वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त अपनी एक रिपोर्ट को लेकर कानूनी विवादों में फंस गईं हैं। दरअसल, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एक शिकायत पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली के डीसीपी नार्थ ईस्ट को एक पत्र लिखकर जांच के निर्देश दिए हैं और मामले की रिपोर्ट 10 दिनों में सौंपने को कहा है।
दरअसल हुआ यूं कि दिल्ली दंगों के बाद बरखा दत्त उत्तरपूर्वी दिल्ली में एक पीड़ित परिवार से मिली थीं। इन दिनों बरखा दत्त ‘MOJO’ नाम से एक यूट्यूब चैनल चला रही हैं और अपने इसी चैनल के जरिए उन्होंने 16 मार्च को पीड़ित परिवार से बातचीत की थी, जिसका विडियो उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से शेयर किया था। इस विडियो में पीड़ित परिवार से बात करते हुए बरखा दत्त ने बताया कि दंगों के दौरान दस महीने की बच्ची को चोट लगी थी, जिसके चलते उसकी कॉलर बोन टूट गई। उसके माता-पिता बच्ची का अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं।
बस इसी रिपोर्टिंग के दौरान बरखा दत्त पर ये आरोप लगने लगा है कि उन्होंने पत्रकारिता के नियमों का उल्लंघन किया, क्योंकि उन्होंने बच्ची और उसके परिवार का चेहरा छिपाए बिना ही पहचान उजागर कर दी और असली नाम बताते हुए विडियो बनाया और उसे अपने ट्विटर पर डाला।
आयोग का कहना है कि इस मामले में उन्हें शिकायत मिली है कि उन्होंने (बरखा ने) जुवेनाइल जस्टिस अधिनियम 2015 की धारा 74 का उल्लंघन किया है। आयोग ने डीसीपी को दस दिनों के अंदर पूरे मामले की जांचकर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं और उसकी रिपोर्ट आयोग के सामने पूरे कागजात के साथ प्रस्तुत करने की भी बात कही है।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को यह शिकायत इंडीजीनस राइट्स-नॉर्थ ईस्ट फोरम (Forum for Indigenous Rights-North East) ने की थी, वहीं इस मामले की दूसरी शिकायत दिल्ली लीगल फोरम (Delhi Legal Forum) ने की थी।