राजनांदगाँव । शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. ( श्रीमती ) बी.एन. मेश्राम से साहित्य सृजन और सम्प्रेषण के विविध आयामों की जानकारी देते हुए हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ. चन्द्रकुमार जैन ने अपनी नवीन कृतियाँ ससम्मान भेंट की । डॉ. जैन की बहुचर्चित और लोकप्रिय किताबों में मौजूदा सत्र में ही नई दिल्ली से प्रकाशित मौलिक आलेख संग्रह सृजन के आयाम और 1000 प्रश्नोत्तर में हिंदी साहित्य के इतिहास को समाहित करने वाली पुस्तक वस्तुनिष्ठ हिंदी साहित्य शामिल हैं ।
प्राचार्य डॉ. मेश्राम ने मौके पर ही पुस्तकों का अवलोकन कर उनके सुंदर, नयनाभिराम प्रकाशन और विषय वस्तु की उपयोगिता की दृष्टि से मुक्त कंठ से सराहना करते हुए लेखक डॉ. चंद्रकुमार जैन को शुभ कामनाएं दीं । इस अवसर पर डॉ. बी.एन. जागृत सहित हिंदी और पत्रकरिता विभाग के प्राध्यापक उपस्थित थे ।
उलेखनीय है कि डॉ. जैन की दस कृतियाँ प्रकाशित हैं और दो प्रकाशनाधीन हैं । उन्होंने मुक्तिबोध स्मारक की धरोहर रूप पत्रिका त्रिवेणी और जिला प्रशासन की स्मारिका अक्षर अक्षर महावीर सहित अन्य साहित्यिक कृतियों व महाविद्यालय की पत्रिका प्रज्ञा का लगभग 12 वर्ष संपादन किया है । यह क्रम निरंतर है । उनके करीब 30 शोध पत्र और 700 से अधिक लेख प्रकाशित हैं ।आकाशवाणी और दूरदर्शन पर 100 से अधिक वार्ताएं प्रसारित हो चुकी हैं । गौरतलब है कि प्रसार भारती की सॉफ्टवेयर योजना के तहत छत्तीसगढ़ के अंगराग पर आठ कड़ियों के धारावाहिक में भी डॉ. जैन का नाम शामिल हुआ है ।
डॉ. विनयकुमार पाठक, डॉ. चित्तरंजन कर जैसे भाषाविदों, साहित्यकारों तथा अकादमिक विशेषज्ञों का मंतव्य है कि डॉ.जैन की किताबों से साहित्य सेवियों, शोधार्थियों, उच्चतर कक्षाओं के विद्यार्थियों और पीएससी, यूपीएससी सहित सभी प्रतियोगी परीक्षार्थियों को सार्थक व सकारात्मक मार्गदर्शन मिल रहा है ।किताबें मील के पत्थर के समान हैं । यह संस्था और शहर के लिए भी गौरव की बात है ।