अपराध नियंत्रण में अहम भूमिका निभा सकता है सामाजिक माध्यम
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में ‘कानून व्यवस्था के लिए सोशल मीडिया’ विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का समापन
भोपाल। सोशल मीडिया की पूरी क्षमता का पुलिस विभाग को उपयोग करना चाहिए। यह सिर्फ कॉरपोरेट संचार को बढ़ाने का साधन भर नहीं है, बल्कि इसके माध्यम से अपराध नियंत्रण, सूचना एकत्रिकरण, जाँच और कानून व्यवस्था बनाने और सामुदायिक पुलिसिंग भी की जा सकती है। इसके माध्यम से कम कीमत में मानव संसाधन जुटाया जा सकता है। यह विचार सीबीआई के पूर्व निदेशक पद्मश्री डीआर कार्तिकेयन ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में ‘कानून व्यवस्था के लिए सोशल मीडिया’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के समापन समारोह में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता एवं संचार के क्षेत्र में यह सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय है। देश-दुनिया में इसकी विशिष्ट पहचान है।
श्री कार्तिकेयन ने कहा कि सामाजिक माध्यम एवं डिजिटल प्लेटफॉर्म निजी और सार्वजनिक क्षेत्र को बदल रहे हैं। पुलिस में नेतृत्व करने वालों को भी सोशल मीडिया का साथ लेना चाहिए और पुलिसिंग को अपडेट करने में इसका उपयोग करना चाहिए। इसके माध्यम से सबूत एकत्र करना, संभावित आरोपियों के संबंध में जानकारी और अपराधियों के नेटवर्क पर नजर रखी जा सकती है। सोशल मीडिया के महत्त्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि यह जीवन का हिस्सा बन गया है। प्रत्येक चार में से एक व्यक्ति सामाजिक माध्यम पर उपस्थित है। यह माध्यम सामान्य व्यक्ति को अपनी बात रखने का अवसर दे रहा है। साइबर कानून पर चर्चा करते उन्होंने कहा कि यह पर्याप्त नहीं है, इसे और अपडेट करने की जरूरत है। भारत में सोशल मीडिया का दुरुपयोग अभी प्रारंभिक स्तर पर है, इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह और अधिक बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि साइबर कानून के उल्लंघन में जो कार्रवाई हो रही हैं, उसे लोगों को बताना चाहिए ताकि यह संदेश जा सके कि सोशल मीडिया खुला मंच नहीं है। इस माध्यम का उपयोग करते समय कानून का ध्यान रखना ही चाहिए।
राजीव गाँधी हत्या मामले में जाँच के लिए अमेरिका भेजा था कम्प्यूटर : श्री कार्तिकेयन ने बताया कि राजीव गाँधी हत्या के मामले में एक आरोपी ने कम्प्यूटर को नुकसान पहुँचा दिया था। उस समय भारत में डेमेज कम्प्यूटर से सूचनाएं निकालने की व्यवस्था नहीं थी। इसलिए सूचनाएं प्राप्त करने के लिए एक आईपीएस अधिकारी उस कम्प्यूटर को लेकर अमेरिका गए थे। लेकिन, वहां भी डाटा नहीं निकाला जा सका। जबकि आज देश में ही इस प्रकार की सुविधा उपलब्ध हो गयी है।
नवाचार ही दिखाएगा रास्ता : समापन सत्र की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि जो नवाचार करता है वह देश को ही नहीं, बल्कि दुनिया को रास्ता दिखाता है। मध्यप्रदेश की पुलिस के पास एक अवसर है कि वह कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सोशल मीडिया के उपयोग की एक रचना करके सबके सामने प्रस्तुत करे। उन्होंने बताया कि इस संबंध में प्रशासनिक स्तर पर प्रयास होंगे ही, व्यक्तिगत स्तर पर भी इस तकनीक का उपयोग करके पुलिस अधिकारी बेहतर कार्य कर सकते हैं। प्रो. कुठियाला ने बताया कि एक लेखक ने अपनी पुस्तक में चरखा और इंटरनेट में समानताएं बताते हुए लिखा है कि जिस प्रकार महात्मा गाँधी ने एक चरखे से क्रांति का सूत्रपात किया, ठीक उसी प्रकार इंटरनेट भी बदलाव का वाहक बनेगा। इस अवसर पर एडीजी (पुलिस सुधार) मैथलीशरण गुप्त ने कहा कि पुलिस सुधार को लेकर सोशल मीडिया के जरिए प्रयास करने की जरूरत है। नवीन मीडिया तकनीकी विभाग की अध्यक्ष एवं कार्यशाला की समन्वयक डॉ. पी. शशिकला ने कार्यशाला की रिपोर्ट प्रस्तुत की और दो दिन में आए सुझाव व अनुशंसाओं को भी प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन जनसंचार विभाग के अध्यक्ष संजय द्विवेदी ने किया।
साइबर सेना बनाने की आवश्यकता : सामाजिक माध्यम के कारण कानून व्यवस्था की समस्याओं पर चर्चा के दौरान वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक विवेक अग्रवाल ने कहा कि इस नये माध्यम पर नग्नता और अश्लीलता बड़ी समस्या है। सामाजिक माध्यम से लड़कियों चित्र चोरी करके उनका दुरुपयोग किया जा रहा है। धोखाधड़ी और ठगी के कई केस हमारे सामने आते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए साइबर सेना की आवश्यकता है। आम आदमी पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता सुश्री नेहा बग्गा ने कहा कि साइबर कानून के प्रति जन जागरूकता नहीं है। अनेक उदाहरणों के जरिए उन्होंने यह भी बताया कि अनेक समस्याओं का हल भी सामाजिक माध्यमों के जरिए किया जा रहा है। इस सत्र की अध्यक्षता कर रहे आईपीएस अधिकारी योगेश चौधरी ने देश में सोशल मीडिया का उपयोग बड़े स्तर पर किया जा रहा है। अनेक लोग इन सामाजिक माध्यमों से जुड़ गए हैं, लेकिन अभी इनके उपयोग के लिए वांछित परिपक्वता समाज में विकसित नहीं हुई है। श्री चौधरी ने बताया कि मध्यप्रदेश के सभी पुलिस थाने अपडेट हैं।
इस सत्र का संचालन लेडी श्रीराम कॉलेज, नईदिल्ली की प्राध्यापक डॉ. रचना शर्मा ने किया। वहीं, केस अध्ययन एवं चर्चा विषय पर मैसूर विश्वविद्यालय की डॉ. सपना एमएस ने बताया कि कर्नाटक पुलिस द्वारा सोशल मीडिया का किस प्रकार सफलतापूर्वक उपयोग कर रही है। मैसूर पुलिस ने सोशल मीडिया के जरिए न केवल अपराध पर नियंत्रण पाने में सफलता पाई है, बल्कि अपनी छवि भी सुधारी है। बीएसएनएल के वरिष्ठ डीजीएम महेश शुक्ला ने सोशल मीडिया के कारण जम्मू-कश्मीर में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर प्रकाश डाला। चंडीगढ़ से आए वरिष्ठ फोटोग्राफर प्रदीप तिवारी ने बताया कि चंडीगढ़ पुलिस किस प्रकार सोशल मीडिया का उपयोग कर रही है। वहीं, वरिष्ठ पत्रकार शिव हर्ष सुहालका ने सोशल मीडिया की निगरानी करने की बात कही। वरिष्ठ पत्रकार सरमन नगेले ने सरकार द्वारा सोशल मीडियो को प्रोत्साहित करने वाली नीतियों की जानकारी दी। इस अवसर पर अपनी बात रखते हुए आईपीएस अधिकारी पवन जैन ने कहा कि सामथ्र्यवान के खिलाफ निरीह का हथियार है सोशल मीडिया। उन्होंने कहा कि आजादी के पूर्व पत्रकारिता मिशन थी, फिर प्रोफेशन हो गई, मालिका का सीधा हित जुडऩे से कमीशन हो गई और अब सोशल मीडिया के आने से इसे सूचना जगत हथियार (वीपन) के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। इस सत्र का संचालन निदेशक प्रोडक्शन आशीष जोशी ने किया।