भारत में अधिकांश लोग हिंदी को ही राष्ट्रभाषा मानते हैं, क्योंकि देश की सर्वाधिक जनसंख्या हिंदी समझती है और बोलती है। लेकिन यह एक सत्य है कि हिंदी इस देश की राष्ट्रभाषा नहीं है और इसी संदर्भ में मुंबई के हिंदी वेलफेयर ट्रस्ट की ओर से पूरे भारत में हिंदी को राष्ट्रभाषा दर्जा दिलाने के लिए भारतीय पत्रकारों का एक अभियान में चलाया जा रहा है। इस कड़ी में मुंबई, कोलकाता, भोपाल, लखनऊ, नागपुर, जलगांव, गौवहाटी,चैन्नई,मंगलूरु आदि के साथ दिल्ली में हिंदी साहित्य सम्मेलन के सहयोग से पत्रकारों का हिंदी भवन ,नई दिल्ली में एक परिचर्चा सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें डॉ.वेद प्रकाश वैदिक, प्रो. रवि शर्मा, विजय जैन, न्यायविद पन्ना लाल जैन, गोविंद ब्यास आदी ने परिचर्चा को संबोधित किया।
अपने संबोधन में डॉ. वैदिक ने कहा कि आज हिंदी के करोड़ो बोलने वाले है पर नेताओं द्वारा उपेक्षा के कारण इसे राष्ट्रभाषा नहीं बनाया जा सका। वही महेशचंद्र शर्मा ने कहा कि दृढ़ इच्छा शक्ति की कमी है जब तक इच्छा शक्ति नही होगी तब तक इसे राष्ट्रभाषा नही बनाया जा सकता है। उन्होंने तुर्की की कहानी भी बताई।
न्याविद पन्ना लाल जैन ने संवैधानिक स्थिति के तहत कहा कि इसे हर राज्य के विधान सभा से पारित होने के बाद ही इसे राष्ट्रभाषा बनाया जा सकता है। वहीं हिंदी वेल फेयर ट्रस्ट के संचालक एवं आयोजक विजय जैन ने कहा कि हम देश के विभिन्न क्षेत्रों में इसका अलख जगाना चाहते है पत्रकारो के माध्यम से ताकि जन –जन में ये वात पहूंचे की देश की राष्ट्र की एक भाषा होनी चाहिये फिर उसे संसद तक आसानी से पहुंचाया जा सकता है।उहोने ये भी कहा कि 10 जनवरी 2017 को विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर मुंबई से दिल्ली तक एक रेल द्वारा जन जागरण यात्रा निकाला जाएगा।
इस अवसर पर हिंदी के विभिन्न पत्रकारों और हिंदी सेवियों जिनमें विनय कंसल, जगदीश शर्मा, चन्द्र मोहन आदी को गोविंद ब्यास विजय जैन और महेश चंद्र शर्मा द्वारा शाल ओढ़ाकर व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर लाल बिहारी लाल सहित कई पत्रकार और साहित्यकार भी मौजूद थे।