अभी हाल ही में रक्षा विभाग ने 928 उत्पादों की एक सूची जारी की है, इस सूची में दिए गए समस्त उत्पादों का निर्माण अब पूर्णतः भारत में ही किया जाएगा एवं आगामी वर्षों में इन उत्पादों का आयात पूर्णतः बंद कर दिया जाएगा। वर्तमान में इन उत्पादों पर 715 करोड़ रुपए की राशि खर्च की जा रही है। उक्त सूची में वर्णित उत्पादों को भारत में ही निर्माण की मंजूरी भी दे दी गई है। इस प्रकार की तीन सूचियां पूर्व में भी रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी की जा चुकी है। केंद्र सरकार के इस क्रांतिकारी निर्णय से रक्षा क्षेत्र से जुड़े उत्पादों का निर्माण अब भारत में ही होने लगा है एवं पूर्व में इन उत्पादों के आयात पर भारी भरकम विदेशी मुद्रा खर्च की जाती थी, अब उस विदेशी मुद्रा की भी देश को बचत हो रही है।
केंद्र सरकार ने रक्षा क्षेत्र के उत्पादों का आयात लगातार कम करते हुए अब कई रक्षा उत्पादों का निर्यात प्रारम्भ कर दिया है। अभी हाल ही में भारत का स्वदेशी निर्मित तेजस हल्का लड़ाकू विमान मलेशिया की पहली पसंद बनाकर उभरा है। मलेशिया ने अपने पुराने लड़ाकू विमानों के बेड़े को बदलने के लिए प्रतिस्पर्धा की थी। जिसमें चीन के जेएफ-17, दक्षिण कोरिया के एफए-50 और रूस के मिग-35 के साथ साथ याक-130 से कड़ी प्रतिस्पर्धा के बावजूद मलेशिया ने भारतीय विमान तेजस को पसंद किया है। आकाश मिसाइल भी भारत की पहचान है एवं यह एक स्वदेशी (96 प्रतिशत) मिसाइल है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट रक्षा क्षेत्र के लिए भी एक बड़ी सौगात लेकर आया है। केंद्रीय बजट में वर्ष 2023-24 के लिए रक्षा क्षेत्र को कुल 5.94 लाख करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है, जो कुल बजट की राशि का 8 प्रतिशत है। बजट में आवंटित की गई इस राशि का उपयोग हथियारों की आत्मनिर्भर तकनीक और भारत में ही इन उत्पादों के निर्माण के कार्य पर किया जाएगा। इससे देश में ही रोजगार के लाखों नए अवसर निर्मित होंगे।
चूंकि भारत सरकार द्वारा रक्षा क्षेत्र से जुड़े उत्पादों को भारत में ही निर्मित करने हेतु प्रोत्साहन दिया जा रहा है तथा रक्षा उत्पादों का भारत में ही निर्माण एवं भारत से निर्यात जिस तेज गति से आगे बढ़ रहा है इससे अब यह आभास होने लगा है कि वर्ष 2027 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर तक पहुंचाने में, आगे आने वाले समय में, देश का रक्षा क्षेत्र भी प्रमुख भूमिका निभाने जा रहा है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 3.50 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का है। वर्ष 2031 तक भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 7.5 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर तक पहुंच जाने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है और इस प्रकार भारतीय अर्थव्यवस्था अमेरिका एवं चीन के बाद विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी।
प्रहलाद सबनानी
सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक,
भारतीय स्टेट बैंक
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