Sunday, November 24, 2024
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दिवाली पूजन का महत्व और पूजा विधि

कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या को दीपावली पर्व मनाया जाता है। उस दिन धन प्रदात्री ‘महालक्ष्मी’ एवं धन के अधिपति ‘कुबेर’ का पूजन किया जाता है। हमारे पौराणिक आख्यानों में इस पर्व को लेकर कई तरह की कथाएँ हैं। भारतीय परंपरा में हर पर्व और त्यौहार का संबंध प्रकृति की पूजा, हमारे सुखद जीवन, आयु, स्वास्थ्य, धन, ज्ञान, वैभव व समृद्धि की उत्तरोत्तर प्राप्ति से है। साथ ही मानव जीवन के दो प्रभाग धर्म और मोक्ष की भी प्राप्ति हेतु विभिन्न देवताओं के पूजन का उल्लेख है। आयु के बिना धन, यश, वैभव का कोई उपयोग ही नहीं है। अतः सर्वप्रथम आयु वृद्धि एवं आरोग्य प्राप्ति की कामना की जाती है। इसके पश्चात तेज, बल और पुष्टि की कामना की जाती है। तत्पश्चात धन, ज्ञान व वैभव प्राप्ति की कामना की जाती है। विशेषकर आयु व आरोग्य की वृद्धि के साथ ही अन्य प्रभागों की प्राप्ति हेतु क्रमिक रूप से यह पर्व धन-त्रयोदशी (धन-तेरस), रूप चतुर्दशी (नरक-चौदस), कार्तिक अमावस्या (दीपावली- महालक्ष्मी, कुबेर पूजन), अन्नकूट (गो-पूजन), भाईदूज (यम द्वितीया) के रूप में पाँच दिन तक मनाया जाता है। धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, नया साल और भैयादूज या भाईदूज ये पाँच उत्सव पाँच विभिन्न सांस्कृतिक विचारधाराओं प्रतिनिधित्व करते हैं।

इस साल दीपावली 7 नवंबर 2018 बुधवार को है। इस दिन अमावस्या तिथि रात में 09:32 मिनट तक रहेगी और 09:32 के बाद प्रतिपदा तिथि आरंभ हो जाएगी। स्वाति नक्षत्र रात्रि में 07:37 बजे तक रहेगा और उसके बाद विशाखा नक्षत्र आरंभ हो जाएगा।
पूजन के लिए आवश्यक पूजा सामग्री

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दिवाली के दिन आयुष्मान योग 7 नवंबर को शाम 5.57 बजे और इसके बाद सौभाग्य योग लगेगा। धन की देवी महालक्ष्मी का पूजन पर्व के तीसरे दिन 7 नवंबर को स्वाति नक्षत्र और आयुष्मान और सौभाग्य योग के दुर्लभ संयोग में होगा। अमावस्या तिथि 6 नवंबर को रात 10.27 से 7 नवंबर को रात 9.31 मिनट तक रहेगी।

दिवाली 2018 का पूजन मुहुर्त

7 नवंबर

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- 17:57 से 19:53

प्रदोष काल- 17:27 से 20:06

वृषभ काल- 17:57 से 19:53

अमावस्या तिथि आरंभ- 22:27 (06 नवंबर)

अमावस्या तिथि समाप्त- 21:31 (07 नवंबर)

दीपावली महानिशित काल मुहूर्त

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त = 09:40 से 12:32 रात
अवधि = 0 घण्टे 41 मिनट
महानिशित काल = 23:40 से 24 :31
सिंह काल = 25:41+ से 27:59+

रूप चतुर्दशी 6 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन इस दिन रात 7.55 बजे तक प्रति योग रहेगा। इस दिन तिल-तेल, उबटन से स्नान कर भगवान कृष्ण का पूजन किया जाता है। इसे नरक और काली चतुर्दशी भी कहते हैं।

8 नवंबर को सौभाग्य योग और विशाखा नक्षत्र में गो धन का पूजन होगा। इसके साथ गिरिराज गोवर्धन की पूजा की जाएगी। इस दिन विशाखा नक्षत्र जहां रात 9.07 मिनिट तक रहेगा, वहीं सौभाग्य शाम 4.23 बजे तक रहेगा। इस दिन घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन नाथ जी बनाए जाते हैं।

पांच दिवसीय दीप पर्व का समापन 9 नवंबर को भाईदूज के साथ होगा। इस दिन अनुराधा नक्षत्र में भाई-बहन के स्नेह का पर्व मनाया जाएगा। कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 8 नवंबर को रात 8.08 मिनट से 9 नवंबर को रात 9.19 मिनट तक रहेगी। अनुराधा नक्षत्र रात 8.35 बजे तक रहेगा।

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