Saturday, November 23, 2024
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मुहम्मद अली जिन्ना पर नाटक का अभिवाचन

पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना पर केंद्रित ‘5 अगस्त 1947’ नाटक को दर्शकों का ज़बरदस्त प्रतिसाद मिला। हालांकि यह नाटक का पाठ था मगर कलाकारों की अदायगी इतनी असरदार थी कि दर्शकों को यही लगा जैसे वे नाटक की मंचीय प्रस्तुति का आनंद उठा रहे हों। लेखक ब्रत्य वसु के इस बांग्ला नाटक का हिंदी अनुवाद जैनद्र भारती ने किया है। रविवार 27 अगस्त 2023 को मृणालताई ताई हाल, केशव गोरे स्मारक ट्रस्ट, गोरेगांव में चित्रनगरी संवाद मंच मुम्बई के साप्ताहिक आयोजन में इस नाटक का पाठ किया गया।

रंगकर्मी विजय कुमार द्वारा निर्देशित इस नाटक में अभिनेता राजेंद्र गुप्ता ने ‘जिन्ना’, रावी गुप्ता ने जिन्ना की बेटी ‘दीना वाडिया’ और अलका अमीन ने जिन्ना की बहन ‘फ़ातिमा’ की भूमिका निभाई। दोनों स्त्री पात्रों के सशक्त संवादों के माध्यम से जिन्ना के पारिवारिक जीवन और राजनीतिक कैरियर की जो झांकी पेश की गई है वह बेमिसाल है। लोग जिन्ना को एक ज़िद्दी इंसान के तौर पर जानते हैं। यही छवि यहां भी साकार होती है।
जिन्ना की बेटी दीना वाडिया ने बाम्बे डाइंग के अध्यक्ष नेविल वाडिया से प्रेम विवाह किया था। जिन्ना इस रिश्ते से ख़ुश नहीं थे। जिन्‍ना के सहायक रहे मुहम्‍मद अली करीम छागला ने जिन्‍ना पर लिखी किताब में जिन्‍ना के सवाल और उनके बेटी के जवाब का ज़िक्र किया है। किताब के मुताबिक़ जिन्‍ना ने कहा- “भारत में हज़ारों मुस्लिम लड़के हैं, तुम्‍हें वही एक मिला था।
जिन्ना का इशारा नेविल वाडिया के पारसी होने को लेकर था। इस पर दीना ने जवाब दिया-” इस देश में हज़ारों मुस्लिम लड़कियां थीं, फिर आपको शादी करने के लिए मेरी मां ही मिली थीं।”
दीना का इशारा अपनी मां के पारसी होने को लेकर था। छागला के मुताबिक़ जिन्ना इसका कोई जवाब नहीं दे सके। ऐसे प्रसंग इस नाटक को रोचकता प्रदान करते हैं। हैरत की बात है कि दीना के पिता जिन्ना पाकिस्तान के संस्थापक रहे मगर 1947 में जब देश का विभाजन हुआ तो वे पाकिस्तान नहीं गईं। उन्होंने भारत का नागरिक बनना स्वीकार किया।
यह नाटक महात्मा गांधी और पं नेहरू के प्रति जिन्ना की सोच का संकेत भी देता है। कुल मिलाकर 5 अगस्त 1947 एक नाटक के तौर पर दर्शकों को भरपूर प्रभावित करता है और उन्हें लुत्फ़ अंदोज़ भी करता है। स्त्री पात्रों के ज़रिए यह नाटक पुरुष की मानसिकता को बख़ूबी उजागर करता है। मुझे भी यह नाटक बहुत अच्छा लगा। मुझे लगता है कि देश-विदेश में इस नाटक को भरपूर पसंद किया जाएगा।
नाटक के पाठ के बाद हुई चर्चा में प्रतिष्ठित लेखक डॉ सत्यदेव त्रिपाठी और फ़िल्म लेखक निर्देशक अविनाश दास ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों को रेखांकित किया। कई दर्शकों ने बड़ी गर्मजोशी से नाटक पर प्रतिक्रिया व्यक्त की। इनमें सुभाष काबरा, ममता सिंह, विकास गुप्ता, अशोक शर्मा, प्रभात समीर, चारु चित्रा और शशि शर्मा का समावेश था। निर्देशक विजय कुमार ने बताया कि आगामी 16 सितंबर को इस नाटक का मंचन अंधेरी के भवंस कल्चर सेंटर में किया जाएगा।

कार्यक्रम की शुरुआत में ग्वालियर से पधारी प्रतिष्ठित कथाकार चारु चित्रा ने अपनी चर्चित कहानी ‘हिरण्यगर्भा’ का पाठ किया। एक नवजात शिशु और ममतामयी मां के नाज़ुक रिश्ते पर आधारित इस कहानी ने श्रोताओं को द्रवित कर दिया। लोगों ने मुक्त कंठ से इस कहानी की तारीफ़ की। डॉ चारु चित्रा ग्वालियर के कमला राजा स्वशासी महाविद्यालय में अंग्रेज़ी की प्रवक्ता हैं। उनकी कहानी पर एक शार्ट फ़िल्म ‘आज़ादी का जश्न’ बन चुकी है। इसमें उन्होंने अभिनय भी किया है। हिंदी में उनका एक कहानी संग्रह ‘हिरण्यगर्भा’ और अंग्रेज़ी में एक समीक्षात्मक पुस्तक प्रकाशित है।
रविवार 3 सितंबर को चित्रनगरी संवाद मंच मुम्बई में शरद जोशी स्मृति दिवस मनाया जाएगा। इस अवसर पर शरद जोशी के मशहूर नाटक ‘अंधों का हाथी’ की मंचीय प्रस्तुति होगी।

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