Tuesday, November 26, 2024
spot_img
Homeपुस्तक चर्चाछायावाद के सौ वर्ष और मुकुटधर पाण्डेय

छायावाद के सौ वर्ष और मुकुटधर पाण्डेय

नेशनल पब्लिशिंग कंपनी,नयी दिल्ली,सिकंदराबाद व्दारा प्रकाशीत व संपादन डॉ मीनकेतन प्रधान, प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष-हिंदी-किरोडीमल शासकीय कला एवम् विज्ञान(अग्रणी) महाविद्यालय ,अध्यक्ष अध्यक्ष मंण्डल हिंदी ,शहीद नंदकुमार पटेल विश्वविद्यालय रायगढ(छतीसगढ़) और सह संपादक सैरभ शराफ पी.एच.डी. शोधार्थी ,हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग(छतीसगढ) के संयुक्त प्रयास से इस महत्वपूर्ण संकलन का हिंदी साहित्य के व अन्य सुधी पाठकों के लिए साथ ही आने वाले समय मे छायावाद से संबंधित व अन्य हिंदी विषय के शोधार्थियों के लिए यह एक अनमोल धरोहर सिध्द होगी।।छायावाद हिंदी साहित्य का अत्यन्त ही महत्वपूर्ण पक्ष है।

इस काल के मूल प्रवर्तक मुकुटधर पाण्डेय जी के जीवन काल की कर्मभूमि रायगढ (छतीसगढ) में दो दिन की संगोष्ठी जिसमे देश-विदेश से लगभग 6000 से अधिक पंजीयन तथा 5000 से अधिक फीडबैक जो 24 घंटे में यू-ट्यूब के कार्यक्रम के माध्यम से मिले ।इस आयोजन में देश- विदेश के साहित्कारों की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को सफलता की ऊँचाई प्रदान कर शहर के सभी शिक्षा संस्थानों को गौरवान्वित किया ।

इस संकलन में छायावाद के सौ वर्ष (1920-2020)तक की साहित्यिक यात्रा को तीन खण्डों मे विभाजित कर इसकी विशिष्टता के साथ 172 लेखकों के आलेखों को प्रथम-छायावाद-विषय प्रवर्तन, व्दितीय-छायावादःप्रवृति एवम् विकास,तृतीय-छायावाद और मुकुटधर पाण्डेय मे समाहित केन्द्रीय विवेचन के तहत अन्य छायावादी साहित्यकारो में जयशंकर प्रसाद ,सूर्यकांत त्रिपाठी ‘नीराला’ ,सुमित्रानंदन पंत, और महादेवी वर्मा के काव्य आदि का उल्लेख इस संकलन को सभी पाठको के लिए अनमोल है ।

इसके अलावा हम इस संकलन मे वरिष्ठ साहित्कारों के साथ-साथ नयी पीढ़ी के साहित्कारों के अनमोल विचारों से अवगत ही नहीं होते बल्कि उनके इस तरह के सार्थक प्रयासो के साथ जुडने की प्रक्रिया के माध्यम से हिंदी के प्रति व हिंदी से जुडी पंरपरा के प्रति उनका रूझान हमारे लिए बहुत ही अनमोल है।आगे भी इस तरह के प्रयासों को शिक्षा संस्थानों में करवाते हुए ,बीते समय के साहित्य के साथ वर्तमान का तारतम्य भी रहता है।

साहित्यिक रूचि के साथ इसमें विषय की दृष्टिकोण से .शोधार्थियो व साहित्यक सुधी पाठको के लिए उपयोगी साबित होगी ।

पुस्तक संपादन
संपादक.. डाँ.मीनकेतन प्रधान।
सह संपादक..सौरभ सराफ।

प्रेषक-लिंगम चिरंजीव राव
म.न. 11-1-21/1,कार्जी मार्ग
इच्छापुरम,श्रीकाकुलम(आंध्रप्रदेश)
पिन-532 312 मो.न.8639945892

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार