Friday, November 29, 2024
spot_img
Homeभारत गौरवहीनं दुष्यति इति हिन्दू

हीनं दुष्यति इति हिन्दू

अब संस्कृत के इस शब्द को सन्धि विछेदन करें !

हीन+दू = हीन भावना + से दूर

अर्थात जो हीन भावना या दुर्भावना से दूर रहे मुक्त रहे वो हिन्दू है !

बार बार हमेशा झुठ बताया जाता है हिन्दू शब्द मुगलो ने हमे दीया जो “सिंधु” से “हिन्दू” किन्तु आज मैं तथ्य प्रमाण के साथ सिद्ध कर दूंगा हिन्दू शब्द वेद से उतपत्तित है !

आज जानिए…!कहाँ से आया हिन्दू शब्द,कैसे हुई इसकी उत्पत्ति…!!!!

भारत में बहुत से लोग हिन्दू हैं एवं वे हिन्दू धर्म का पालन करते है।अधिकतर लोग सनातन धर्म को हिन्दू धर्म मानते हैं। वहीं कुछ लोग यह कहते हैं कि हिन्दू शब्द सिंधु से बना है औऱ यह एक फारसी शब्द है। पर ऐसा कुछ नहीं है हमारे वेदो और पुराणों में हिन्दू शब्द का उल्लेख मिलता है। आज हम आपको बता रहे है हमें हिन्दू शब्द कहाँ से मिला ।

ऋग्वेद के ब्रहस्पति अग्यम में हिन्दू शब्द का उल्लेख इस प्रकार आया हैं

“हिमलयं समारभ्य यावत इन्दुसरोवरं ।

तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते।।

अर्थात : हिमालय से इंदु सरोवर तक देव निर्मित देश को हिंदुस्तान कहते हैं |

सिर्फ वेद ही नहीं बल्कि शैव ग्रन्थ में हिन्दू शब्द का उल्लेख इस प्रकार किया गया हैं

“हीनं च दूष्यतेव् हिन्दुरित्युच्च ते प्रिये।”

अर्थात : जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं

और इससे मिलता जुलता लगभग यही यही श्लोक कल्पद्रुम में भी दोहराया गया है :

“हीनं दुष्यति इति हिन्दू”

अर्थात जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते है।

4.पारिजात हरण में हिन्दू को कुछ इस प्रकार कहा गया है :

” हिनस्ति तपसा पापां दैहिकां दुष्टं ।

हेतिभिः श्त्रुवर्गं च स हिन्दुर्भिधियते ।।”

अर्थात : जो अपने तप से शत्रुओं का दुष्टों का और पाप का नाश कर देता है वही हिन्दू है |

माधव दिग्विजय में भी हिन्दू शब्द को कुछ इस प्रकार उल्लेखित किया गया है :

“ओंकारमन्त्रमूलाढ्य पुनर्जन्म द्रढ़ाश्य:।

गौभक्तो भारतगरुर्हिन्दुर्हिंसन दूषकः ।।

अर्थात : वो जो ओमकार को ईश्वरीय धुन माने कर्मों पर विश्वास करे,गौपालक रहे तथा बुराईयों को दूर रखे वो हिन्दू है।

केवल इतना ही नहीं हमारे ऋगवेद ( ८:२:४१ ) में विवहिन्दू नाम के बहुत ही पराक्रमी और दानी राजा का वर्णन मिलता है जिन्होंने 46000 गौमाता दान में दी थी और ऋग्वेद मंडल में भी उनका वर्णन मिलता है।ऋग वेद में एक ऋषि का उल्लेख मिलता है जिनका नाम सैन्धव था जो मध्यकाल में आगे चलकर “हैन्दव/हिन्दव” नाम से प्रचलित हुए

जिसका बाद में अपभ्रंश होकर हिन्दू बन गया।

***

(लेखक सनातन विचारक हैं)

अमरीका से श्रीमती संतोष कुमार कुलश्रेष्ठ द्वारा प्रेषित

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार