पैराग्लाइडिंग की तरह आसमान में ऊंचाई तक उड़ने और प्रकृति के चित्ताकर्षक दृश्यों को देखने की सम्भावना ने पैरा मोटर गलाईड को भी एक अत्यधिक लोकप्रिय चरम साहसिक खेल बना कर रोमांचक पर्यटन में नया आयाम जोड़ दिया है। पैराग्लाइडिंग के विचार ने पैरामोटरिंग को जन्म दिया। जैसा कि नाम से पता चलता है, पैरामोटरिंग में एक मोटर का उपयोग किया जाता है जो ग्लाइडिंग के दौरान हवा को आगे बढ़ाता है – यह आपको व्यावहारिक रूप से कहीं से भी टेक-ऑफ करने में मदद करता है।
पैरामोटर ग्लाइडिंग ऐसी ही रोमांचक गतिविधि है जिस से पर्यटक उड़ान भर कर रोमांचित होते हैं। पैरा मोटर ग्लाइडिंग में एक शक्तिशाली मोटर पैराशूट से जुड़ी रहती है। पैरामोटर में पैराशूट और इंजन के संयोजन शामिल होता है। इसकी सहायता से पर्यटक हवा में ऊपर उड़ना शुरू होते है। काफी ऊंचाई पर पहुंच कर वह अपने ग्लाइडर की दिशा भी तय कर सकते है। जबकि सामान्य पैराशूट की दिशा हवा की दिशा से तय होती है। मोटराइज्ड लाइट एयरक्राफ्ट के बीच सबसे आसान संरचना है। पैरामोटर हल्के मोटर चालित विमानों में सबसे आसानी से बनाया जाने वाला वाहन है। यह पैराग्लाइडिंग के अनुकूलन के साथ काम करता है। पैरामोटर की जमीन से ऊंचाई सीधे पायलट से जुड़ी होती है, जमीन से 5 किमी की ऊंचाई तक पहुंच सकता है।
पैरामोटरिंग के दो प्रकार हैं एक फुट लॉन्च और दूसरा व्हील लॉन्च। फुट लॉन्च एक फ्रेम से जुड़ी एक हार्नेस का उपयोग करता है, जो बदले में, इंजन के साथ हार्नेस को जोड़ती है और एक प्रोपेलर जिसे बैकपैक की तरह पहना जाता है। इसमें पर्यटक को एक रनिंग लॉन्च करने की आवश्यकता होती है। दूसरी ओर व्हील लॉन्च दो लोगों के लिए है, क्योंकि इसमें तीन या चार पहियों वाली गाड़ी शामिल है। इसमें इंजन एक तीन-पहिया वाहन का हिस्सा होता है जिसे ट्राइक कहा जाता है। ट्राइक एल्युमिनियम से बनी है ताकि वाहन को यथासंभव हल्का रखा जा सके।
पैरा मोटर ग्लाइडर का सर्वप्रथम उपयोग 1980 के दशक में किया गया और आज यह भारत में पर्यटन के क्षेत्र में लोकप्रिय हो गया है। भारत के कई पर्यटन स्थलों पर यह पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षक गतिविधि बन चुका हैं और साहसिक पर्यटन को बढ़ावा दे रहा है।
पैरामोटरिंग युद्ध के दौरान वायु सेना द्वारा नियोजित एक विधि के रूप में शुरू हुई, और यह एक खेल में विकसित हुआ। भारत में पैरामोटरिंग एक नई हवाई खेल अवधारणा है जो धीरे-धीरे अधिक उत्साही लोगों के साथ संचालित हो रही है जो संचालित पैराग्लाइडिंग सीखना चाहते हैं।अकेले उड़ने का तरीका सीखने में एक व्यक्ति को 15-25 दिन लगते हैं। अकेले 200 घंटे के अभ्यास के बाद, आप एक व्यक्ति को एक साथ उड़ान पर ले जाने के लिए पर्याप्त अनुभव प्राप्त कर लेते हैं। उड़ान भरने के लिए कोई लाइसेंस नहीं है, क्योंकि यह केवल एक खेल है। उड़ने के लिए आपका वजन 40 से 80 किलो के बीच होना चाहिए। एक सवारी के लिए। आमतौर पर 2,500 रूपये तक शुल्क चुकाना होता है। स्थान विशेष के आधार पर यह अलग – अलग भी रहता है।
शाम के समय डूबते सूरज और पेड़ों व भवनों पर उसकी रोशनी के दृश्य देखने के लिए शाम का समय और चांद को और उससे उत्पन्न नज़रों को देखने के लिए रात में उड़ान भरने का रोमांच का अपना मज़ा हैं। पहाड़ों ,झीलों और प्रकृति के सौंदर्य को आसमान से निहारने के लिए सुबह और शाम कभी भी उड़ान भर सकते हैं।
चेन्नई में, एयरोस्पोर्ट्स कंपनी पैरामोटरिंग सवारी के साथ-साथ प्रशिक्षण भी प्रदान करती है। एयरो स्पोर्ट्स चेन्नई के पल्कलाई नगर, पलवक्कम में है। जम्मू के कटरा माता वैष्णो देवी धाम एवं शिवखोड़ी धाम रनसू मेंभक्तों के लिए पैरा मोटर की सेवाएं उपलब्ध हैं। हरिद्वार में भी पैरा मोटर सेलिंग प्रशिक्षण एवं स्वैच्छिक उड़ान का सेंटर डीएवी पब्लिक स्कूल जगजीतपुर के सामने नगर निगम की भूमि पर खोला गया है। हरिद्वार मे पैरा मोटर फ्लाइंग और पैरा ट्राइक प्रशिक्षण केंद्र की शुरुआत हो गई। पौड़ी जिले में जल्द ही हवाई खेलों की शुरूआत होने जा रही है। पौड़ी जनपद को एयरो स्पोर्ट्स गतिविधियों के केन्द्र के रूप में विकसित करने की योजना के अन्तर्गत तीन पैरा मोटर (सोलो पैरामोटर) इटली की कंपनी से खरीदे गए हैं। इनका उपयोग पौड़ी के सतपुली(बांघाट), खैरासैंण में साहसिक खेल गतिविधियों को आय का जरिया बनाने वाले युवाओं को प्रशिक्षित करने में किया जाएगा छत्तीसगढ़ के मैनपाट पटपरिया में पैराग्लाइडिंग और पैरा मोटर की शुरुआत की जा रही है। गोवा, पुणे, मुंबई,दिल्ली में भी इसकी सवारी का लुत्फ उठा सकते हैं। राजस्थान में जैसलमेर, जोधपुर, उदयपुर, अजमेर, राजसमन्द आदि में पर्यटक पैरा मोटर से आसमान में उड़ने का मज़ा ले सकते हैं।
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(लेखक वरिष्ठ स्वतंत्र अधिस्वीकृत राज्य स्तरीय पत्रकार हैं)