विद्यार्थियों के व्यक्तित्व में असीमित एवं अपार ऊर्जा होती है ।विद्यार्थियों को अनुकूल, पर्यावरण योग्य पर प्रशिक्षक एवं ईमानदार प्रशासक के मिलने से उनकी प्रतिभा में रचनात्मक, नवोन्मेष एवं वैज्ञानिक बन जाती है ।बचपन और किशोरावस्था में विद्यार्थियों को उनकी आत्मीय रुचि के विषय की पहचान करके उसके क्षेत्र में कार्य करने का अवसर दिया जाए तो इससे अत्यधिक मात्रा में विद्यार्थियों की प्रतिभा में नवोन्मेष की क्षमता बढ़ पाएगी। इस वैज्ञानिक प्रतिभा ,तार्किक क्षमता और संवेग का लाभ समाज, राज्य और व्यवस्था को प्राप्त होगी ।भारत सरकार इस दिशा में औपचारिक रूप से प्रयास भी कर रही है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय विद्यालय के विद्यार्थियों को वैज्ञानिक पद्धतियों और प्रयोग से परिचित करा करके उनको अनुसंधान और खोज का अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से “प्रयास योजना “यानी प्रमोशन ऑफ रिसर्च एटीट्यूड इन यंग एंड इंस्पायरिंग स्टूडेंट अर्थात ‘ युवा और सीखने का जुनून रखने वालों में शोध का दृष्टिकोण विकसित करना है ‘।इस योजना का शुभारंभ किया है। इस योजना का मौलिक उपादेयता युवा विद्यार्थियों के भीतर वैज्ञानिक चिंतन, मनन, विज्ञान प्रक्रिया, नवीनता और रचनात्मक ज्ञान का विकास करना है। विद्यार्थियों के भीतर नवोन्मेष की प्रक्रिया तेज होती है।
अध्ययन के दौरान उनकी रुचि के विषय को निर्बाध तरीके से विकसित किया जाए तो उनकी रचनात्मक ऊर्जा बढ़ जाती हैं ।नई शिक्षा नीति, 2020 के अंतर्गत विद्यार्थियों को सुविधा प्रदान कर दी गई है। इसमें विद्यार्थियों के प्रतिभा को विकसित करने का अनुकूल माहौल प्रदान किया गया है, जिससे वह अपने वैज्ञानिक चिंतन और तार्किक ज्ञान का उन्नयन कर सकें। विद्यार्थियों को उनकी रुचि का क्षेत्र देकर के प्रोत्साहन किया जा सके। विद्यार्थियों के रचनात्मक कौशल को विकसित करना समाज व व्यवस्था का नैतिक दायित्व है। “प्रयास योजना” की प्रासंगिकता इस तथ्य में निहित है कि विद्यार्थियों को उनकी व्यक्तिगत स्तर एवं सामूहिक स्तर पर अनुसंधान या खोज की धारणीय क्षमता को विकसित करने की आवश्यकता है। प्रयास योजना की प्रासंगिकता इस तथ्य में है कि इसके अंतर्गत किसी स्थानीय समस्या पर शोध के लिए जोर दिया गया है ।