साहित्य के क्षेत्र में बचपन से ही कविता, दोहे, शेर, शायरी, गीत में रुचि रखने वाले अपनी रुचि, इच्छाशक्ति, निरंतर अभ्यास से लेखक और साहित्य में अपना मुकाम बना लेते हैं। कुछ लोग शौकिया तौर पर गद्य – पद्य लिखते हैं। राम मोहन कौशिक भी एक ऐसी शख्शियत हैं जिन्होंने भारतीय रेल विभाग में इंजीनियर होते हुए सेवा निवृत्ति के उपरांत समय का उपयोग करते हुए भारतीय सभ्यता और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को अपनी पुस्तक के माध्यम से उजागर किया।
अपनी “ज्ञान गंगा” पुस्तक की लोकप्रियता से प्रेरित होकर एक संकल्प के तौर पर लिखी गई पुस्तक *भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति* 31 जनवरी 2021को सामने आई। इस पुस्तक में सभ्यता,संस्कृति,अर्थ,परिभाषाएं, वैदिक,महाकाव्य काल, रामायण रचना और भारतीय संस्कृति पर प्रभाव, श्रीमद् भागवत गीता का दर्शन,जैन, बौद्ध,वैष्णव, शैव, शाक्य,मुस्लिम, सिख धर्म और दर्शन,संगम युग का साहित्य, सूफी मत,ईसाई धर्म, पारसी सिद्धांत पर वैचारिक दृष्टि से प्रकाश डाला है।साथ ही मध्य कालीन भक्ति आंदोलन,हिदू धर्म के सोलह संस्कार,मध्य कालीन भारतीय संस्कृति,19 वीं सदी के धर्म और समाज सुधार आंदोलन के विषयों को भी शामिल किया गया है। भारत के प्रमुख वैज्ञानिक,प्राचीन एवं वर्तमान शिक्षा का स्वरूप तथा भारतीय हिंदू सभ्यता और संस्कृति पर पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव विषयों पर लेखक का गूढ़ चिंतन साफ झलकता है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति पर उक्त विषयों को 30 अध्यायों में विभक्त कर सूक्ष्म विवेचन किया गया है। निसंदेह यह पुस्तक भारतीय सभ्यता, संस्कृति, धर्म , दर्शन और कला को समझने और जानने का एक महत्वपूर्ण श्रोत बन गई है।
समाज और रेल विभाग के कर्मचारियों के लिए समय का सकारात्मक उपयोग करते हुए उपयोगी और मार्गदर्शक पुस्तकें लिखने कर रहे हैं। इनसे मेरा परिचय इनकी पुस्तकों को देखने और पढ़े से हुआ। ये पुस्तकें मुझे सीनियर सेक्शन इंजीनियर अनुज कुमार कुच्छल ने मुझे उपलब्ध कराई थी। पिछले दिनों मेरी एक पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में आपसे प्रथम मुलाकात हुई। उस समय आप द्वारा लिखित पुस्तकों और लेखकीय रुचि आदि के बारे में आपसे चर्चा का अवसर प्राप्त हुआ।
आपने बताया कि पढ़ने के शोक की वजह से सेवाकाल के दौरान विभागीय नियमावलियों का गूढ़ अध्ययन कर अपने नोट बनाते थे। ऐसी जानकारी जो रेलवे की प्रतियोगी परीक्षाओं और अंतर्विभागीय परीक्षाओं के लिए उपयोगी हैं उन सब का संकलन करना आपकी गहन रुचि रही है। सेवा निवृत्ति के पश्चात आपने उचित समझा कि वे सेवाकाल के अपने अनुभवों पुस्तकों के रूप में लिपिबद्ध करें और अपनी ऊर्जा का सही उपयोग करें।
वैसे ‘ट्रेक मशीन ज्ञान सुधा’ नामक पुस्तक लेखन का प्रथम अनुभव आपने सेवा काल में ही प्राप्त कर लिया था। यह शुद्ध रूप से रेलवे कर्मचारियों के लिए एक उपयोगी कृति थी। कोरोना काल में जब घर में ही रहने की मजबूरी थी ,आपने इस समय का सदउपयोग करते हुए पुस्तक लेखन का क्रम बनाया। आपकी दूसरी पुस्तक जुलाई 2020 में ‘ज्ञान गंगा’ प्रकाशित हुई जिसे आपने अपनी स्व. माता जी के चरणों में समर्पित किया। इस पुस्तक में विभिन्न विषयों पर ज्ञानवर्धक जानकारी का समावेश किया गया है।
समEजोपयोगी दो पुस्तकों के लिखने के उपरांत पश्चात रेलवे क्षेत्रीय प्रशिक्षण संस्थान उदयपुर में अपने प्रशिक्षक अनुभव का उपयोग करते हुए इन्होंने रेलवे विभागीय परीक्षाओं हेतु लिखना प्रारम्भ किया। लेखन के क्रम में आपकी चौथी पुस्तक रेल ज्ञान से भरपूर *रेल पथ ज्ञान संचिका* तथा पाँचवी पुस्तक *रेल सेवा नियम ज्ञान संचिका* प्रकाशित हुई। ये दोनों पुस्तकें रेलवे विभागीय परीक्षाओं में अत्यन्त उपयोगी सिद्ध हो रही हैं। इन पुस्तकों से ज्ञान अर्जित कर कई रेलवे कर्मचारी पदोन्नति पाने में सफल रहे हैं और अधिकारी पद तक पहुंच चुके हैं। एक लेखक के लेखन की इससे बड़ी सार्थकता और क्या हो सकती हैं कि उसके लिखने के रचनात्मक परिणाम सामने आए। ये पुस्तकें रेलवे कर्मचारियों के मध्य खासी लोकप्रिय हो गई हैं।
