पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) रेल मंत्री सुरेश प्रभु भारतीय रेल का कायाकल्प करने की दिशा में एक साथ कई मोर्चों पर मेहनत कर रहे हैं। रेलवे में ग्लोबल बेंचमार्क स्थापित करने के लिए कर्मचारियों की कार्य संस्कृति में बदलाव लाया जा रहा है।
रेलवे की समस्त फैक्ट्रियों व कारखानों के लिए वैश्विक मानक स्थापित किए जा रहे हैं। रेल मंत्रालय के उपक्रम आरडीएसओ को विजन 2030 बनाने का ऐतिहासिक निर्देश दिए गए हैं। सुरेश प्रभु का दावा है कि आने वाले समय में रेल यात्रियों को विश्व स्तरीय सुविधाओं के साथ सुरिक्षत और सुखद सफर मुहैया कराने में भारतीय रेल समक्ष होगी।
रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने ‘हिंदुस्तान’ के साथ एक विशेष मुलाकात में कहा कि आगामी कुछ वर्षो में भारतीय रेल में नए ग्लोबल बेंचमार्क स्थापित होने जा रहे हैं। इसके लिए रेलवे बोर्ड के सभी सदस्यों और जोनल रेलवे के महाप्रबंधकों की जवाबदेही तय कर दी गई है। यदि वह तय किए गए लक्ष्यों में विफल साबित होते हैं तो कार्रवाई के लिए तैयार रहें। रेलवे कर्मचारियों को पुरानी कार्य संस्कृति से बाहर निकाल कर पेशवर बनाने की कड़ी में स्टेशन मास्टर से लेकर डीआरएम स्तर के अधिकारी की भी जिम्मेदारी तय की गई है।
भारतीय रेल में ग्लोबल बेंच मार्क स्थापित करने के लिए देश के प्रमुख उद्योगपति व रेलवे कायाकल्प परिषद के अध्यक्ष रतन टाटा की सहायता ली जा रही है।
आने वाले समय में कायाकल्प परिषद की सिफारिशों को रेलवे में लागू किया जाएगा। क्योंकि समर्पित कर्मचारियों की मदद से ही रेलवे में उच्च स्तरीय मानदंड स्थापित किए जा सकेंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि रेल इंजन कारखाने, कोच, व्हील, कंपोनेंट फैक्ट्रियों के विस्तार योजना के तहत उनमें वैश्विक मानक स्थाति किए जा रहे हैं। जिससे उनमें गुणवत्तापरक उत्पादन के साथ उनकी क्षमता बढ़ाई जा सके। इससे रेलवे पर आयात बोझ कम होगा।
सुरेश प्रभु ने रेलवे में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के इस्तेमाल के लिए रिचर्स डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑरगनाइजेशन (आरडीएसओ) को पहली बार विजन 2030 बनाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए रेलवे बोर्ड के सदस्य यांत्रिक व आरडीएसओ के साथ करार हुआ है। उन्होंने कहा कि डीआरडीओ के पूर्व प्रमुख वी.के. सरस्वत की मदद से विजन तैयार किया जा रहा है। जिससे सुरक्षित रेल चालने संबंधित नई तकनीक का इजाद व अन्य शोध कार्य किए जांएगे। खास बात यह है कि आरडीएसओ को समयबद्ध योजना को पूरा करना होगा। आरडीएसओ कई दिशा में काम कर रहा है। इसमें प्रमुख रूप से चलती टे्रन के डिब्बों, वैगन व इंजन में खराबी का पता लगाने के लिए नई तकनीक खोज रही है। रेल ट्रैक पर लगाए गए हाई स्पीड कैमरा के सेंसर दौड़ती ट्रेन में गड़बड़ी को पकड़ लेंगे।
ऑनबोर्ड एक्सलोरोमीटर व टेंपरेचर सेंसर के जरिए कोच के भीतर के हालात पर नजर रखा जाएगा। हवाई जहाज की तरह ट्रेनों में हाईब्रीड वैक्यूम बायो टॉयलेट तैयार किए जा रहे हैं। कोच के भीतर आग पकड़ने वाली फायर अलर्मा संबंधित एडवांस तकनीक पर शोध किए जाएंगे। मल्टी जनसेट लोकामोटिव (इंजन) का निर्माण किए जाएंगे। इसमें खपत में 20 फीसदी की कमी आएगी। एक्सल लोड बढ़ाने, डीएमयू की छतों में सोलर पैनल लगाने, प्लेटफार्म पर खड़े इंजन में 88 फीसदी ईधन खपत कम करने संबंधी एपीयू तकनीक लगाने, ढुलाई क्षमता बढ़ाने के लिए वगैन में दो स्तरीय लोडिंग की व्यवस्था करने आदि की दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है।
सुरेश प्रभु ने बताया कि दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-कोलकाता, दिल्ली-चैन्नई, मुंबई-कोलकाता, चैन्नई-कोलकाता, दिल्ली-जम्मू सहित दो दर्जन प्रमुख रेलवे रूट पर अत्याधिक कंजेशन वाले सेक्शनों पर तिसरी व चौथी लाइन बिछाने के लिए एलआईसी से 1.5 लाख करोड़ कर्ज लिया जा रहा है। इस साल 30 हजार करोड़ कर्ज जारी किया जा रहा है।
विद्युतीकरण व रेलवे ट्रैक की क्षमता बढ़ाने से उक्त प्रमुख रूट पर ट्रेनों की रफ्तार बढ़ेगी। अधिक यात्री ट्रेनें चलेंगी और लेटलतीफी की समस्या समाप्त हो जाएगी। प्रभु ने कहा कि रेलवे में अगले पांच सालों में 120 बिलियन निवेश की योजना है।
साभार- http://livehindustan.com/ से