Monday, November 25, 2024
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Homeजियो तो ऐसे जियोबेटे को गुरू बनाकर माता-पिता ने जीता स्वर्ण पदक

बेटे को गुरू बनाकर माता-पिता ने जीता स्वर्ण पदक

अपने बेटे से प्रशिक्षण लेने के बाद बुजुर्ग मां-बाप ने शूटिंग में स्वर्ण पदक जीत कर गाजियाबाद जनपद का गौरव बढ़ाया है। मेरठ में आयोजित की गई प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता दंपति ने अपने-अपने वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। प्रतियोगिता में विभिन्न जनपदों के 150 से अधिक खिलाड़ियों ने भाग लिया।

कोच तरुण सिंह चौहान ने बताया कि मेरठ में 11 से 18 अगस्त को यूपी स्टेट राइफल एसोसिएशन की ओर से दसवीं प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न उम्र वर्ग और स्तर की शूटिंग प्रतियोगिता खेली गई। इसमें मेरठ, गाजियाबाद, बागपत, गौतमबुद्धनगर, सहारनपुर, बुलंदशहर और अन्य जनपदों के करीब 150 अधिक खिलाड़ियों ने भाग लिया।

तरुण सिंह ने बताया कि उनके पिता देवेंद्र सिंह चौहान ने पुरुष और माता रेनू बाला चौहान ने महिला 60 उम्र वर्ग में एयर पिस्टल दस मीटर में स्वर्ण पदक जीता। दोनों ने स्वर्ण पदक जीत कर जनपद का गौरव बढ़ाया। दोनों का चयन अगले माह होने वाली राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिता के लिए हो गया है। इसके लिए इनक प्रशिक्षण शुरू हो गया है।

तीन साल से लगातार जीत रहे हैं प्रतियोगिता : स्वर्ण विजेता देवेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि वह और उनकी पत्नी रेनू बाला पिछले तीन वर्ष से प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता जीत रहे हैं। इसके अलावा भी जनपद में होने वाली विभिन्न प्रतियोगिता भाग लेकर पदकों पर निशाना लगाया है। अभी तक दोनों दंपति करीब 12 से अधिक स्वर्ण और रजत पदक जीत चुके हैं।

बेटे के प्रशिक्षण पर मां-बाप को गर्व

रेनू बाला चौहान ने बताया कि उनके बेटे तरुण सिंह चौहान राष्ट्रीय स्तरीय शूटर हैं और कोच भी रह चुके हैं। तरुण अपनी अकादमी में अन्य खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देते हैं। इसके साथ ही वह अपने माता-पिता को भी पिस्टल और रायफल शूटिंग सिखाने लगे। बच्चे सदैव अपने माता-पिता से सीखते हैं और बुजुर्ग होने पर बच्चे साथ छोड़ देते हैं, लेकिन तरुण ने इस उम्र में शूटिंग करना सिखाया। प्रतियोगिताओं में कामयाबी मिलने के बाद अपने बेटे के प्रशिक्षण पर गर्व होता है।

चार घंटे करते हैं अभ्यास

वह बताते हैं कि किसी भी प्रतियोगिता से पहले चार से पांच घंटे तक रोजाना अभ्यास करते हैं। हालांकि सामान्य दिनों में रोजाना अभ्यास करते के घंटे कम हो जाते हैं। क्योंकि प्रतियोगिता से पहले ही लक्ष्य को भेदने का अभ्यास बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि प्रतियोगिता के अलावा सामान्य दिनों में रोजाना दो से तीन घंटे अभ्यास किया जाता है।

हुनर से मिली पहचान

बुजुर्ग शूटर देवेंद्र सिंह चौहान और उनकी पत्नी रेनू बाला चौहान बताती हैं कि उन्हें ताउम्र इतनी ख्याति नहीं मिली, जितनी शूटिंग में पदक जीतकर मिली है। शुरुआत में लोग हंसते थे, लेकिन जब लक्ष्य पर निशाना लगते देखा तो हुनर की तारीफ करने लगे। इसीलिए शूटिंग में इतने पदक जीते हैं।

साभार- https://www.livehindustan.com/ से

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