मुंबई की अपनी सोसाइटी में , जिसमें दो बड़ी बड़ी टावर हैं , मैंने अपने नौजवान रहवासियों को एक लाइब्रेरी प्रारंभ करने का सुझावदिया जिसके लिए अपनी ओर से अपनी सारी पुस्तकों का संग्रह देने का ऑफर किया , प्रतिक्रिया अनपेक्षित थी , कहने लगे अब किताबेंपढ़ता ही कौन है ? मन में चुभन सी हुई , क्या सच में पढ़ने लिखने की आदत ख़त्म हो गई है . आज हर पाँच दुकानों में से एक मोबाइलकी है . गोरेगाँव की जनसंख्या कई लाख होने के वावज़ूद एक ढंग की किताबों की दुकान नहीं बची है जो पहले किताबों की दुकान रहीहोंगी आजकल खेल खिलौने बेच रहे हैं.
लेकिन आज जब मैं लन्दन के सबसे फ़ैशनेबल पिकडली इलाक़े में घूम रहा था , किताबों की दुकान हैचर्ड में जाने का अवसर मिला , इसे देख कर तबियत खुश हो गई . यहाँ पाँच तल में किताबों का विशाल संग्रह है . ख़ास बात यह कि किसी भी समय चले जाइए पढ़नेके शौक़ीन लोगों की ज़बरदस्त भीड़ रहती है. देख कर सुकून हुआ कि पढ़ने लिखने की आदतें अभी ख़त्म नहीं हुई है और लोग ख़रीद करकिताबें पढ़ रहे हैं .
हैचर्ड ब्रिटेन की सबसे पुरानी किताबों की दुकान है . 1797 में जॉन हैचर्ड ने इसकी स्थापना की थी , जॉन अपने जमाने के पुस्तकप्रकाशक और सामाजिक ऐक्टीविस्ट थे जिन्होंने दासता के ख़िलाफ़ भी काफ़ी काम किया था .
उनकी किताबों की यह दुकान खुलने के कुछ ही दिनों के भीतर ही लन्दन के भद्र-लोक में लोकप्रिय हो गई , यहाँ तक कि राज-परिवारके सदस्य भी इस दुकान में आने लगे और पुस्तकें ख़रीद कर ले जाने लगे . आज भी इसे शाही घराने की आधिकारिक किताबों कीदुकान का दर्जा हासिल है और शाही घराने के लोग अभी भी यहाँ आते रहते हैं .
ग्रेगोरियन काल से हैचर्ड 187, पिकडली परिसर से संचालित से संचालित हो रही है , जॉन की मृत्यु के बाद व्यवसाय की कमान उसकेबेटे थॉमस और बाद में नाती पोतों के हाथ में रही . 1956 में इस व्यवसाय को विलियम कॉलिन्स नाम के व्यापारी ने ख़रीद लिया , अबयह वॉटरस्टोन का हिस्सा है.
अब यह भी जान लीजिए कि ऐसी कौन सी बातें हैं जो इस दुकान को किताबों की अन्य दुकानों से अलग करती है :
विविध विषयों पर इतनी पुस्तकों का एक छत के नीचे मिलना मुश्किल है.
यहाँ का स्टाफ बहुत ही मित्रवत् है और किताबों के बारे में और उनके विषय वस्तु के बारे में बहुत अच्छी जानकारी है , आप किसी भी पुस्तक के बारे में पूछिए आपको पूरी जानकारी मिल जाएगी .
दुनिया भर के प्रमुख प्रकाशक रिलीज़ होते ही अपनी किताबें सबसे पहले यहाँ भेजना पसंद करते हैं , इसलिए नई पुस्तकों की भरमार रहती है.
बहुत सारी अप्राप्य और अलभ्य पुस्तकों की प्रतियाँ भी इस स्टोर में मिल जाएंगी।
किताबों की लाँच , लेखकों का आना जाना खूब लगा रहता है . कोई आश्चर्य नहीं कि जब आप स्टोर में हों आपका पसंदीदा लेखकआपको हैचर्ड में ही मिल जाए ।.
एशिया विशेषकर भारत पर यहाँ खूब किताबें मिल जाएँगी. हाँ, यहाँ एक बात ज़रूर अखरती है दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जानेवाली भाषाओं में से एक हिंदी की एक भी किताब नहीं है.।
(लेखक मुंबई में रहते हैं और दुनिया भर में घूमकर वहाँ की कला संस्कृति परंपराओं आदि से जुड़े विषयों पर नियमित लेखन करते हैं )