Monday, November 25, 2024
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श्री प्रभु और स्वपन दासगुप्ता के शब्दों से राजनीति नहीं तथ्य और विचार झरते हैं

आज के दौर में न्यूज चैनलों से लेकर अखबारों और सोशल मीडिया में जो राजनीतिक विमर्श चल रहा है उससे ऐसा लगता है मानो देश की राजनीति में मूर्ख और नकारा लोगों का ही अस्तित्व बचा है, लेकिन ये इस देश का दुर्भाग्य है कि देश की राजनीति हो या कोई अन्य क्षेत्र कोई भी व्यक्ति राष्ट्रवादी मूल्यों से जुड़े विषयों पर सारगर्भित बात करता है तो ऐसी बातें मीडिया की सुर्खियों में नहीं आती और न ही उन पर कोई विमर्श होता है, जबकि दो दो कौड़ी के बयान मीडिया में सुर्खियाँ बनते हैं और उसी पर विवाद और संवाद के नाम पर बकवास होती रहती है।

केंद्रीय वाणिज्य, उद्योग एवँ नागरिक उड्डयन मंत्री श्री सुरेश प्रभु के साथ अचानक कोलकाता में इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स के सभागार में स्वदेशी रिसर्च इंस्टीट्यूट व डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन द्वारा कोलकोता में परस्पेक्टिव ऑन न्यू इंडिया पर आयोजित कार्यक्रम में जाना हुआ और वहाँ भाजपा के राज्यसभा सांसद श्री स्वपन दासगुप्ता और श्री सुरेश प्रभु के वक्तव्य सुनकर तो ऐसा लगा जिन मुद्दों पर राष्ट्रीय स्तर पर विमर्श होना चाहिए उनका मीडिया से लेकर किसी भी मंच पर अस्तित्व तक नहीं है।

श्री सुरेश प्रभु ने प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार द्वारा शुरु की गई विभिन्न योजनाओँ पर अपने 45 मिनट के सारगर्भित और धाराप्रवाह भाषण में कहा कि आज हम सब एक अलग दौर में आ गए हैं, और आने वाले कल में हम सामाजिक, और आर्थिक रूप से और भी अलग होंगे। प्रधान मंत्री ने देश को सामाजिक, आर्थिक, बौध्दिक और सांस्कृतिक रूप से एक नई पहचान देने की दिशा में पहल की है। विगत 75 सालों में इस दिशा में कभी सोचा ही नहीं गया। अब एक नए भारत का उदय हो रहा है। हमारे देश की एक महान आर्थिक और सांस्कृतिक विरासत रही है, और मोदीजी ने जिस तरह से बदलाव की दिशा में काम किए हैं, मेरा दावा है कि वर्ष 2023 तक भारत एक नई आर्थिक शक्ति बनकर उभरेगा।

श्री प्रभु ने कहा कि देश में समग्र वृद्धि हासिल करने के लिए जिला आधारित विकास के मॉडल पर काम किया जा रहा है। प्रभु ने एक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि इसके लिए देश के विभिन्न हिस्सों से छह जिलों का चयन किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘इससे कुल मिला कर देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि होगी और इसका समर्थन करने के लिए निजी क्षेत्र को निवेश करना होगा।’

उन्होंने कहा कि उद्योग जगत को निवेश करना होगा, क्योंकि सेवा क्षेत्र के सहारे ही वृद्धि मजबूत नहीं होगी। उन्होंने कहा कि सरकार के पास नई औद्योगिक नीति तैयार है।

प्रभु ने कहा, ‘भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत होने की जरूरत है और इसका कोई कारण नहीं है कि भारत का निर्यात 540 अरब डॉलर पर नहीं पहुंच सकता है। यह सिर्फ तभी होगा जब भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत होगा।’

