लखनऊ। अब डाक विभाग और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग मिलकर टी. बी. रोग को दूर भगाएंगे। डाकिया के माध्यम से टी०बी० स्पुटम के नमूने तेजी से स्वास्थ्य विभाग के लैब तक पहुंचेंगे। उत्तर प्रदेश के 4 जनपदों -लखनऊ, आगरा, बदायूं और चंदौली में ये पायलट प्रोजेक्ट 15 जुलाई से आरम्भ हो गया। लखनऊ जीपीओ में आयोजित एक कार्यक्रम में लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव ने स्टेट टीबी ऑफिसर डॉ संतोष गुप्ता के साथ इसका शुभारम्भ किया। साझा पहल के शुभारम्भ को यादगार बनाने हेतु डाक विभाग द्वारा “टीबी उन्मूलन की दिशा में एक कदम” शीर्षक से एक विशेष आवरण भी जारी किया गया। प्रवर डाक अधीक्षक शशि कुमार उत्तम, चीफ पोस्ट मास्टर आरएन यादव, जिला क्षय अधिकारी डॉ बीपी सिंह, सहायक निदेशक ओम प्रकाश चौहान भी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि. भारतीय डाक विभाग और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा क्षय रोग को जड़ से समाप्त करने की दिशा में एक पहल की गई है, जिसके अंतर्गत टी०बी० स्पुटम के नमूनों को डाकिया द्वारा संग्रहण करके तीव्र परिवहन के माध्यम से जांच हेतु सम्बद्ध प्रयोगशाला तक पहुंचाया जायेगा। दूरदराज़ के सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों से नमूनों को प्रयोगशाला तक 24 से 48 घंटे के भीतर डाकिये पहुँचायेंगे, ताकि इनकी शुद्धता बनी रहे। डाक निदेशक श्री यादव ने बताया कि लखनऊ में 53 जगहों से डाकिया इन नमूनों को एकत्र करेंगे। प्रवर डाक अधीक्षक शशि कुमार उत्तम ने बताया कि पहले दिन कुल 40 सैम्पल एकत्र करके प्रयोगशाला हेतु भेजे गए।
स्टेट टीबी ऑफिसर डॉ संतोष गुप्ता ने कहा कि वर्ष 2021 तक लखनऊ को टीबी मुक्त बनाना है और इसमें डाक विभाग की अहम भागीदारी रहेगी। अभी राष्ट्रीय स्तर पर 100 में से 20 टीबी मरीज उत्तर प्रदेश के होते हैं, ऐसे में पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इसे प्रदेश के सभी जिलों में लागू किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सबकी भागीदारी से ही टीबी रोग को दूर किया जा सकता है।
चीफ पोस्ट मास्टर आरएन यादव ने बताया कि विशेष आवरण की कीमत 15 रूपये रखी गई है, जिसे अन्य फिलेटलिक ब्यूरो में भी उपलब्ध कराया जायेगा।
इस अवसर पर डाक विभाग और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के तमाम अधिकारियों के साथ-साथ सीनियर फिलेटलिस्ट्स भी उपस्थित रहे।