बजट सत्र के दूसरे चरण के हंगामे की भेंट चढ़ने और शुक्रवार को संसद के अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद सदन की कार्यवाही नहीं चलने देने के लिए विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए राज्यसभा सांसद सुभाष चंद्रा ने कहा कि साल 2000 के बाद यह पहला बजट सत्र होगा जो पूरी तरह से हंगामे की भेंट चढ़ गया. विपक्षी सांसदों ने सदन में एक दिन भी ठीक से कार्यवाही नहीं होने दी.
हंगामे के भेंट चढ़ी संसद की कार्यवाही को लेकर राज्यसभा सांसद सुभाष चंद्रा ने कहा कि मैं इससे बेहद दुखी और परेशान हूं. उन्होंने कहा कि मैंने अपनी जिंदगी के 50 सालों में जितना वक्त बर्बाद नहीं किया होगा, उससे ज्यादा वक्त यहां आकर पिछले एक साल में बर्बाद किया है. उन्होंने कहा, ‘जब मैंने राज्यसभा का चुनाव जीता था, तो मुझे लगा कि संसद पहुंचकर कुछ सीखने को मिलेगा. समाजसेवा करने का मौका मिलेगा, लेकिन यहां पूरा वक्त बर्बाद हो गया.’
दो दर्जन से ज्यादा बिल पेंडिंग
उन्होंने कहा कि हंगामे की वजह से दो दर्जन से ज्यादा बिल पेंडिंग है, लेकिन कोई भी इसके बारे में नहीं सोचता है. वे आगे कहते हैं, ‘विपक्षी नेता कहते हैं कि सरकार सदन नहीं चलने दे रही है, लेकिन मैं तो सब कुछ अपनी आंखों से देख रहा हूं कि कौन सदन की कार्यवाही को चलने से रोकता है.’ सुभाष चंद्रा 11 जून 2016 को हरियाणा से राज्यसभा का चुनाव जीते थे.
बजट सत्र का समापन
बजट सत्र के आखिरी दिन भी संसद में कोई कामकाज नहीं हो पाया. उसके बाद दोनों सदनों की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई. सदन में हुए गतिरोध को लेकर उच्च सदन के सभापति वेंकैया नायडू ने अगले सत्र में सभी सांसदों से संसदीय परंपरा का पालन करने की अपील की. पार्टी द्वारा लाए जाने वाले बैनर और पोस्टर को लेकर उन्होंने कहा कि ये काम परिसर के बाहर होनी चाहिए. अनिश्चितकाल तक के लिए कार्यवाही स्थगित होने के साथ ही बजट सत्र 2018-19 भी समाप्त हो गया.