भाजपा ने सरदार पटेल को लेकर मचे विवाद को मंगलवार को और हवा दी। पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने पटेल को लेकर जवाहरलाल नेहरू पर गंभीर आरोप लगाया है।
आडवाणी ने एक किताब का हवाला देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अपने गृह मंत्री को 'साम्प्रदायिक' करार दिया था, जब उन्होंने आजादी के बाद सेना को हैदराबाद के लिए कूच करने को कहा था। हालिया ब्लॉग पोस्ट में आडवाणी ने एमकेके नायर की 'द स्टोरी ऑफ एन ऐरा विदआउट इल विल' का हवाला दिया है, जो हैदराबाद के खिलाफ 'पुलिस कार्रवाई' से पहले कैबिनेट बैठक में नेहरू और पटेल के बीच 'तकरार' की जानकारी देती है।
पाकिस्तान से जुड़ने की चाहत रखने वाले निजाम ने वहां की सरकार को खूब पैसा भिजवाया था। निजाम के अधिकारी स्थानीय लोगों पर अत्याचार कर रहे थे। किताब में लिखा है, "कैबिनेट बैठक में पटेल ने ये बातें बताईं और सेना को वहां भेजने की मांग की, ताकि हैदराबाद में जारी आतंकी गतिविधियां रुक सकें। आम तौर पर संयम और शांति का परिचय देने वाले नेहरू ने इस मौके पर अपना संयत रवैया छोड़कर पटेल से कहा कि आप पूरी तरह साम्प्रदायिक हैं। मैं आपकी मांग नहीं मान सकता।"
नायर की किताब के हवाले से आडवाणी ने लिखा है, "पटेल पर कोई असर नहीं हुआ, लेकिन वह दस्तावेजों के साथ कमरे से बाहर चले गए।" भाजपा बीते कुछ दिनों से सरदार पटेल को हिंदुत्व विचारधारा के करीब वाले नेता के रूप में पेश करने की कोशिशों में लगी है।
भाजपा का यह आरोप भी है कि सरदार पटेल के सहयोग को कांग्रेस ने कभी स्वीकार नहीं किया और केवल नेहरू-गांधी परिवार का नाम जपा। अपने ब्लॉग में आडवाणी ने लिखा है कि तत्कालीन गवर्नर जनरल राजाजी ने हैदराबाद में सेना भेजने का फैसला किया।