पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव इस समय पाकिस्तान की जेल में बंद हैं। पाकिस्तान ने उनपर कथित जासूसी और आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया है। इसी तरह की साजिश पाकिस्तान ने भारत के एक इंजीनियर वेणुमाधव डोंगरा के खिलाफ रची थी जिसका समय रहते पर्दाफाश कर दिया गया। ऐसा भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की बुद्धिमत्ता और तुरंत कार्रवाई करने के कारण संभव हुआ।
इंजीनियर को सात सितंबर को अफगानिस्तान से वापस लाया गया है। डोंगारा की कंपनी युद्ध ग्रस्त अफगानिस्तान में आधारभूत संरचना का पुनर्निर्माण करने का कार्य करती है। वह केईसी इंटरनेशनल की सहायक कंपनी आरपीजी समूह में काम करते थे। पाकिस्तान की साजिश थी कि उनका नाम आतंकी समूह से जोड़ा जाए। जिससे कि वह भारत और आतंक के बीच संबंध स्थापित कर सके।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान इस साजिश को ऐसे समय पर अंजाम देना चाहता था जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी यात्रा पर हैं और वह वैश्विक मंच से पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने वाले हैं। पाकिस्तान चाहता था कि वह भारतीय इंजीनियर के नाम को संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति की सूची में शामिल करवा दे जिससे कि भारत की छवि धूमिल की जा सके। इस षड्यंत्र को चीन का पूरा समर्थन प्राप्त था।
पाकिस्तान ने इस योजना को मार्च में बनाया था। वह भारतीय इंजीनियर के नाम को उस आतंकी संगठन से जोड़ना चाहता था जिसने 2015 में पेशावर एयरबेस पर हमला किया था। इस घटना में 29 लोग मारे गए थे। अधिकारियों के अनुसार संयु्क्त राष्ट्र 1267 प्रतिबंध समिति को अमेरिका में हुए 9/11 हमलों के बाद बनाया गया था और यह वैश्विक आतंकी को नामित करती है।
डोंगारा अब बेशक भारत वापस आ चुके हैं लेकिन केईसी के छह कर्मचारियों को तालिबान ने बंधक बनाया हुआ है। यदि डोंगारा को सही समय पर बचाया न जाता तो इस बात की पूरी संभावना थी कि उन्हें जाधव की तरह अफगानिस्तान से आईएसआई द्वारा अगवा कर लिया जाता और उनपर जासूसी और आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के झूठे आरोप लगाए जाते।
डोंगारा एक मामूली कृषि पृष्ठभूमि से आते हैं लेकिन उन्होंने पावर सिस्टम में एमटेक किया हुआ है। उनकी पहली परियोजना अफगानिस्तान के बगलान प्रांत के दश्त-ए-अल्वान में 500 किलोवाट के सबस्टेशन को बनाने की थी। इसे जनवरी 2019 में पूरा कर लिया गया था। वह इस समय प्रोजेक्ट मैनेजर के तौर पर दोशी बमियान ट्रांसमिशन लाइन पर काम कर रहे थे।
भारतीय अधिकारियों के अनुसार आईएसआई ने एक डोजियर तक तैयार कर लिया था। जिसमें डोंगारा पर कथित आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप था। इसके लिए एफआईआर, फोटोज और अन्य झूठे सबूत बनाए गए थे। उन्हें कई पाकिस्तान विरोधी समूहों जिसमें जमात अल-अहरार, तारिक गिदार समूह, टीटीपी, आईएसआईएल और लश्कर-ए-झांगवी के एक फाइनेंसर और हथियार आपूर्तिकर्ताओं के रूप में चित्रित किया गया था।
अपनी नापाक हरकत के मद्देनदर पाकिस्तान ने डोंगारा के खिलाफ 11 मार्च को एफआईआर नंबर 81 दर्ज की थी। जिसमें उनके खिलाफ पेशावर में धारा 302, 324, 353, 148, 149 के तहत मामला दर्ज किया गया था। उनपर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित समूह तारिक गिदार समूह (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से अलग हुआ समूह) को हथियार और गोला-बारूद सप्लाई करने का आरोप लगाया गया था।