पुणे के जिला शिकायत निवारण फोरम ने भीम ऐप और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) को निर्देश दिए हैं कि वह एक ग्राहक को 18 हजार रुपए का मुआवजा दे। शख्स ने पिछले साल अपने भीम ऐप के जरिए एक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में 10 हजार रुपए ट्रांसफर किए थे। जो ना तो उसके बैंक में कभी क्रेडिट हुए और ना ही कभी रिफंड हुए। फोरम ने एनपीसीआई को निर्देश दिया कि वह शिकायतकर्ता को 5 हजार रुपए का मुआवजा और 3 हजार रुपए कानूनी प्रक्रिया में खर्च होने की वजह से दे।
शख्स का नाम छोटेलाल प्रसाद है जो शिरूर में रहते हैं। उन्होंने साल 2017 में फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायत में उन्होंने कहा था कि उन्होंने अपने कॉर्पोरेशन बैंक से आईडीबीआई में 10 हजार रुपए ट्रांसफर किए थे। पैसे उनके बैंक से तो तुरंत कट गए लेकिन आईडीबीआई में कभी क्रेडिट नहीं हुए। प्रसाद ने बताया कि दोनों बैंक का कहना था कि ट्रांजेक्शन पूरी नहीं हो पाई क्योंकि उनके आईडीबीआई अकाउंट में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) रजिस्टर नहीं था।
शिकायतकर्ता का दावा है कि भीम ऐप के कस्टमर केयर अधिकारी ने उन्हें बताया कि पैसा उनके एसबीआई अकाउंट में क्रेडिट हो जाएगा। हालांकि फंड कभी भी उनके किसी अकाउंट में नहीं आया। एनपीसीआई ने अपने पक्ष में दाखिल किए गए लिखित बयान में दावा किया कि प्रसाद उनका ग्राहक नहीं है। इसी वजह से यह शिकायत ध्यान देने योग्य नहीं है। उन्होंने यह भी दावा किया कि ट्रांजेक्शन फेल होने के बाद 10 हजार रुपए उनके यूपीआई लिंक वाले एसबीआई अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए गए थे।
हालांकि फोरम को प्रसाद के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर होने के कोई सबूत नहीं मिले। इसके बाद एनसीपीआई ने प्रसाद को 10 हजार रुपए रिफंड किए। इसके अलावा उन्हें 5 हजार रुपए का मुआवजा देने के साथ ही 3 हजार रुपए कानूनी प्रक्रिया का खर्च देने का निर्देश दिया है क्योंकि उन्हें एसीपीआई की सेवा में कमी की वजह से परेशानी हुई और नुकसान भुगतना पड़ा।
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