औरंगाबाद (महाराष्ट्र)। सूखे की चपेट में आने वाले किसान आत्महत्या न करें, इसके लिए एक अधिकारी ने अनोखी तरकीब खोज निकाली है। वे सफेद धोती-कुर्ता पहनकर और सिर पर पगड़ी बांधकर सूखा पीडित गांव में जाते हैं और भक्ति भरे गीत गाकर और वीणा बजाकर लोगों को प्रेरित करते हैं कि उनका जीवन कितना अमूल्य है। जीवन में आने वाली चुनौतियों और कठिनाइयों से भागकर आत्महत्या कर लेना कोई अच्छा काम नहीं है। गांवों में उनकी मांग बढ़ती ही जा रही है। इस अधिकारी को सुनने के लिए अच्छी संख्या में ग्रामीणों की भीड़ एकत्रित हो जाती है। लोग एकाग्रचित्त होकर उनके भजनों को सुनते हैं।
ये अधिकारी हैं 1995 बैच के अधिकारी विजय कुमार। विजय कुमार औरंगाबाद डिवीजन में डिप्टी डिवीजनल कमिश्नर (सामान्य प्रशासन) पर पर तैनात हैं। पद पर रहते हुए वह सूखे और आत्महत्या करने वाले किसानों का आंकड़ा तो प्रस्तुत करते ही हैं, खाली समय में वे सूखाग्रस्त गांवों में चले जाते हैं और अपनी कुशलता का उपयोग ग्रामीणों को गीत सुनाने में करते हैं। उनका यह कार्यक्रम पिछले कुछ महीनों से चल रहा है। वे भजन गाते हैं, प्रवचन करते हैं और लोगों में जीवन जीने की शक्ति उत्पन्न करने का जज्बा पैदा करते हैं।
विजय कुमार कहते हैं कि उनका प्रयास होता है कि वे ग्रामीणों को यह समझ में आए कि उनका जीवन कितना महत्वपूर्ण है। आखिर आत्महत्या करना किसी समस्या का समाधान तो नहीं है। वे कहते हैं कि वे खुद मराठावाडा के लातूर जिले के एक गांव कुंठा खुर्द के हैं। माता-पिता खुद किसान हैं। इसलिए वे समझते हैं कि किसानों की पीड़ा कैसी होती है। अब तक वह 25 गांवों में जाकर ग्रामीणों के बीच यह नवाचार कर चुके हैं। 1995 में उन्होंने पहली बार नांदेड़ में इसका इस्तेमाल टैक्स इकट्ठा करने के लिए किया।
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किसानों को भजन सुनाकर आत्महत्या से बचा रहे हैं वरिष्ठ अधिकारी विजय कुमार
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