राजनांदगंव। राष्ट्रीय प्रशिक्षक, प्रेरक वक्ता और दिग्विजय कालेज के प्रोफ़ेसर डॉ.चन्द्रकुमार जैन मानते हैं कि जल संरक्षण आंदोलन, पानी बचाकर देश को संवारने की दिशा में सार्थक कदम है। विश्व जल दिवस पर यहाँ डॉ.जैन ने कहा कि दरअसल जल संरक्षण अभियान एक विश्व स्तरीय सोच की मिसाल बनकर उभरा है। इसमें जन-जन को सहभागी बनना चाहिए। ऐसे अभियान का सहभागी एक दृष्टि से विश्व मानव कहलाने का अधिकारी है।
जल आंदोलन की कदमताल में शुमार होकर डॉ.जैन ने कहा कि हमें गहराई से समझना होगा कि पानी,ऊर्जा है और ऊर्जा पानी। यदि पानी बचाना है तो ऊर्जा बचाएं।यदि ऊर्जा बचानी है तो पानी की बचत करना सीखें। बिजली के कम खपत वाले फ्रिज, बल्ब, मोटरें उपयोग करें। पेट्रोल की बजाए प्राकृतिक गैस से कार चलायें।कोयला व तैलीय ईंधन से लेकर गैस संयंत्रों तक को ठंडा करने की ऐसी तकनीक उपयोग करें कि उसमें कम से कम पानी लगे। उन्हें हवा से ठंडा करने की तकनीक का उपयोग करें।
डॉ.जैन ने कहा कि ऊर्जा बनाने के लिए हवा, तथा सूरज का उपयोग करें। पानी गर्म करने,खाना बनाने जैसे कार्यों में कम से कम ईंधन का उपयोग करें। उन्नत चूल्हे तथा उस ईंधन का उपयोग करें जो बजाए किसी फ़ैक्टरी में बनने के हमारे आसपास के वस्तुओं द्वारा तैयार व उपलब्ध हो। हकीक़त यही है कि पानी के बिना न बिजली बन सकती है और न ही ईंधन व दूसरे उत्पाद बनाने वाले ज्यादातर उद्योग चल सकते हैं। किसी भी संयंत्र को ठंडा करने तथा कचरे का शोधन करने के लिए पानी ही चाहिए ।कोयले से बिजली बनाने वाले थर्मल पावर संयंत्रों में इलेक्ट्रिक जनरेटर को घुमाने के लिए जिस भाप की जरूरत पड़ती है, वह पानी से ही संभव है। परमाणु ऊर्जा संयंत्र 25 से 60 गैलन पानी प्रति किलोवाटर घंटा की मांग करता है। तेल को साफ करके पेट्रोल बनाना बिना पानी संभव नहीं। बायो डीजल की खेती क्या बिना पानी संभव है?
लिहाज़ा,डॉ.जैन ने कहा कि हम सब जल आंदोलन के हिस्से बनकर पानी बचाने की अहमियत बढ़ाने की कारगर पहल करें। वास्तव में जल संरक्षण एक मानवीय कर्तव्य और राष्ट्रीय जिम्मेदारी भी है, जिसे हर एक को निभाना होगा।
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