आज बांग्लादेशी घुसपैठियों की हितैषी बनकर देश में खूनखराबे और गृहयुद्ध की धमकी देने वाली तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की यह राय इस मुद्दे पर हमेशा से नहीं थी। ममता के विचार बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर पहले कुछ अलग थे। 4 अगस्त 2005 में इन्हीं ममता बनर्जी ने लोकसभा में घुसपैठ के ही मुद्दे पर बोलने की इजाजत नहीं मिलने पर भारी हंगामा किया था।
करीब 13 साल पहले पश्चिम बंगाल में अवैध बांग्लादेशियों की घुसपैठ के खिलाफ ममता बनर्जी लोकसभा में बोलना चाहती थीं। लेकिन तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटजी ने उन्हें बोलने की इजाजत नहीं दी थी।
इससे नाराज होकर ममता ने सदन की कार्यवाही संभाल रहे लोकसभा के उपाध्यक्ष चरणजीत सिंह अटवाल के करीब वेल में जाकर उन पर कागज फाड़कर फेंक दिए थे। उसके बाद सदन स्थगित कर दिया गया था। इस दौरान सत्तारूढ़ यूपीए सरकार और विपक्षी सदस्यों में तीखी झड़प हो गई।
इसके बाद सदन की कार्यवाही शुरू होने पर सोमनाथ चटर्जी ने ममता बनर्जी से माफी मांगने को कहा। उन्होंने बताया कि नाराज ममता बनर्जी ने इस्तीफा दे दिया था जिसे सदन ने स्वीकार नहीं किया है। अपने इस्तीफे में ममता ने लोकसभा अध्यक्ष को संबोधित करते हुए कहा था कि उन्हें बोलने नहीं देने कारण उन्होंने अपना इस्तीफा सौंपा है।