चीन के औद्योगिक विकास की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि चीन का विकास मॉडल सरकार के सहयोग से विकसित किया गया जबकि हम देश के उद्योगपतियों, छोटे उद्मियों को प्रोत्साहित कर अपनी विकास यात्रा आगे बढ़ाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि चीन में कोई पूँजी बाजार नहीं है, वहाँ बैंक बचत पर लोगों को मात्र 2 प्रतिशत ब्याज दिया जाता है।

उन्होंने कहा कि हमारे देश में किसी भी क्षेत्र में प्रतिभा की कमी नहीं है। हमारे उद्यमी जुगाड़ से भी अपना काम चला लेते हैं।

दुबई की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि दुबई हर तरह से विकसित है, लेकिन वहाँ न पानी है, न जमीन है न प्राकृतिक संसाधन है और इसके विकास में सबसे ज्यादा योगदान अगर किसीका है तो वो भारतीयों का, वहाँ हर क्षेत्र में भारतीयों की ही भागीदारी है। उन्होंने एक मजेदार बात बताते हुए कहा, मैने दुबई के मेरे एक चार्टर्ड एकाउंटेंट मित्र से दुबई की सफलता का राज पूछा तो उसने बताया कि यहाँ दुबई में कंपनीतो हम चलाते हैं मगर इसका मालिक शाही परिवार का सदस्य होता है।

प्रधानमंत्री के कौशल विकास की चर्चा करते हुए श्री प्रभु ने कहा कि स्थानीय स्तर पर प्रतिभाओं को पहचानना और उनको वहीँ पर उनकी प्रतिभा के अनुसार काम देना ही कौशल विकास का मुख्य उद्देश्य है। इसका सीधा लाभ ये होगा कि रोजगार के लिए पलायन नहीं होगा। गाँव के किसान के बेटे को उसकी रुचि के अनुसार गाँव में ही काम मिलेगा। इससे परिवार भी साथ रहेगा और लोगों की क्रय शक्ति भी बढ़ेगी।

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श्री सुरेश प्रभु ने कहा कि हमारे देश में एक आम सोच ये है कि हमें तो बस सब चीज एक्स्पोर्ट ही करना है हम इंपोर्ट नहीं करेंगे, ये तो ऐसा हुआ कि कोई कंपनी ये तय कर ले कि हम तो बस सामान बनाएंगे और बेचेंगे मगर बाहर से कुछ नहीं खरीदेंगे, अगर बाहर से कच्चा माल खरीदेंगे ही नहीं तो बनाएंगे क्या और बेचेंगे क्या। उन्होंने कहा कि हमें अपने आप में भी बदलाव लाने होंगे तभी हम वैश्विक अर्थव्यवस्था का मुकाबला कर पाएँगे।

उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी तो ही हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत होगी। श्री प्रभु ने बताया कि जो अमरीकी कंपनियाँ चीन में निवेश के लिए पहुँची थी वे अब भारत का रुख कर रही है, मोदीजी की नीतियों का ये सबसे बड़ा असर वैश्विक स्तर पर हुआ है।

श्री प्रभु ने कहा कि विकास का मतलब है समाज में शांति रहे, शांति रहेगी तो हमारे देश में पर्यटन का भी विकास होगा और इससे हमारी संस्कृति भी समृध्द होगी। उन्होंने कहा कि सरकार का काम है देश की प्रतिभाओं को पहचानना और उनको मंच देना। पहले राजा-महाराजा श्रेष्ठ प्रतिभाओं को पहचान कर उन्हें अपने दरबार में बुलाते थे, उनको सम्मानित करते थे, लेकिन हमने देखा है कि आजकल प्रतिभावन तो वो है जिसकी राजा से पहचान है। आज मोदीजी की सोच की वजह से समाज के श्रेष्ठतम लोगों को उनकी प्रतिभा की वजह से सम्मान मिल रहा है। ये एक बड़ा बदलाव है।

उन्होंने कहा कि देश का हर आदमी देश के लिए योगदान दे रहा है, इसके लिए जरुरी नहीं कि कोई खास ड्रेस पहनकर ही राष्ट्र सेवा की जाए।

