Sunday, November 24, 2024
spot_img
Homeचुनावी चौपालचुनाव आयोग ने कहा, नेताओं की उपलब्धि के बखान को पैड न्यूज...

चुनाव आयोग ने कहा, नेताओं की उपलब्धि के बखान को पैड न्यूज माना जाए

पेड न्यूज एक गंभीर समस्या है, जिसे लेकर केंद्रीय निर्वाचन आयोग हमेशा सख्त रहा है। लिहाजा चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि कोई भी ऐसेआर्टिकल, जिसमें राजनेता अपने रिकॉर्ड और उपलब्धियों के आधार पर अपना बखान कर रहे हों, उसे पेड न्यूज माना जाना चाहिए, क्योंकि कि इसके जरिए नेता अपनी उपलब्धियों का बखान करते हुए वोटरों को रिझाने की कोशिश करते हैं।

बता दें कि आयोग ने शीर्ष अदालत में दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट की एक सदस्यीय पीठ ने 18 मई को आयोग के उस फैसले को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने मध्य प्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा को पेड न्यूज के आरोपों में तीन साल के लिए अयोग्य ठहराया था।

आयोग ने दावा किया कि उच्च न्यायालय ने पेड न्यूज की समस्या पर काबू पाने के लिए कार्रवाई करने की उसकी भूमिका सीमित करके गलती की है।

आयोग ने अपनी अपील में कहा कि जब ज्यादा प्रसार वाले दैनिक अखबारों में किसी उम्मीदवार द्वारा और उनके नाम से जारी ऐसे बयान नजर आते हैं, जो न केवल उनके रिकॉर्ड तथा उपलब्धियों की प्रशंसा करने वाले हैं बल्कि उम्मीदवार द्वारा खुद मतदाताओं से सीधी अपील करने वाले हैं तो क्या चुनाव आयोग के लिए ऐसे बयानों को समाचार नहीं मानते हुए ‘पेड न्यूज’ मानना गलत होगा।

आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से इस मुद्दे पर गौर करने को कहा क्योंकि इस तरह के प्रश्न चुनावों के दौरान अक्सर पूछे जाते हैं।

चुनाव आयोग की ओर से कहा गया कि जब उम्मीदवार एक निश्चित समयसीमा तक चुनाव खर्च के लिए जवाबदेह होता तब चुनाव प्रचार के दौरान उसे दी जाने वाली अन्य सुविधाओं पर छूट नहीं मिलनी चाहिए।

चुनाव आयोग ने कहा, ‘चुनाव अवधि के दौरान अगर स्वतंत्र भाषण की आड़ में इस तरह के प्रेरित प्रचार की अनुमति मिल जाएगी तो मजबूत नेटवर्क वाला उम्मीदवार समाज में अपने प्रभाव क्षेत्र का नाजायज फायदा उठा सकता है।’

गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता राजेंद्र भारती की शिकायत पर 23 जून 2017 को अपना फैसला सुनाया था और तीन साल के लिए मध्य प्रदेश के जनसंपर्क, जल संसाधन और संसदीय मामलों के मंत्री नरोत्तम मिश्रा को अयोग्य करार दिया था।

चुनाव आयोग ने 2008 के विधानसभा चुनाव में चुनावी खर्च के बारे में गलत जानकारी देने का उन्हें दोषी पाया था।

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार