इंदौर। एक शिक्षक लोगों को सही दिशा व ज्ञान देने के लिए समर्पित होता है। इसी उद्देश्य को ताउम्र अपनाते हुए 90 वर्षीय शिवराम आर्य 25 साल से सेवा कर रहे हैं। गांवों में सरपंचों को पत्र लिखकर दिव्यांग, विधवा, अतिवृद्ध बेसहारा महिलाओं की जानकारी मांगते हैं। इसके बाद हर माह मिलने वाली लगभग 18 हजार रुपए की पेंशन समान रूप से सभी में बांट देते हैं।
रिटायरमेंट के बाद से ही वह संन्यासी जीवन व्यतीत कर लोगों की मदद कर रहे हैं। नौकरी के समय से ही बड़गोंदा निवासी शिवराम आर्य बच्चों व परिजनों को सादा जीवन जीने व अपने अधिकारों के प्रति सजग रहने की जानकारी देते रहे। उन्होंने प्राथमिक शाला पितावली में नया शाला भवन, पीने के पानी के लिए गांव के लोगों की मदद से कुआं निर्माण, सार्वजनिक बगीचे का निर्माण कराया।
रिटायर्ड होने के बाद इंदौर व धार जिले के गांव में जाकर समाज के लोगों को खर्चीली शादी से बचे उस पैसे को गरीब लोगों की मदद में लगाने की समझाइश दी। वहीं, मृत्युभोज को बंद कर इस पैसे को परोपकार व सामाजिक विकास कार्य में लगाने की जन जागृति फैला रहे हैं। पहले लोगों ने विरोध किया फिर उनकी सलाह मानने लगे।
एक साल में बांट देते हैं एक लाख रुपए पेंशन
आर्य ग्राम पंचायत से आधार कार्ड व बैंक अकाउंट लेने के बाद गरीब महिलाओं के खाते में यह राशि डाल देते हैं। एक साल में एक लाख रुपए से भी अधिक राशि लोगों की सहायता पर खर्च कर देते हैं। कई महिलाओं को तो यह भी जानकारी नहीं होती कि उनके खाते में राशि किसने डाली।
साभार- दैनिक नईदुनिया से