Thursday, November 28, 2024
spot_img
Homeप्रेस विज्ञप्तिमुंबई के शीर्ष 51 उत्तरभारतीय कर्मयोगी शीघ्र प्रकाश्य

मुंबई के शीर्ष 51 उत्तरभारतीय कर्मयोगी शीघ्र प्रकाश्य

मुंबई के शैशवकाल से ही जिजीविषा की पूँजी लेकर आनेवाले सफल उत्तरभारतीय प्रवासियों में से कितनों ने अपने बुद्धि-कौशल, कला-कौशल और व्यापार-कौशल के बलबूते न केवल अपनेलिए शीर्ष मुकाम हासिल किया है, अपने कृतित्व से न केवल आम उत्तरभारतीयों के लिए यहाँ सम्मानजनक जगह बनायी है, वरन उन्होंने मुंबई के निर्माण और विकास में अपना योगदान भीदिया है।

मुंबई के निर्माण और विकास में उनके इसी अमूल्य योगदान और अनुकरणीय सफलता के पीछे श्रम, त्याग, धैर्य और लगन की जो कहानी छिपी है, उसे सामने लाने के उद्देश्य से राष्ट्रीयसाप्ताहिक `नूतन सवेरा' की ओर से एक सचित्र महाविशेषांक `मुंबई के शीर्ष ५१ उत्तरभारतीय कर्मयोगी' जल्द ही प्रकाशित किया जा रहा है।

`नूतन सवेरा' के संपादक वरिष्ठ पत्रकार और लेखक नंदकिशोर नौटियाल ने इस आशय की जानकारी देते हुए कहा कि 'मुंबई में राजस्थान' और 'मुंबई के उत्तरभारतीय' के उपरांत ग्रंथाकार रूप में छापे जानेवाले इस सचित्र महाविशेषांक में `शीर्ष ५१ कर्मयोगियों' को उनके वैयक्तिक परिचय, निजी कृतित्व और प्राप्त उपलब्धियों के विस्तृत ब्योरे के साथ तोप्रस्तुत किया ही जा रहा है; किंतु उनकी विजय-यात्रा में उनके कठिन संघर्षों की वह अछूती और रोमांचक कहानी भी दी जायेगी जो पी़ढियों तक पथ-प्रदर्शक का काम करती रहेगी।

`नूतन सवेरा' ने इस उद्देश्य को साकार करने के लिए एक `विशेषज्ञ बोर्ड' का गठन किया है जो मुंबई के सफलतम उत्तरभारतीयों में से `५१ कर्मयोगियों' का चुनाव करेगा और उत्तरभारतीयप्रवासियों के मुंबई आने, यहाँ बसने और कामयाबी हासिल करने का शोधपूर्ण इतिहास भी तैयार करेगा।

इस तरह यह ग्रंथाकार महाविशेषांक मात्र `५१' की कहानी न रहकर, संपूर्ण उत्तरभारतीय समाज की विजय गाथा होगा। उत्तरभारतीयों का मुंबई आने का यह सिलसिला आज भी बदस्तूर जारीहै और आधुनिकता के इस दौर में सुनहरे भविष्य का सपना लेकर मुंबई महानगर में आनेवाली युवा पीढ़ी चूँकि तात्कालिकता में य़कीन करती है, वह रातों-रात अमीर बन जाने का दिवास्वप्नदेखती है; धैर्य और श्रम का उनमें अभाव-सा है। विंâतु लगन और मेहनत, धैर्य और साहस के बिना सफलता के सोपान तक पहुँचना संभव नहीं होता।

यह ग्रंथाकार सचित्र महाविशेषांक मुंबई के `५१ शीर्ष उत्तरभारतीय कर्मयोगियों' की सफलता के पीछे छिपे संकल्प और कर्म के मूलमंत्र को आज की पीढ़ी के सामने ला रहा है। ताकि युवा पीढ़ीउनके संघर्षात्मक अनुभवों की गाथा से सीख लेकर संकल्प, कर्म, साहस, धैर्य और लगन के मूल्य को आत्मसात कर सके।

संपर्क 
प्रमोद सिंह (07755879690)   

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार