टेम्स नदी के तट पर विशाल ‘हेड अवब द वाटर’ इंस्टालेशन
लंदन की इस अभिनव कला संस्कृति को यहाँ के मेयर और अन्य महत्वपूर्ण संस्थाओं का वरद हस्त मिला हुआ है. फेस्टिवल का प्रभाव और पहुँच इतनी है कि शहर के कोने कोने में इसकी छाप देखने को मिल रही है , जगह जगह इंस्टालेशन खड़े कर दिए गए हैं। मसलन ट्रैफलगर स्क्वायर में शेरों की पत्थर की संरचना के बीच रात को एक त्रि-आयामीय वर्चुअल लाल शेर बैठा हुआ मिल जाएगा, इसे ‘प्लीज फीड द लायन’ नाम दिया गया है। टेम्स नदी के दक्षिणी किनारे पर लकड़ी का विशाल इंस्टालेशन ‘हेड अबव द वाटर’ लगा हुआ है जो पूर्वी किनारे से भी स्पष्ट दिखता है. इसी प्रकार रीजेंट स्ट्रीट में ‘ट्रेस’ की रचना की गयी है, इसे आर्किटेक्ट जान नाश ने आर्किटेक्चर सोशल क्लब के लिए बनाया है यह हवा और प्रकाश के बदलने के साथ अदृश्य को दृश्य का अहसास कराता है। विक्टोरिया अलबर्ट संग्रहालय में सेकलर कोर्टयार्ड में अरूप और वॉग थिस्टलेटन आर्किटेक्ट ने ‘मल्टी प्लाई’ तैयार किया है जो आने वाले समय में मॉडुलर प्रणाली और अपनाने योग्य निर्माण सामग्री के मेल मिलाप से भवन निर्माण के संभावित स्वरूप की झलक है.
प्रदर्शित आकर्षक कलाकृति
दीवार को बगीचे में बदलने हयूंही ह्वांग के अनूठे फ्लावर वास
फेस्टिवल की एक महत्वपूर्ण कड़ी अंतरराष्ट्रीय डिज़ाइन फेयर है यह पूर्वी लन्दन के लिवरपूल स्ट्रीट इलाके में स्थित ओल्ड ट्रूमैन ब्रेवरी में 19 सितम्बर को प्रारम्भ हुआ था और 23 सितम्बर तक चला , इसमें केवल ब्रिटेन ही नहीं नार्वे, स्वीडन, स्पेन, कोरिया , जापान, चीन, इटली , फ्रांस आदि देशों के जाने माने डिजाइनरों ने अपनी नई कृतियों को प्रदर्शित किया। फेयर का हाल थोड़ी देर में बताता हूँ आइए पहले यह जानते हैं कि इस महत्वपूर्ण आयोजन की शुरुआत कब और कैसे हुई।
पुरुस्कृत ग्लास फ्लावर वास
डिजाइन फेस्टिवल लन्दन में 2003 शुरू हुआ , प्रारम्भ में इसका आकार प्रकार बहुत ही छोटा था। धीरे धीरे इसका कलेवर राष्ट्रीय और फिर अंतरराष्ट्रीय हो गया. अब यह डिजाइन पर्व बन चुका है, आकार कितना बड़ा हो गया है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले वर्ष इसमें कुल मिला कर 75 देशों के 450000 लोगों की सहभागिता रही. इस बार सहभागियों का लक्ष्य पांच लाख से ऊपर रखा गया है इस लिए इस बार चार नए डिजाइन डिस्ट्रिक्ट बनाये गए हैं. जाने माने एड – गुरु सर जॉन सोरेल इस पूरे प्रकल्प के चैयरमेन हैं। उनका कहना है कि लन्दन में तक़रीबन 8,50,000 लोग रचनात्मक किस्म के जॉब में लगे हैं इस लिहाज से यह संख्या किसी भी अन्य ग्लोबल शहर की तुलना में कहीं ज्यादा है., इस लिए यह फेस्टिवल शहर की डिज़ाइन उत्कॄष्टता की गहराई को और आगे बढ़ाने की दिशा में एक प्रयास तो है ही साथ ही यह अपने आप में आनंदोत्सव भी है।
निर्माण सामग्री का भविष्य : प्लास्टिक कचरा
एलेस्टर कोविल की कृति ‘ओरिजिन’
मेरा जुड़ाव संगीत से ज्यादा रहा है इस लिए सबसे पहले मैंने विक्टोरिया एवं एल्बर्ट संग्रहालय की ओर रुख किया जहाँ गायिका बेट्टी वुल्फ ने डिजिटल युग की नै संभावनाएं तलाशता संगीत कला विषय पर इंस्टालेशन लगाया है, यह उनके अल्बम ‘रॉ स्पेस’ पर आधारित है, यह दुनिया में संगीत का पहला लाइव 360 ऑगमेंटेड रियलिटी स्ट्रीम है. दरअसल ऑगमेंटेड रियलिटी स्ट्रीम वर्चुअल रिएलिटी का ही दूसरा रूप है, इस तकनीक में दर्शक के आसपास के वातावरण से मेल खाता हुआ एक कंप्यूटर जनित आभासी वातावरण है जो सहभागी को सजीव और जीवंत लगता है । यानि ऐसा वातावरण जिसे देख कर आप वास्तविक दुनिया और आभासी दुनिया बीच फर्क नहीं बता सकते हैं। इसमें संगीत और ऑगमेंटेड रियलिटी के मेलमिलाप से संगीत की अलग ही दुनिया बना दी है। लगा कि हम भी उस संगीत परिदृश्य का हिस्सा बन गए हों.
साधारण कलाकृति को त्रि आयामीय कलाकृति में बदल देती हैं
रीजेंट स्ट्रीट में इंस्टालेशन
दुनिया भर के पर्यावरणविदों के साथ ही डिज़ायनर भी प्लास्टिक-कचरे के बढ़ते आकार और फैलाव को लेकर खासे चिंतित हैं, उनका सरोकार है कि इसे समुद्र और नदियों में बहाने की बजाय वापस बतौर भवन निर्माण सामग्री और अन्य क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जाय। इस बार डिजायन फेस्टिवल में प्लास्टिक को ‘मटेरियल आफ द ईयर’ घोषित किया गया है. चार जाने माने डिजायनर शार्ले किडगर, डर्क वंडर कुइज , वीज और मर्ल , कोदई इवामोतो ‘Beyond The Chipper’ प्रोजेक्ट के अंतर्गत प्लास्टिक कचरे से जो सुन्दर संरचनाएं तैयार की हैं उसकी झलक भी यहां देखने को मिली। खास तौर पर शार्ले का काम और भी ज्यादा काबिले तारीफ़ है क्योंकि वे पालियूथीरिन के बचे हुए टुकड़ों और डस्ट से त्रि-आयामीय मॉडल बनाने में सफल हो गए हैं. यह सिलसिला यदि चल निकला तो प्लास्टिक कचरे के बड़े हिस्से को डम्प करने से बचा जा सकेगा। ‘Beyond The Chipper’ के अंतर्गत प्लास्टिक से फेंसिंग , फर्नीचर बनाने के विकल्प की झलक भी देखने को मिली.
ग्लास को प्लायमाउथ कालेज की छत्र ऐलिस एंटलीफ़ ने कलाकृति में बदल दिया
फेस्टिवल में प्लायमाउथ कालेज आफ आर्ट ने भी अपना स्टाल लगाया है जिसमें त्रि-आयामीय डिजायन, सिरेमिक, ग्लास और ज्वेलरी दक्षिण कोरिया के विद्यार्थियों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया है , मुझे विशेष रूप से ग्लास आर्टिस्ट ऐलिस एंटलीफ़ की कृतियों ने आकृष्ट किया , ये रिसाइकिल ग्लास पर हीरे की टिप वाले औजारों से नक्काशी करती हैं, इनका लक्ष्य समुद्री प्रदूषण को कम करने का प्रयास करना है।
विक्टोरिया अलबर्ट संग्रहालय के कोर्ट यार्ड में लकड़ी का विकल्प ‘मल्टी प्लाई’
लीक से अलग हट कर कार्य उपयोगी डिजायनों में जापान की तातिसु कम्पनी द्वारा विकसित आफिस में कार्य करने के लिए स्टील से बना स्टैंड है जिस पर खड़ी मुद्रा में आराम से टिके रह कर घंटों काम कर सकते हैं , इस मुद्रा में काम करने से कार्डियो-पुल्मोनरी गतिविधियों और मस्तिष्क की क्षमता में सुधार आता है ।
थोड़ा सा अलग हट कर दीवारों और मेज पर हरियाली और बागवानी का आइडिया दक्षिण कोरिया की हयूंही ह्वांग का है जिन्होंने दरअसल उन्होने सिरेमिक के फ्लावर वास वनाये हैं जो दीवारों में नट बोल्ट से आसानी से फिक्स किये जा सकते हैं इसमें रचनात्मकता की काफी गुंजाइश है पूरी दीवार को बगीचे का रूप भी दिया जा सकता है . यही नहीं इसका दूसरा इस्तेमाल मेज पर वास के रूप में रख कर भी किया जा सकता है। उन्होंने इसे ‘तेयुमासे आन वाल’ नाम दिया है।
डिजायन के इस महापर्व में भारत छूट जाय ऐसा तो संभव ही नहीं है। बिनाले के भारतीय पवेलियन में अन्य चीजों के साथ डाई के लिए इस्तेमाल होने वाले नील की ब्रिटिश भारत में खेती और वर्तमान में डेनिम उत्पाद में इसकी भूमिका के आलोक में देखने की कोशिश है। नील की ब्रिटिश शासन के दौरान खेती और उसमें किसानों के शोषण, इस शोषण के विरुद्ध बगावत की कहानी इंग्लॅण्ड तक पहुंची थी , कहा जाता था कि नील के पावडर की पेटी किसानों के लहू से रंगी होती थी। इस बार बिनाले में डेनिम उत्पादन में भारत के दबदबे और डेनिम के नील डाई के पीछे की
गाथा भारतीय पवेलियन के इंस्टालेशन के माध्यम से बखूबी दिखाई गयी है इसके पीछे की संकल्पना प्रिय खानचंदानी और फ़िरोज़ गुजराल की है.
डिजायन जहाँ रचनात्मक प्रक्रिया है वहीँ यह अपने अनूठे अंदाज के कारण व्यवसाय संवर्धन का महत्वपूर्ण घटक भी है, लन्दन का यह डिजायन महापर्व क्रिएटिव डिजायनरों के लिए अपने हुनर प्रदर्शन के लिए बड़ा प्लेटफार्म प्रदान कर रहा है वहीँ लन्दन शहर को इस क्षेत्र में अपनी बढ़त बनाये रखने का एक महत्वपूर्ण कारण भी बन गया है।
Pradeep Gupta
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