मंच पर उपस्थित श्री स्वपन दासगुप्ता ने प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा चलाए गए स्वच्छता अभियान का उल्लेख करते हुए कहा कि आज से पाँच साल पहले के बारे में सोचें तो ऐसा लगता था कि गंदगी में रहना और गंदगी करना एक आम हिंदुस्तानी के लिए आदत की बात हो गई थी। रेल्वे स्टेशन से लेकर सड़कों पर जगह-जगह पड़े कूड़े के ढेर हमें कतई अटपे नहीं लगते थे, जैसे हमने इनके साथ रहना और जीना सीख लिया था। हमने ये मान लिया था कि देश में ऐसा ही चलता रहेगा और हम ऐसे माहौल में ही जीते रहेंगे। लेकिन इस देश के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब स्वच्छता और शौचालयों की बात की तो शुरु शुरु में सभी लोगों ने उनकी खिल्ली उड़ाई, इसे मजाक का विषय बना दिया और ये तक कहा गया कि एक प्रधान मंत्री के पास क्या राष्ट्र के लिए कोई और मुद्दा नहीं था, जो वे इन मुद्दों पर बात कर रहे हैं। लेकिन, आज पाँच साल बाद देखिये देश में क्या बदलाव आया है, अब लोग गंदगी की नहीं स्वच्छता की बात करने लगे हैं, देश के स्टेशन हो या पिछड़ी बस्तियाँ हर जगह सफाई दिखने लगी है, लोग खुद गंदगी करने वालों को टोकने लगे हैं। प्रधान मंत्री के इस अभियान ने पूरे देश के लोगों की सफाई और गंदगी के प्रति सोच बदल दी, ये कोई मामूली बदलाव नहीं है। ये एक ऐतिहासिक परिवर्तन आया है।

उन्होंने कहा कि हमने गाँधी जैसे महापुरुष की पूजा तो बहुत की मगर उनसे कुछ सीख नहीं पाए सौ साल पहले गाँधीजी ने स्वच्छता का जो नारा दिया था वो आज मोदीजी की वजह से पूरे देश में एक अभियान बन चुका है।

मोदीजी ने प्रधान मंत्री रहते हुए बजाय किसी राजनीतिक मुद्दे के इस सामाजिक मुद्दे को अपने एजेंडा बनाया।

उन्होंने कहा कि जो लोग ये सवाल करते हैं कि पाँच साल में मोदजी ने क्या किया मैं उनसे सवाल पूछता हूँ कि आज आपको पासपोर्ट बनाने में कोई परेशानी आ रही है। देश में गरीबों के करोड़ों बैंक खाते खुले और सरकारी योजनाओं का पैसा सीधे उनके खाते में जा रहा है, जो अभी तक कमीशन के रूप में कई लोगों में बँट जाता था। आज देश का एक आम आदमी बेहतर जीवन जी रहा है।

उन्होने कहा कि हमें एक ही जीवन मिला है और ये हमारा अधिकार है कि हम बेहतर जीवन जिएँ। नरेन्द्र मोदीजी ने एक राजनेता होते हुए भी राजनतिक मुद्दों की बजाय सामाजिक मुद्दों को पूरी ताकत, संकल्प और निष्ठा के साथ उठाकर एक नए भारत का मार्ग प्रशस्त किया है।

मोदीजी की दूरदृष्टि की बात करते हुए उन्होंने कहा कि मोदीजी ने गुजरात के मुख्य मंत्री के रूप में सबसे पहले वाईब्रेंट गुजरात का आयोजन कर गुजरात में नए उद्योग लाने और निवेश जुटाने की जो पहल की उसका नतीजा है कि आज हर राज्य चाहे वो उड़ीसा हो या बंगाल ऐसे आयोजनों के माध्यम से निवेश और औद्योगीकरण की पहल कर रहा है।

