26 फ़रवरी की सुबह लोग नींद से जगे ही थे कि पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता आसिफ़ गफ़ूर ने ट्वीट कर जानकारी दी कि भारत के लड़ाकू विमान नियंत्रण रेखा के पार मुज़फ़्फ़राबाद सेक्टर में तीन से चार किलोमीटर भीतर घुस आए थे.
गफ़ूर ने ये भी कहा कि पाकिस्तान के तत्काल जवाब के बाद भारत को पीछे हटना पड़ा और कोई नुक़सान नहीं हुआ.
इसके बाद भारत ने कहा कि पाकिस्तान के बालाकोट में भारत की वायुसेना ने चरमपंथी संगठनों के ठिकानों को ध्वस्त कर दिया है.
इस बार पाकिस्तान ने ख़ुद ही स्वीकार किया है कि भारत के लड़ाकू विमान आए थे जबकि पिछली बार पाकिस्तान ने भारत के सर्जिकल स्ट्राइक के दावे को ख़ारिज कर दिया था.
ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि भारतीय फाइटर प्लेन पाकिस्तान में घुस जाते हैं और हमले को अंजाम देकर चले आते हैं दूसरी तरफ़ पाकिस्तान कुछ कर नहीं पाता है.
यहां तक कि पाकिस्तानी भी अपनी सेना से सवाल पूछ रहे हैं उनकी सेना ने इन भारतीय विमानों को मार क्यों नहीं गिराया?
पाकिस्तानी नागरिक फ़वाद जावेद ने पाकिस्तानी आर्मी से सवाल पूछा है कि भारतीय विमान सीमा पार घुसे कैसे?
जावेद ने ट्वीट कर पूछा, ”वे हमारे हवाई क्षेत्र में घुस गए और हमारी सेना ने इन्हें मार नहीं गिराया. अब आप ट्विटर पर केवल फायर कर रहे हैं.”
क्या पाकिस्तान को उसकी वायुसेना के एयर सर्विलांस सिस्टम से ये पता नहीं चल पाता है कि भारत के विमान उसकी सीमा में घुसे हैं? आख़िर पाकिस्तान कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर पाता है?
द इंस्टिट्यूट फोर डिफेंस स्टडीज एंड एनलिसिस के निदेशक लक्ष्मण कुमार बहेरा कहते हैं कि भारत की वायु सेना की तुलना में पाकिस्तान की वायु सेना बहुत कमज़ोर है.
बहेरा कहते हैं, ”पाकिस्तान की वायुसेना ऐसे हमलों का जवाब देने में सक्षम नहीं है. भारतीय वायु सेना की तैयारी इतनी मुकम्मल थी कि पाकिस्तान के लिए अंदाज़ा लगाना आसान नहीं था. भारत ने बहुत कम समय में इस हमले को अंजाम दिया है. पाकिस्तान का एयर सर्विलांस सिस्टम और जैमर बहुत ही लचर है. इतने कम टाइम के हमले को संभालना पाकिस्तान के मौजूदा एयर सर्विलांस के बस की बात नहीं है.”
भारत की मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि भारत के 12 मिराज लड़ाकू विमान सीमा पार हुए थे और 19 मिनट के भीतर हमले को अंजाम देकर वापस लौट आए. कहा जा रहा है कि पिछले पांच दशकों में 1971 के युद्ध के बाद भारत ने पहली बार सीमा पार हमला किया है.
अप्रैल 2000 में भारतीय एयरफ़ोर्स ने रूस से दो A-50 AWAC (एयरबोर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल) एयरक्राफ़्ट ख़रीदे थे. यह रेडार सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के लिए काफ़ी अहम था.
भारत ने इसे जब ख़रीदा था तभी पाकिस्तान के रिटायर्ड एयर मार्शल अयाज़ अहमद ख़ान ने पाकिस्तान के लिए ख़तरनाक बताया था.
अयाज़ ख़ान ने कहा था कि भारत इस सिस्टम से पाकिस्तान के भीतर और पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र की जासूसी करने में सक्षम हो गया है.
अयाज़ ख़ान ने चेताया था कि इंडियन एयर फ़ोर्स को इस सिस्टम से पाकिस्तानी एयर फ़ोर्स के बेस की गतिविधियां पहले ही पता चल जाएंगी.
