महोदय,
आपके भारतीय स्टेट बैंक ने राजभाषा सम्बन्धी प्रावधानों और भारत के महामहिम राष्ट्रपति जी के आदेशों को ताक पर रखते हुए 1 अप्रैल 2017 से जारी किया गया नया प्रतीक केवल अंग्रेजी में बनाया है.
लगता है कि स्टेट बैंक के मुख्यालय में पदासीन राजभाषा अधिकारी को राजभाषा सम्बन्धी किसी भी प्रावधान का ज्ञान है इसलिए बैंक में बड़े पैमाने पर राजभाषा संबंधी प्रावधानों का उल्लंघन कई वर्षों से जारी है. अंग्रेजी प्रतीक SBI राजभाषा सम्बन्धी प्रावधानों और भारत के महामहिम राष्ट्रपति जी के विद्यमान आदेशों का सरासर उल्लंघन है.
अंग्रेजी प्रतीक SBI चुनने का बाद भारतीय स्टेट बैंकों के एटीएम केंद्रों पर नामपट (साइनबोर्ड) भी सिर्फ अंग्रेजी में लगाये जा रहे हैं और पहले से लगे द्विभाषीय बोर्ड हटा लिए गए हैं. हमारे आसपास के सभी कस्बों, शहरों जैसे उज्जैन, इंदौर, देवास, नीमच, रतलाम में यही हालात हैं।
मुख्यालय में पदासीन अधिकारियों की अकर्मण्यता के कारण स्टेट बैंक के अंग्रेजी न जानने वाले करोड़ों ग्राहकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, छोटे से अंग्रेजी फॉर्म को भरवाने के लिए अथवा बैंक की ओर से अंग्रेजी में आये एसएमएस को पढ़वाने के लिए हमारे गाँव के लोगों को अंग्रेजी पढ़े लोगों की मिन्नतें करनी पड़ती है. मेरे पास दिन में लगभग 10 लोग अंग्रेजी में आये एसएमएस को पढ़वाने के लिए आते हैं.
बैंक के ग्राहकों को अंग्रेजी में दी गई सेवा, सेवा नहीं प्रताड़ना होती है.
लोगों की परेशानियों को समझने की कोशिश कीजिए, स्टेट बैंक हर साल टेक्नोलॉजी विकास के लिए अरबों रुपये खर्च करता है पर ऑनलाइन सेवाओं में राजभाषा हिंदी और भारतीय भाषाओं का विकल्प जोड़ने के लिए एक नया पैसा भी खर्च करने को तैयार नहीं.
मुख्य बिंदु:
भारतीय स्टेट बैंकों के एटीएम केंद्रों और ई-लॉबी केन्द्रों पर नये नामपट भी सिर्फ अंग्रेजी में लगाये गए हैं जिसमें लिखा होता है SBI ATM और E-Lobby. (चित्र संलग्न)
भारतीय स्टेट बैंक की किसी भी शाखा में पासबुक हिंदी/ भारतीय भाषाओं में छाप कर नहीं दी जाती है क्योंकि शाखाओं में बैठे अधिकारियों/कर्मियों को इसकी जानकारी नहीं दी गई है. सभी हिंदी भाषी राज्यों में पासबुक और खाता विवरण बाय डिफॉल्ट द्विभाषी होना चाहिए और एसएमएस अलर्ट बाय डिफॉल्ट हिंदी में भाषा में होने चाहिए और किसी ग्राहक को अंग्रेजी में एसएमएस चाहिए है तो उसे भाषा चुनने का विकल्प दिया जाए पर बाय डिफॉल्ट हिंदी भाषा ही तय की जाए .
भारतीय स्टेट बैंक की किसी भी शाखा में खाता विवरण हिंदी में छाप कर नहीं दिए जाते हैं, जो कि राजभाषा नियमावली के नियम 11 का उल्लंघन है.
शाखाओं में छपे आवेदन फॉर्म द्विभाषीय उपलब्ध नहीं करवाए जाते हैं.
स्टेट बैंक ने एक भी ऑनलाइन खाता-ऋण आवेदन फॉर्म / ऑनलाइन भर्ती फॉर्म/ऑनलाइन शिकायत फॉर्म राजभाषा नियमावली के नियम 11 के अनुसार द्विभाषीय और त्रिभाषीय नहीं बनवाया है जबकि इस नियम को लागू हुए 42 साल बीत चुके हैं.
स्टेट बैंक की नेट बैंकिंग सेवा के सिर्फ होमपेज पर हिंदी का विकल्प है पर लॉग इन करने पर सबकुछ अंग्रेजी भाषा में ही होता है, पिछले एक साल में मैंने इसकी बैंक को 3 बार ऑनलाइन शिकायत की पर अधिकारी ऑनलाइन शिकायत पर अंग्रेजी में जवाब लिखकर उसे बंद कर देते हैं तथा उत्तर में लिखते हैं कि नेट बैंकिंग सेवा शत-प्रतिशत हिंदी में है.
आपसे अनुरोध है कि राजभाषा सम्बन्धी प्रावधानों के व्यापक और निरंतर उल्लंघन को देखते हुए भारतीय स्टेट बैंक के संबंधित अधिकारियों एवं मुख्यालय में बैठे राजभाषा अधिकारियों को चेताया जाए और उल्लंघन को रोकने के लिए कारगर उपाय करवाए जाएँ.
आपके द्वारा यथोचित कार्यवाही और सकारात्मक उत्तर की आशा में,
भवदीय
सरफराज नागोरी
ग्राम और तहसील-महिदपुर
जिला उज्जैन (मप्र)
पिन 456443