देश के संग्रहालयों में राजस्थान के जोधपुर शहर में कई रोचक,अनूठे,विस्मयकारी और आकर्षक संग्रहालय दर्शनीय हैं। इनकी विशेषता। इससे भी है कि ये महलों,किलों और उद्यानों के आकर्षण के मध्य स्थित हैं। संग्रहालयों के साथ साथ अतिरिक्त आकर्षण का केंद्र हैं। जोधपुर में उद्यान एवं मंडोर उद्यान में राजकीय एवं पुरातत्व संग्रहालय के साथ – साथ उम्मेद पैलेस एवं मेहरानगढ़ में भी आकर्षक संग्रहालय हैं। इनमें दर्शकों को क्षेत्र की पुरा वस्तुओं के साथ -साथ राजसी जन जीवन के प्रदर्शन देखने को मिलते हैं। राजस्थान राज्य संगीत अकादमी द्वारा संचालित लोक यंत्रों का एक अलग संग्रहालय है। इसमें विविध प्रकार के लोक वाद्यों के साथ साथ कपड़े पर फड़ चित्रण, नर्तकों एवं नाट्य कलाकारों की वेशभूषा आदि का संग्रह दर्शनीय हैं।
उम्मेद पैलेस संग्रहालय
उम्मेद भवन पैलेस का संग्रहालय जोधपुर के शाही परिवार द्वारा इस्तेमाल की गई प्राचीन वस्तुओं की एक विस्तृत श्रृंखला को प्रदर्शित करता है। इस संग्रहालय में हवाई जहाज के मॉडलों, हथियारों, प्राचीन वस्तुओं, घड़ियों, बॉब घड़ियों, बर्तनों, कटलरी का शानदार संग्रह देखने को मिलता है। मारवाड़ राजघराने के सारे राजाओं और वर्तमान राज परिवार की भी तस्वीरें यहां प्रदर्शित की गई हैं। लाइफ स्टाइल गैलरी में खास तौर पर महाराजा उम्मेद सिंह द्वारा 1940 से 1950 के बीच इस्तेमाल की हुई वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया हैं। यहां कटलरी एवं घड़ियों का सुंदर और नायाब संग्रह है। किस्म किस्म की घड़ियां अलग अलग देशों की बनी हुई हैं। कुछ घड़ियां ऐसी हैं जो तारीख महीना और साल भी बताती हैं। ये सारी घड़ियां मैकेनिकल दौर की हैं। बड़ी घड़ियों से लेकर निहायत छोटी चांदी की बनी अंगूठी घड़ी भी देख सकते हैं। यहां ड्रेसिंग टेबल और अलग -अलग डिजाइन के आइने देख सकते हैं। इसके साथ मर्तबान और कटलरी का भी शानदार संग्रह है। और इन सब चीजों को देखते हुए मन भर जाए तो रेलवे लोकोमोटिव का मिनिएचर आपको चौंका देता है। दो घड़ियां ऐसी भी हैं जो रेलवे लोकोमोटिव के डिजाइन की बनी हुई है।
यहां मिनिएचर कारें भी देखी जा सकती हैं। संग्रहालय से बाहर निकलते हैं को एक दर्जन के करीब असली कारें प्रदर्शित की गई हैं। ये कारें अलग अलग समय में राज परिवार द्वारा इस्तेमाल की जाती थीं। उम्मेद भवन के माडल भी देखने को मिलते हैं। यहां जानकारी मिलती है कि उम्मेद भवन के निर्माण में तब 94 लाख 51 हजार 565 रुपये खर्च हुए थे। यह विश्व के सबसे बड़े निजी आवास में शुमार है। 1978 में इसके एक हिस्से को निजी हेरिटेज होटल में तब्दील किया गया। महल का स्थापत्य अत्यंत आकर्षक हैं। अंदरुनी शिल्प अचंभित कर देने वाला है।
मेहरानगढ़ संग्रहालय
जोधपुर शहर के मेहरानगढ़ क़िले में चित्ताकर्षक महल और इसमें भारत के शाही दरबार के जीवन से जुड़ी महत्त्वपूर्ण और बेशक़ीमती वस्तुएं, अवशेष आदि संग्रहण करके संग्रहालय में संरक्षित किए गए हैं। मेहरानगढ़ संग्रहालय की एक विशिष्ठ पहचान और महत्त्व है तथा यह इसमें संरक्षित रखी गई कलाकृतियों तथा केन्द्रीय राजस्थान और मारवाड़ जोधपुर के बड़े क्षेत्रों के सांस्कृतिक इतिहास का खजाना है। संग्रहालय में 17 वीं से 19 वीं शताब्दी की मिनिएचर पेंटिंग्स, अस्त्र – शस्त्र तथा ज़िरह – बख़्तर (कवच) के अतुल्य संग्रह के कारण यह म्यूज़ियम महत्वपूर्ण है। सजीली वस्तुओं, फर्नीचर के साथ अद्भुत वस्त्रों का भी वैभवशाली संग्रह है। यहां के अनेक संग्रहों ने बहुत सी अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में भी भाग लेकर मारवाड़ की संपन्न और बहुमूल्य विरासत को प्रदर्शित किया गया है। पालकी खाने में अनेक किस्म की आकर्षक एवं कलात्मक पालकियां, डोली, होदे, देखते ही बनते हैं। एक कक्ष में पगड़ियों का अनूठा एवं नायाब संग्रह देखा जा सकता है। संग्रहालय के साथ साथ खूबसूरत महल आकर्षण का केंद्र हैं। मेहरानगढ़ के मार्ग में बना जसवंत थडा में भी चित्रों का संग्रह देखा जा सकता है।
राजकीय संग्रहालय
जोधपुर के पब्लिक पार्क जिसे उम्मेद उद्यान भी कहते हैं में स्थित राजकीय संग्रहालय में खूबसूरत और नायाब चीजें देखते ही बनती हैं। संग्रहालय को यहां दरबार स्कूल नहीं से 1936 में शिफ्ट किया गया था और आगे जुलाई-अगस्त 2017 में सुमेर पब्लिक लाइब्रेरी की इमारत में सजाया गया। यहां की विशेषता है कि मारवाड़ की प्राचीन राजधानी मंडोर गार्डन की खुदाई के समय भूगर्भ से मिली सातवीं और आठवीं शताब्दी की गोलाकार चांदी की 30 छोटी -छोटी मुद्राएं सुरक्षित हैं। इसमें 650 से 1100 ईस्वीं तक के सिक्के भी हैं। संंग्रह में सांभर के नमक से निर्मित सौ बरस पुराने सुराही, कप, प्लेट,कटोरे, जाम व गिलास आदि भी दर्शनीय हैं। संग्रहालय में शस्त्रागार, शाही वस्त्र आभूषण, स्थानीय कला और शिल्प, लघु चित्रकारी, शासकों के चित्र, पांडुलिपियां और जैन तीर्थंकरों की छवियों सहित प्राचीन अवशेषों का एक समृद्ध संग्रह है। वन्यजीव प्रेमी इसके समीप स्थित चिड़ियाघर भी देख सकते हैं।
मंडोर संग्रहालय
जोधपुर के मंडोर उद्यान के प्राचीन महलों में एक पुरातत्व संग्रहालय की स्थापना 1968 ई. में की गई थी। यहां वास्तुकला, प्रस्तर कला, मूर्तिकला के अवशेष, शिलालेख, चित्र, खुदाई से प्राप्त अवशेष तथा हस्तकला आदि का संग्रह दर्शनीय है। यहां प्रदर्शित 10वीं शताब्दी के जैन संत की चरण पादुका को आराध्य देव के रूप में पूजा जाता है। संग्रहालय में 168मूर्तियां, 58 पेन्टिंग, 36 शिलालेख एवं 20 विविधि सामग्री प्रदर्शित की गई हैं। संग्रहालय के साथ – साथ देवताओं की साल, राजाओं की स्मृति में निर्मित कलात्मक छतरियां और उद्यान मंडोर को प्रमुख आकर्षक पर्यटक स्थल बना देता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं व राजस्थान जनसंपर्क विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं)