मशहूर लेखक, आलोचक और पुअर क्रिश्चियन लिबरेशन मूवमेंट के वरिष्ठ सहयाेगी पी बी लाेमियाें का झांसी के रेलवे असपताल में निधन हो गया। लाेमियाें ने देश के लिए अपने लेखों की स्मृतियां और सुन्दर यादें छोड़ी हैं । उन्होंने समाृट अशाेक के समारक पर खास कहानियां भी लिखी।
लाेमियाें ने चर्च के रूढ़िवाद पर प्रहार करते हुए बहुत सारे आलोचनात्मक लेख लिखे, जो अब स्मृति में रह जाएंगे। 2 दिसमबर 1995 काे दैनिक भास्कर में चर्च के रूढ़िवाद पर तीखा हमला करते हुए “मदर टेरेसा के आंसू” नाम से एक बड़ा लेख लिखा, जिसकी गूंज दूर तक सुनाई दी। अगर व्यक्ति वंचिताें की लड़ाई और उनके साथ न्याय को अपने जीवन का ध्येय बना ले, तो उसमें जनहित और समाज के लिए जीने का भाव कितना अधिक होगा। ये लाेमियाें के जीवन से सहज ही समझा जा सकता है। वे जब तक सक्रीय रहे, हमेशा ही शोषितों, वंचितों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहे।
चर्च के रूढ़िवाद और भेदभाव के खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई और दो पुस्तकों काे लिखा। चर्च के साम्राज्यवादी रैवये पर किए गए प्रहार से चर्च व्यवस्था में तहलका मच गया था। उनकी पहली पुस्तक “बुधिया एक सत्य कथा” चर्च में दलित र्इसाइयों के शोषण का आर्इना है। अपनी दूसरी पुस्तक ‘‘ ऊँटेश्वरी माता का महंत” में ईसाई समाज के अंदर चर्च की कार्यशैली पर कई गंभीर सवाल उठाये है।
“ऊँटेश्वरी माता का महंत” र्शीषक से लिखी गई यह पुस्तक एक येसु समाजी (सोसाइटी ऑफ जीजस) कैथोलिक पादरी (फादर एंथोनी फर्नांडेज) जिन्होंने अपने जीवन के 38 वर्ष कैथोलिक चर्च की भेड़शलाओं का विस्तार करने में लगा दिए, चर्च की धर्मांतरण संबधी नीतियों का परत दर परत खुलासा करती है और साथ ही चर्च नेतृत्व का फरमान न मानने वाले पादरियों और ननों की दुर्दशा को बड़ी ही बेबाकी से उजागर करती है।
पुअर क्रिश्चियन लिबरेशन मूवमेंट के अध्यक्ष, आर.एल. फ्रांसिस, सामाजिक कार्यकर्ता जोसेफ गाथिया, वरिष्ठ पत्रकार विराग पाचपोर, एडवोकेट जार्ज टोम्स, जेएनयू के प्रोफेसर डॉ. महेंद्र राणा, मध्य प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य आनंद बर्नार्ड सहित कई गणमान्य लाेगाें ने पी बी लाेमियाें के निधन पर शाेक जताते हुए परिवार के प्रति अपनी संवेदना जाहिर की है।
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आर.एल. फ्रांसिस
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