Thursday, November 28, 2024
spot_img
Homeआपकी बातलव यू ज़िंदगी !

लव यू ज़िंदगी !

बुलबुले सफ़लता नहीं होती.ट्विटर के लाखों आभासी फैन,टिक टॉक के मिलियन व्यूअर, youtube पर वाहवाही या सिनेमा का हिट हो जाना सफ़लता नहीं होती. जो इसको सफ़लता मानते हैं वो बिल्कुल उस सांड की तरह हैं जो संस्कृति के नाम पर जीवन को रौंदता हुआ मौत का तांडव करता है. जिसमें चार पैरों से दो पैर का जानवर बना मनुष्य अपने अंदर छुपे हिंसक पशु को शांत करने के लिए चार पैर वाले पशु से लड़ता है. जान गंवाता है,पर उस पशु को हराना चाहता है उस पशु को हराना उसकी जीत होती है. ऐसी जीत उसके अंदर एक अराजक हिंसक पशु को जन्म देती है और ऐसी सफ़लता अंततः मौत के कगार पर खड़ी रहती है.

ज़िंदगी में किसी को हराना जब सफ़लता का मापदंड हो जाए तब विनाश निश्चित है. आज आप किसी को हराते हो,कल दूसरा आपको हरायेगा यह तय है उस वक़्त आप क्या करोगे… वही मौत की चौखट आपका इंतज़ार करती है क्योंकि जीतने का किल्लिंग इंस्टिंक्ट आपको मार डालेगा….

भूमंडलीकरण का दौर निर्माण का नहीं विध्वंस का दौर है. बाप दादा की ज़मीन बेचकर आप अमीर हो गए. नौकरी बेचकर पैकेज वाले आत्मनिर्भर हैं आप. सरकार देश को बेचकर जीडीपी बढ़ा रही है कमा नहीं रही ..तो आप भी कमा नहीं रहे,क़र्ज़ के नीचे दब रहे हैं यानी मौत के दरवाज़े पर खड़े हैं !

खुद को मारकर यानी दूसरे को हराकर पाई सफ़लता के ग्राहक होते हैं वो ग्राहक है मध्य वर्ग. यह मध्यवर्ग व्यक्तिगत सोग का वीभत्स जश्न मनाता है! चाहे हथनी की जलसमाधि हो या व्यक्ति की आत्महत्या! व्यवस्था के दमन का विरोध नहीं करता,वहां लाइव रसगुल्ले की आत्मकथा बांचता है!

इस संचार तकनीक के बेरहम क्रूर मज़ाक को देखिये मरे हुए मध्य वर्ग को यह रोज़ लाइव कर रहा है. उनके लिए लोकतंत्र एक पुरखों का दिया हुआ तोहफ़ा है जिसे बेचकर वो विकास युग में लाइव है. इस तकनीक के निर्माता और व्यापारी देश अमेरिका में लोग आभासी नहीं अहसासी लोकतंत्र के लिए सड़कों पर हैं इसी कोरोना काल में. पर ग्राहक तो आभासी लाइव है ..नागरिक होते तो सड़क पर होते …

याद रखिये लोकप्रियता आपकी सफ़लता नहीं है,बैंक बैलेंस आपकी सफ़लता नहीं होती आपकी सफ़लता होती है विकारों से लड़ने की योग्यता. विचार को समर्पित जीवन. कला तकनीक का उपयोग कर कोई भी लोकप्रिय हो सकता है पर उसको कला का मर्म मालूम हो यह जरूरी नहीं … कला मनुष्य को मनुष्य बनाती है ..जीवन को सुलझाती है वो आत्महत्या के लिए नहीं उकसाती ..ऐसा करने वाला कला के मर्म को नहीं जानता चाहे वो कितना महान क्यों ना हो … चाहे कितना गा ले यह तख्तों ..यह ताजों की दुनिया … अंततः उसको याद रखना है वो व्यक्ति है … और एक व्यक्ति को अपने जीवन के लिए लड़ना है .. जो ज़िंदगी के लिए हालात से नहीं लड़ सकते उनका हश्र तय है…

यही हमारे लोकप्रिय नेता का हश्र होने वाला है उसने देश को आत्महत्या की कग़ार पर खड़ा कर दिया है ..पर हैं वो लोकप्रिय बिल्कुल हिट लर की तरह हैं … भेड़ों के सबसे लोकप्रिय … मरे हुए मध्यवर्ग के लाइव आभासी नायक!

बात इतनी सी है अपने व्यक्ति को सुलझा लीजिये ..जितना व्यक्ति सुलझता है उतना वो विकारों से दूर होता है …और कला जैसी व्यक्ति को इंसान बनाने वाली साधना को कलंकित मत कीजिये …

आभासी लाइव होने की बजाए ..सड़क पर चल लीजिये .. लाखों ट्विटर फैन की बजाए एक व्यक्ति अपना बना लीजिये जिसके पहलु में रो सको, हंस सको ,गाली दे सको, लड़ सको … जिसका ऐसा एक भी दोस्त ना हो … उसका हश्र तय है ..

जीवन से बड़ा और नहीं है … व्यक्ति का होना ही इसी बात से है की वो मौत की गोद में जीवन का बाग़ उगाता है … लव यू ज़िंदगी !

#लवयूज़िंदगी #मंजुलभारद्वाज

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार