आसान नहीं

कार्यकारिणी की बैठक से जो छन- छन कर आ रहा है वह पार्टी की भविष्य की दिशा का संकेत भी देता है।

मजदूरों की दशा और दिशा बदलने वाले महानायक दत्तोपंत ठेंगड़ी

आर्थिक क्षेत्र के संदर्भ में साम्यवाद एवं पूंजीवाद दोनों ही विचारधाराएं भौतिकवादी हैं और इन दोनों ही विचारधाराओं में आज तक श्रम एवं पूंजी के बीच सामंजस्य स्थापित नहीं हो पाया है।
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