ख़ान ने कहा था, ”A-50 AWAC से भारत को पहले ही पता चल जाएगा कि पाकिस्तानी रेडार सिस्टम कहां लगा है, मिसाइल की तैनाती कहां है और पाकिस्तानी एयर फ़ोर्स कौन सी गतिविधियां कर रहा है. रूस में बना A-50 AWAC पाकिस्तान की वायुसेना की सभी गतिविधियां पता करने में सक्षम है और पाकिस्तान के लिए चिंताजनक है.”
पाकिस्तान में डिफेंस से जुड़े मामलों पर रिपोर्ट करने वाली वेबसाइट डिफेंस डॉट पीकेकी एक रिपोर्ट का कहना है कि पाकिस्तान के एयरबोर्न रेडार्स पुराने पड़ गए हैं.
इस रिपोर्ट के अनुसार, ”भारत ने अपने एयरबोर्न सर्विलांस पर काफ़ी खर्च किया है. हालांकि पाकिस्तान ने भी ख़ुद को अपग्रेड करने की कोशिश की है लेकिन भारत बहुत विशाल देश है इसलिए पाकिस्तान के सर्विलांस सिस्टम के लिए बहुत कुछ करना बाकी है.”
अयाज़ ख़ान ने अपनी रिपोर्ट ने कहा है कि भारत के पास रूस से एयरबोर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल आने के बाद पाकिस्तानी एयर फ़ोर्स का डिफेंस सिस्टम काफ़ी पीछे छूट गया है.
एयरबोर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल टेक्नॉलजी यानी दूसरे देश के एयरफ़ोर्स की गतिविधियों पर नज़र रखने वाली टेक्नॉलजी में अमरीका सबसे आगे है.
पाकिस्तान रक्षा मामलों में अब लगातार चीन पर निर्भर हो रहा है. लेकिन एयर सर्विलांस के मामले में चीन से पाकिस्तान को बहुत मदद नहीं मिली है.
अमरीका की तरफ़ से पाकिस्तान को मिलने वाली रक्षा मदद और रक्षा तकनीक बिल्कुल बंद हो गई है.
ओबामा प्रशासन के आख़िर के कुछ महीनों में ही अमरीकी कांग्रेस ने एफ़-16 लड़ाकू विमान पाकिस्तान को बेचने पर रोक लगा दी थी.
इसके बाद एफ-16 फाइटर जेट से ध्यान हटाकर चीन के साथ मिलकर जेएफ-17 फाइटर जेट विकसित करने पर काम शुरू किया था.
अमरीकी कांग्रेस ने एफ-16 को लेकर पाकिस्तान के साथ कड़ा रुख़ अपनाया तो पाकिस्तान ने सैन्य साज़ो सामान की तलाश दूसरे पार्टनर में शुरू कर दी थी.
इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार अमरीका और पाकिस्तान के बीच का हथियार सौदा एक अरब डॉलर से फिसलकर पिछले साल 2.1 करोड़ डॉलर तक पहुंच गया है. हालांकि इस दौरान चीन और पाकिस्तान के बीच भी हथियारों के सौदे के आकार में गिरावट आई लेकिन इसकी रफ़्तार काफ़ी धीमी है.
चीन के साथ पाकिस्तान का हथियार सौदा 74.7 करोड़ डॉलर से 51.4 करोड़ डॉलर तक पहुंच गया. इसके साथ ही पाकिस्तान को हथियार बेचने के मामले में चीन पहले नंबर पर रहा.
अमरीकी डिफेंस वेबसाइट ग्लोबल फायर पावर के अनुसार पाकिस्तान के पास कुल एयरक्राफ़्ट 1281 हैं जबकि भारत के पास 2185 हैं. लक्ष्मण कुमार बहेरा भी मानते हैं कि पाकिस्तान भले परमाणु शक्ति संपन्न देश है लेकिन कई मामलों में भारत की तुलना में बहुत कमज़ोर है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार बीएसएफ़ पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगी सीमा पर 2000 किलोमीटर तक की सर्विलांस क्षमता जल्द ही हासिल कर लेगा.
साभार- https://www.bbc.com/ से