ग्वालियर। बहु-ब्रांड खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को प्रत्यक्ष विदेषी निवेष (एफडीआई) नीति के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है। विदेशी कंपनियों को भंडारण आधारित मॉडल के अनुसार कार्य करने पर मनाही है, और नकदी जलाने वाले मॉडल से कीमतों को प्रभावित करना उनके लिए प्रतिबंधित है। अमेजन और फ्लिपकार्ड-वालमार्ट जैसी बहुराष्ट्रीय ई-कॉमर्स कंपनियां भारत में खुले तौर से नियमों का उल्लंघन कर व्यवसाय का संचालन कर रही हैं।
यह सर्वविदित ही है कि अमेज़न और फ्लिपकार्ट का 80 प्रतिषत ऑनलाइन व्यवसाय पर क़ब्ज़ा है। उनके द्वारा दी जा रही छूट ऑफलाइन बाजारों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। वे आम जनता को लुभाने के लिए आक्रामक रूप से विज्ञापन देकर, उच्च छूट की पेशकश करते हैं। जनता सुविधा से अधिक छूट के लिए इनकी ओर आकर्षित होती है। इस चलन से स्थानीय दुकानों और किराना दुकानों पर विपरीत असर पड़ रहा है।उसके साथ थोक व्यापारी और ट्रांसपोर्ट आदि में संलग्न लोग भी बड़ी मात्रा में अपना रोजगार खो रहे हैं।
लंबे समय से मांग थी कि भारत में प्लेटफॉर्म की आड़ में अवैध रूप से ई-कॉमर्स कारोबार करने वाली ई-कॉमर्स कंपनियां जो विदेशी फंड के आधार पर यानी ’कैश बर्निंग मॉडल’ के आधार पर भारी छूट दे कर बाजारों पर कब्जा कर रही हैं, अपने वित्तीय दस्तावेजों का ऑडिट कराएँ और उन्हें अनिवार्य रूप से सार्वजनिक करें। लेकिन इन कंपनियों ने सदैव अपने दस्तावेजों को सार्वजनिक करने से परहेज किया।
अमेजन भारतीय विदेषी पूंजी विनियमों को दरकिनार करते हुए छोटे खुदरा विक्रेताओं को नुकसान पहुंचाने के लिए क्लॉऊडटेल और एप्पेरियो जैसे विक्रेताओं के चयनित समूह को प्राथमिकता देता है। अमेजन ने सोलिमो और अमेजनबेसिक्स जैसे प्रतिस्पर्धी उत्पादों और ब्रांडों को शुरू करने के लिए अपने स्वयं के विक्रेताओं से जानकारी एकत्र की। अमेज़ॅन वेब सर्विसेज (एडब्ल्यूएस) के माध्यम से भारत में अमेज़ॅन ई-मार्केट प्लेस पर विक्रेताओं से अपनी उपस्थिति को बेहतर बनाने में मदद करने की आड़ में बहुत भारी शुल्क वसूल कर उनका शोषण भी कर रहा है।
अमेज़ॅन छोटे आपूर्तिकर्ता से जबरदस्ती कर उत्पादों की श्रृंखला की पर्याप्त न्यूनतम मात्रा अपने पूर्ति केंद्रों पर रखने हेतु मजबूर करता है। इन आपूर्तिकर्ताओं को वेयरहाउसिंग, परिवहन आदि के लिए भी भुगतान करना पड़ता है। इसके परिणामस्वरूप विक्रेताओं के लिए बहुत भंडारण लागत अधिक होती है।
भारत में अमेज़न इतना ताकतवर हो चुका है कि वह विक्रेताओं को आगे बढ़ाने या नुक़सान पहुँचाने, छोटे व्यवसायों को नष्ट करने, उपभोक्ताओं पर कीमतें बढ़ाने और कर्मचारियों को काम से बाहर करने की स्थिति में है। पूर्ति केंद्रों (गोदाम) में श्रमिकों के लिए काम करने की स्थिति अत्यंत खराब है, जहां उन्हें बिना उचित आराम के लंबे समय तक काम करने के लिए मजबूर किया जाता है।
