नई दिल्ली। राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, एआईसीटीई और एआईयू के सहयोग से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में कामधेनु पीठ स्थापित करने के बारे में एक राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया। राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष वल्लभभाई कथीरिया ने इस अवधारणा को प्रस्तुत करते हुए देश के सभी कुलपतियों और कॉलेज प्रमुखों से प्रत्येक विश्वविद्यालय और कॉलेज में कामधेनु पीठ स्थापित करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि हमें देशी गायों के कृषि, स्वास्थ्य, सामाजिक और पर्यावरणीय महत्व के बारे में युवाओं को शिक्षित करने की जरूरत है। सरकार ने अब गायों और पंचगव्य की क्षमता का पता लगाने की शुरुआत की है, इसलिए स्वदेशी गायों और हमारी शिक्षा प्रणाली से संबंधित विज्ञान को सामने लाने के लिए मंच उपलब्ध कराए जाने के साथ-साथ आधुनिक वैज्ञानिक एवं प्रक्रिया जन्य दृष्टिकोण के साथ ऊपर दर्शाए गए लाभों के बारे में अनुसंधान को बढ़ावा देने की जरूरत है।
शिक्षा राज्य मंत्री श्री संजय धोत्रे ने कामधेनु पीठ स्थापित करने की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि हमारा समाज गाय के अनेक लाभों से समृद्ध रहा है, लेकिन विदेशी शासकों के प्रभाव के कारण हम इसे भूल गए हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि हम इस पहल का समर्थन करें। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जब कुछ कॉलेज और विश्वविद्यालय कामधेनु पीठ शुरू कर देंगे तो अन्य विश्वविद्यालय भी इसका अनुसरण करेंगे। उत्पादों के रूप में अनुसंधान और प्रयोगात्मक कार्यान्वयन का प्रदर्शन करने की जरूरत है। विशेष रूप से यह कार्य समयबद्ध रूप से सटीक वैज्ञानिक डेटा के साथ आर्थिक रूप से प्रस्तुत करने की जरूरत है। श्री धोत्रे ने इस ऐतिहासिक पहल के लिए डॉक्टर वल्लभभाई कथीरिया के प्रयासों की सराहना की।
एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धे ने इस बात पर जोर दिया कि आत्मनिर्भर भारत केवल आत्मनिर्भर गांवों से ही संभव है। हमें नए और चमकते हुए भारत के लिए पुरानी समझ और नई प्रौद्योगिकी को आपस में जोड़ने की जरूरत है। गायों के माध्यम से कृषि अर्थव्यवस्था बहुत अधिक वैज्ञानिक भी है। उन्होंने सासंद ऑस्कर फर्नांडिस द्वारा पंचगव्य के स्वास्थ्य लाभों के बारे में दिए गए बयानों का उल्लेख किया। प्रोफेसर सहस्रबुद्धे ने कामधेनु अनुसंधान केन्द्र, कामधेनु अध्ययन केन्द्र और कामधेनु उत्कृष्टता केन्द्र और कामधेनु विश्वविद्यालय के लिए डॉ. कथीरिया की अपील के अनुसार गाय विज्ञान के बारे में अनुसंधान और विकास किए जाने पर जोर दिया।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सचिव प्रोफेसर रजनीश जैन ने इस नवाचारी पहल के लिए डॉ. कथीरिया का स्वागत और प्रशंसा करते हुए कहा कि यूजीसी कामधेनु पीठ के लिए पूरी सहायता प्रदान करेगी। यह अभियान उन कई बातों पर साक्ष्य आधारित वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देगा जिन बातों को हम जानते तो हैं, लेकिन उन्हें वैज्ञानिक रूप से साबित करने और स्वीकार योग्य बनाने की जरूरत है।
भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ (एआईयू) के महासचिव डॉ. पंकज मित्तल ने यह वादा किया कि एआईयू इस पहल में पूरी तरह मदद करेगी। गाय के पीछे एक बड़ा विज्ञान काम करता है, लेकिन अब समय आ गया है कि उस विज्ञान को स्थापित किया जाए और कामधेनु पीठ के माध्यम से युवाओं को इस बारे में संवेदी बनाया जाए।
एक खुले सत्र में अनेक विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों और कुलपतियों ने इस बारे में प्रसन्नता व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की पहल की सराहना की। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव, गुजरात में कामधेनु विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नरेश केलावाला, राजस्थान के सेवानिवृत्त कुलपति श्री कृष्ण मुरारीलाल पाठक, आरएजेयूवीएएस के कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा, हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक प्रो. सतीश कुमार, सौराष्ट्र विश्वविद्यालय के कुलपति श्री नितिन पेठानी, आरकेडीएफ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुदेश कुमार सोहानी, ज्योति विद्यापीठ महिला विश्वविद्यालय, जयपुर से डॉ. पंकज गर्ग, गोधरा के गुरु गोविंद सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. प्रताप सिंह चौहान, आईसीएफएआई विश्वविद्यालय के कुलपति ने भी अपने विश्वविद्यालयों में कामधेनु पीठ की स्थापना करने की घोषणा की।
अंत में, डॉ. कथीरिया ने कहा कि वे गाय आयोग के विभिन्न पहलुओं के बारे में सहयोग हेतु उन संबंधित मंत्रालयों के संपर्क में हैं, जहां आयोग उनके साथ मिलकर काम कर सकता है। इस वेबिनार की एंकरिंग राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के प्रोफेसर पुरीश कुमार ने की। श्री विजय तिवारी ने कामधेनु पीठ अभियान और इस वेबिनार में सहायता प्रदान करने वाले आरकेए, कुलपतियों और सरकारी निकायों के बीच तालमेल स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।