नई दिल्ली। प्रो. (डॉ.) सुरभि दहिया की पुस्तक ‘ द हाउस दैट बिल्ट ज़ी’ का विमोचन वर्ल्ड जर्नलिज्म एजुकेशन काउंसिल, भारतीय जन संचार संस्थान और यूनेस्को द्वारा आयोजित दो दिवसीय सम्मलेन में किया गया। विश्व के प्रख्यात मीडिया शिक्षकों ने इस पुस्तक का विमोचन किया। भारत के मीडिया मुगल कहे जाने वाले डॉ. सुभाष चंद्रा एवं उनके द्वारा स्थापित ज़ी समूह की विस्तृत कार्यप्रणाली का इस पुस्तक में तथ्यात्मक एवं शोधपरक तरीके से प्रस्तुतीकरण किया गया है।
पुस्तक की लेखिका एवं भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली में अंग्रेजी पत्रकारिता विभाग की पाठ्यक्रम निदेशक प्रो. सुरभि दहिया ने पुस्तक के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि यह पुस्तक भारत के सबसे प्रतिष्ठित मीडिया समूह की विरासत, इससे जुड़े लोगों और इसके पीछे की रणनीतियों पर केंद्रित है। डॉ. सुभाष चंद्रा और उनके बेटे श्री पुनीत गोयनका और श्री अमित गोयनका ने अपनी उद्यमशीलता और दूरदर्शिता से जिस तरह ज़ी समूह को एक अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड बनाया है, वो पूरे विश्व के लिए एक मिसाल है।
पुस्तक के विमोचन के अवसर पर नॉर्थ टेक्सास यूनिवर्सिटी के डॉ. एलन बी अलबैरन ने कहा कि डॉ. दहिया द्वारा दी गई तथ्यात्मक एवं विश्लेषणात्मक जानकारियों के तालमेल से तैयार यह पुस्तक पाठकों को ज़ी मीडिया के पहले तीन दशकों की एक अद्भुत यात्रा कराती है। इस अवसर पर लॉफबोरो विश्वविद्यालय के डॉ. ग्राहम मर्डोक ने कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से भारतीय मीडिया उद्योग में होने वाली घटनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है।
कार्यक्रम में हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के चेयरमैन प्रो. बृजकिशोर कुठियाला, एक्सचेंज फॉर मीडिया के संस्थापक श्री अनुराग बत्रा, हांगकांग बैपटिस्ट यूनिवर्सिटी के डॉ. दया थुस्सु, डॉ. देवेश किशोर, यूनिवर्सिटी ऑफ नार्थ कैरोलीना के डॉ. देब एैकत, यूनेस्को के म्यांमार ऑफिस से जुड़े प्रो. रैमन गुलैमो, फ्यूचर यूनिवर्सिटी, इजिप्ट की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रशा अल इबरी, खलीफा यूनिवर्सिटी, अबू धाबी से डॉ. सादिया जमील, ऑकलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी से श्री रिचर्ड पमैटाटो और रूपा पब्लिकेशंस के प्रबंध निदेशक श्री कपीश मेहरा ने भी पुस्तक के संबंध में अपने विचार व्यक्त किए।
पुस्तक की कहानी 1890 के अविभाजित पंजाब से शुरू होती है, जहां से गोयनका परिवार ने अपने व्यवसाय की शुरुआत की। किताब में गोयनका परिवार के सफल कृषि-व्यवसाय से लेकर डॉ. सुभाष चंद्रा के भारत का पहला उपग्रह टेलीविजन चैनल की शुरुआत का विस्तार से वर्णन किया गया है। यह डॉ. चंद्रा का एक ऐसा कदम था, जिसने न केवल कई टेलीविजन चैनलों को जन्म दिया, बल्कि सोनी और न्यूज कॉर्पोरेशन जैसे वैश्विक दिग्गजों के सामने भारत को एक प्रमुख टेलीविजन बाजार के रूप में स्थापित किया।
Ankur Vijaivargiya
Associate – Public Relations
Indian Institute of Mass Communication
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