सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के एक अस्पताल और तीन डॉक्टरों को लापरवाही बरतने के आरोप में 6 करोड़ रुपए हर्जाना देने का आदेश दिया है। एसजे मुखोपाध्याय और वी गोपाला की बेंच ने कोलकाता स्थित एएमआरआई अस्पताल और उसके तीन डॉक्टरों को आठ सप्ताह में ये हर्जाना देने का आदेश दिया है।
दरअसल अस्पताल और उसके तीन डॉक्टरों पर आरोप है कि उन्होंने भारतीय मूल की यूएस बेस्ड महिला रिसर्चर अनुराधा साहा के इलाज में लापरवाही बरती थी। इस लापरवाही के चलते महिला की मौत हो गई।
अस्पताल की इस लापरवाही पर महिला के पति ने न्यायालय में अर्जी दायर की और सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पीड़ित परिवार को 6 करोड़ रुपए का मुआवजे का आदेश दिया।
क्या था पूरा मामला
ये मामला मार्च 1998 का जब एएमआरआई रिसर्चर और डॉ अनुराधा साहा गर्मियों की छुट्टी में अपने घर कोलकाता आई हुई थी।
इसी दौरान उन्हें अप्रैल में स्किन रैशिस की शिकायत हुई। अनुराधा इसके इलाज के लिए डॉ सुकुमार मुखर्जी से मिली। डॉ मुखर्जी ने अनुराधा को आराम की सलाह दी।
इसके बाद शिकायत बढ़ने पर डॉ सुकुमार ने 80 एमजी के दो डेपोमेड्रोल इंजेक्शन दिए। जिसे कोर्ट सुनवाई के दौरान बाद में विशेषज्ञों ने गलत कदम बताया। इंजेक्शन के बाद अनुराधा की हालत ज्यादा बिगड़ गई और उसे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल भर्ती कराया गया जहां अनुराधा साहा की मौत हो गई।
अनुराधा की मौत के बाद उनके पति कुनाल ने अस्पताल की लापरवाही के खिलाफ लड़ाई लड़ी। 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने अस्पताल की गलती मानते हुए केस को राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण आयोग में भेज दिया जहां मुआवजे की राशि 1.7 करोड़ तय की। इस राशि को नकारते हुए कुनाल ने 1998 से मुआवजे की रकम ब्याज के साथ 200 करोड़ करने की मांग की और सुप्रीम कोर्ट से फिर गुहार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने इस राशि को बढ़ा कर 5.96 करोड़ कर दिया।
कोर्ट ने डॉ बलराम प्रसाद और डॉ सुकुमार मुखर्जी को 10-10 लाख जुर्माना और डॉ वैद्यनाथ हल्दर को आठ सप्ताह में 5 लाख रुपए देने का आदेश दिया।
बाकी बची राशि को कोर्ट द्वारा ब्याज के साथ देने का आदेश दिया। पीड़ित महिला के पति ने अस्पताल और डॉक्टर की लापरवाही के खिलाफ 13 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी। लापरवाही के चलते मरने वाली महिला रिसर्चर अनुराधा खुद मनोवैज्ञानिक थी।