वह बताते हैं कि वर्ष 2020 कोरोना महामारी के संक्रमण वर्ष में जून 2020 को भारतीय रेलवे इंस्टीट्यूट आफ सिविल इंजीनियरिंग पुणे द्वारा भारतीय रेल पथ नियमावली प्रकाशित की गई।इस नियमावली के साथ-साथ सभी करेक्शन स्लिप (शुद्धि का) को भी समायोजित कर दिया गया। यह आवश्यकता अनुभव की गई कि भारतीय रेलवे में कार्य कर रहे कर्मचारी व अधिकारी सभी विभिन्न क्षेत्रों में कार्य की व्यस्तता में रहते हैं। अतः उन्हें रेल पथ की इस नियमावली को विस्तार से पढ़ने का समय ही नहीं मिल पाता है। मेरे सेवानिवृत्ति के पश्चात कुछ पुस्तकें लिखने का मुझे अनुभव हुआ।
” रेल पथ ज्ञान संचिका” पुस्तक में रेल पथ नियमावली 2020 में दिये गये सभी 14 अध्याय का सार एवं वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर का संग्रह दिया गया है। यह संग्रह सभी इंजीनियर विभाग रेलवे की परीक्षाओं हेतु रेल पथ नियमावली से सम्बंधित वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर प्रस्तुत करता है। साथ ही इस पुस्तक में हिंदी राजभाषा, अनुशासन अपील नियम से सम्बंधित लघु प्रश्न-उत्तर भी संलग्न किये गये है। पुस्तक में विभिन्न परीक्षाओं में पूछे गये वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर तथा लघु प्रश्नोत्तर भी दिये गये है। पुस्तक लेखन में हिंदी का प्रयोग करने का भरपूर प्रयास किया गया है एवं व्यवहारिक उपयोग में आने वाले तथा कार्य क्षेत्र में चलन में आने वाले सभी अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग हिंदी देवनागरी लिपि में ज्यों का त्यों किया गया है।
इस पुस्तक में आपने रेल पथ पदाधिकारियों के कर्तव्य, रेल ट्रैक संरचना और घटक, वेल्डेड रेल की स्थापना एवं रख रखाव, कर्व (गोलाई) एवं टर्न आउट, रेल पथ मॉनीटरिंग, रेल पथ अनुरक्षण (मेंटेनेंस ऑफ ट्रैक) परमानेन्ट वे रिनुअल(रेल पथ नवीनीकरण), इंजीनियरिंग गति प्रतिबंधक संकेतक, ट्राली/लारी/मेटेरियल, ट्रेन संचालन, समपार फाटक (लेवल क्रॉसिंग) एवं गेट मेन, रेलवे लाइन का पेट्रोलिंग (गश्त), एक्सीडेंट (दुर्घटना, ब्रीचेज के समय एक्शन एवं मानसून पूर्व सुरक्षा), कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी (सी.आर.एस.) रेल सुरक्षा आयुक्त, ट्रेक मैनेजमेंट सिस्टम (टी.एम.एस.), ट्रेनिंग, प्रशिक्षण एवं कम्पीटेंसी, हिंदी राजभाषा एवं अनुशासन अपली नियम संबंधित प्रश्नोत्तरी, विभिन्न विभागीय परीक्षाओं एवं रिक्त स्थानों की पूर्ति वाले वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर जेसे उपयोगी और मार्गदर्शक विषयों का समावेश किया गया है।
परिचय : लेखक राम मोहन काशिक का जन्म
4 सितम्बर 1956 कोटा में पिता रमेश चन्द्र शर्मा एवं माता स्व. मुन्नी देवी के आंगन में हुआ। आपने पॉलिटेक्नीक इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त की। आप रेलवे में सेवा करते हुए 2016 में अधिशाषी अभियन्ता ट्रेक मशीन्स से सेवा निवृत हुए । आपने सेवा काल में रेल में सीनियर सेक्शन इंजीनियर, सहायक मण्डल इंजिनियर और एक्जयूकेटिव इंजीनियर के पदों पर पर उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान की।आपको रेलवे के प्रशिक्षण संस्थान में भी कार्य करने का लंबा अनुभव है। सामाजिक कार्यों में भी आपकी रुचि होने सेआप नगर की आध्यात्मिक एवं सामाजिक स्वयं सेवी संगठन दिव्य भारती प्रहरी से सक्रिय रूप से जुड़े हैं।
वर्तमान में श्री राम मोहन कौशिक द्वारा रेलवे की अधिकारी वर्ग इंजीनियरिंग विभागीय परीक्षाओं हेतु पुस्तक लेखन कार्य में लगे हुए है।
संपर्क सूत्र मो. +91 99823 36800
– डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवम पत्रकार, कोटा