उन्होंने कहा कि अभी तक हमारी ये सोच रही कि हम छोटे उद्योगों के क्षेत्र में अपनी अक्षमता को ही नया आईडिया मानकर उसका उत्सव मनाते रहे, मोदजी ने आते ही इस हमारी इस सोच को बदला और इस बात पर जोर दिया कि हमारी जो समस्याएँ हैं उनसे ही समाधान निकालना होगा। उन्होंने छोटे उद्योगों के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा की लेकिन 3 या 4 साल में इसका परिणाम नहीं आ सकता।

उन्होंने कहा कि मोदीजी ने राजनतिक खतरा उठाकर सामाजिक और आर्थिक बदलाव की दिशा में जो कड़े फैसले लिए हैं आने वाले समय में इनके दूरगामी परिणाम तो होंगे ही एक नए भारत का भी उदय होगा।

श्री स्वपन दासगुप्ता अगर हिंदी में भाषण दें तो भारतीय जनता पार्टी के लिए उत्तर भारत के लोगों के लिए एक समर्थ और लोकप्रिय चेहरा हो सकते हैं।

कार्यक्रम में स्वदेशी रिसर्च इंस्टीट्यूट व डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन के निदेशक डॉ. अनिर्बन गांगुली, स्वदेशी रिसर्च इंस्टीट्यूट कोलकाता के निदेशक डॉ. धनपत राम अग्रवाल के साथ ही कार्यक्रम के संयोजक श्री आरके व्यास, कमल सोमानी व आशीष मजुमदार आदि भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन श्री आरके व्यास ने किया।

श्री प्रभु और श्री दासगुप्त के वक्तव्यों में न तो कोई राजनीतिक छींटाकशी थी न किसी की आलोचना, दोनों ने ही जिस प्रामाणिकता और तथ्यों के साथ अपनी बात में मौजूद श्रोताओं के बीच कही वह हर एक श्रोता के लिए भी एक अद्भुत, प्रेरक और यादगार अनुभव रही, क्या देश के अन्य राजनेता इनसे कुछ सीखेंगे…?

ऐसे हैं हमारे प्रभु साहब

शनिवार 27 अप्रैल को पूर्वान्ह 11.40 बजे अचानक श्री सुरेश प्रभु साहब का फोन आता है, 12.30 बजे तक एअरपोर्ट पहुंचो, मेरे साथ कोलकाता चलना है…मैने कहा घर जाकर कपड़े लेकर आऊंगा तो देर हो जाएगी, तो उन्होंने कहा कपड़े की जरुरत नहीं शाम को वापस आ जाएंगे… खैर, जैसे तैसे मुंबई के ट्रैफिक से जूझते हुए एअरपोर्ट पहुँचे तो वहां प्रभु साहब के पारिवारिक मित्र एडवोकेट श्री उमेश चंद्र यादव पाटिल मेरा बोर्डिंग पास लेकर तैयार मिले। उन्हें भी प्रभु सा. ने इसी तरह फोन कर बुला लिया था..

समय के पाबंद प्रभु साहब ठीक समय पर आए और हम 6 सीटर चार्टर प्लेन से कोलकाता रवाना हो गए… ढाई घंटे के सफर में प्रभु सा. पूरे समय पढ़ने में तल्लीन रहे. यही हाल वापसी यात्रा में रहा. आते व जाते समय प्रभु साहब ने भले ही कुछ न खाया हो मगर हमारी खातिरदारी में कोई कसर नहीं रखी।

कोलकाता पहुँचने पर एडिबल एग्रो प्रॉडक्ट्स लि. के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री अशोक अग्रवाल व शैलाक ऐंड फॉरेस्ट प्रॉडक्ट्स एक्स्पोर्ट प्रमोशन कॉंउसिल की कार्यकारी निदे़शक सु़श्री देबजानी रॉय ने हमारे स्वागत सत्कार में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी..देबजानीजी ने प्रभु सा. के यादगार किस्सों से हमारी इस यात्रा को और मजेदार बना दिया।

एक निवेदन

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