सलामती की दुआ मै करती रहूँगी
तुम्हारी कलाइयों में रक्षा की राखी,
बरस दर बरस मैं बाँधती रहूँगी,
दिल में उमंगे और चेहरे पर खुँशियाँ,
हर एक पल मै सजाती रहूँगी,
कभी तुम न तन्हा स्वयं को समझना,
कदम से कदम मैं मिलाती रहूँगी,
तुम हर इक दिन आगे बढ़ते ही रहना,
सलामती की दुआ मै करती रहूँगी ।
खुदा ने हम दोनों का ये रिश्ता बनाया,
शुक्रिया उसको अदा करती रहूँगी,
लम्बी उमर दे और रण में विजय दे,
हमेशा ये कामना करती रहूँगी,
जन्म दर जन्म हम मिले साथ साथ,
भइया मै बहना बनती रहूँगी,
जीवन में नेंकी हरदम करते रहो तुम,
सलामती की दुआ मै करती रहूँगी ।
हर एक दिन इतिहास रचते ही जाना,
प्रेम की स्याही से मै लिखती रहूँगी,
समय भी गवाही ये देगा सदा ही,
रिस्ते की मिशाल मै बुनती रहूँगी,
अपनों के संग रक्षाबन्धन की खुँशियाँ,
राखी बाँधकर मनाती रहूँगी,
भइया अपना प्यार हमेशा देते ही रहना,
सलामती की दुआ मै करती रहूँगी ।
लेखिका परिचय –
“अन्तू, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश की निवासिनी शालिनी तिवारी स्वतंत्र लेखिका हैं । पानी, प्रकृति एवं समसामयिक मसलों पर स्वतंत्र लेखन के साथ साथ वर्षो से मूल्यपरक शिक्षा हेतु विशेष अभियान का संचालन भी करती है । लेखिका द्वारा समाज के अन्तिम जन के बेहतरीकरण एवं जन जागरूकता के लिए हर सम्भव प्रयास सतत् जारी है ।”
सम्पर्क – shalinitiwari1129@gmail.com