अमेजन का दावा है कि वह नौकरियां पैदा कर रहा है। लेकिन यह नहीं बताया जाता कि हर एक नौकरी जो वह पैदा करती है, वह दस अन्य नौकरियों को नष्ट कर रही है। यह स्पष्ट है, क्योंकि यह खुदरा व्यापार में मशीनीकरण करने में सबसे आगे है और अन्यान्य कई तरीकों से बाजार पर कब्जा करते हुए परंपरागत व्यवसायों से लोगों को बाहर करता है। गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में इन ई-कॉमर्स कंपनियों के कारण 40,000 मोबाईल दुकानें बंद हो चुकी है।
अमेज़ॅन स्टार्टअप्स को निवेश करने के प्रस्ताव के साथ लुभाता है, और फिर प्रतिस्पर्धी उत्पादों को लॉन्च करता है जिससे न केवल स्टार्टअप्स का विकास अवरूद्ध होता है, देष में उद्यमिता की संस्कृति के लिए भी यह अत्यधिक हानिकारक है।
अमेज़ॅन अपनी ई-कॉमर्स खुदरा गतिविधियों के साथ-साथ छोटी बड़ी खुदरा दुकानों का अधिग्रहण करने की होड़ में है। शॉपर्स स्टॉप और मोर रिटेल चेन में इसका निवेश इस दिशा में कुछ प्रमुख कदम हैं।
2017-18 से 2019-20 तक, केवल तीन वर्षों में, अमेजन ने भारत में कानूनी और पेशेवर शुल्क पर 9,788 करोड़ खर्च किए हैं। आंतरिक स्रोतों से यह खुलासा हुआ है कि भारत में अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए इन खातों के माध्यम से पैसा भेजा जा रहा है।
कानूनी और वाणिज्यिक शुल्क के रूप में रिश्वत का भुगतान कोई नया तरीका नहीं है। केवल अंतर यह है कि आज के समय में इसका परिमाण काफी बढ़ गया है। कंपनी ने अपनी कानूनी व्यावसायिक गतिविधियों के लिए कई कानूनी फर्मों को काम पर रखा हुआ है। अमेजन कंपनी इन क़ानूनी फ़र्मों को भारी कानूनी शुल्क का भुगतान करती है, और उसके बाद ये कंपनियां उस शुल्क को किसी अन्य कंपनी में स्थानांतरित कर देती हैं और उसके बाद एक कड़ी बन जाती है और अंत में अंतिम कानूनी फ़र्म या वकील या कोई पेशेवर, संबंधित अधिकारी को नकद में राशि प्रदान करता है। यह कार्य इतनी चालाकी से किया जाता है कि कंपनी द्वारा एकमुश्त रिश्वत लेने का कोई मामला नहीं बनता है। समझना होगा कि यह बहुत गंभीर मामला है। इससे यह भी सिद्ध होता है कि सभी ऐसी बड़ी ई कामर्स कंपनियों द्वारा लाइसेंस और अनुमतियां धोखाधड़ी से अनुचित साधनों का उपयोग करके प्राप्त की गई।
स्वदेशी जागरण मंच की यह राष्ट्रीय सभा मांग करती है किः इन कंपनियों को दी गई सभी अनुमतियों को तत्काल वापस लिया जाए और उनकी सभी गतिविधियों को अवैध घोषित किया जाए।
पूरे मामले की सीबीआई जांच हो और जैसे ही इन कंपनियों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लाभ प्राप्त करने वाले उच्च कार्यालयों में बैठे लोगों सहित सरकारी अधिकारियों के बारे में पता चले, उन्हें पूरे मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए छुट्टी पर भेजा जाए और उनके अपराधों के लिए उन्हें दंडित किया जाए।
स्वदेशी जागरण मंच
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15वीं राष्ट्रीय सभा, ग्वालियर (म.प्र.)