Sunday, December 22, 2024
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विजय माहेश्वरी ने वन्यजीव फोटोग्राफी में बनाई पहचान

 स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर (वर्तमान स्टेट बैंक ऑफ इंडिया) से सेवा निवृत्त मुख्य प्रबंधक विजय माहेश्वरी आज सामाजिक संस्थाओं और वन्यजीव फोटोग्राफी में एक जाना माना नाम है। वन्यजीव फोटोग्राफी के क्षेत्र में हाडोती क्षेत्र  के अनेक फोटोग्राफरों के बीच इन्होंने अपना खास मुकाम बनाया है। साथ ही ये पोर्ट्रेट, लैंडस्केप, पर्यटन स्थल और पुरातत्व के भी बेहतरीन फोटोग्राफर हैं।  ये एक अच्छे फोटोग्राफर ही नहीं हैं वरन फोटोग्राफी की समस्त प्रक्रियाओं के ज्ञाता और वन्यजीवों की पहचान और उनके जीवन चक्र और उनकी विशेषताओं की  भी समझ रखते हैं।
आपको वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में पादप अर्थात पेड़-पौधों का भी अच्छा ज्ञान है। साथ ही बैंक से संबंधित वित्तीय साक्षरता, डिजिटल भुगतान एवं बैंक से संबंधित साइबर अपराधों की रोकथाम जैसे विषयों में  विशेषज्ञ दक्षता से भी मालामाल हैं। विद्यार्थी जीवन में राष्ट्रपति स्काउट अवार्ड प्राप्त तथा एनसीसी में  सी सर्टिफिकेट  के साथ एडवान्स्ड लीडरशिप का प्रशिक्षण  प्राप्त कर चुके हैं। विद्यार्थी जीवन में हमेशा अग्रणी रहे।
वन्यजीव फोटोग्राफी में पहचान बनाने वाले विजय बताते हैं कि फोटोग्राफी की चाहत तो शुरू से ही थी। परन्तु जब कैमरा नहीं था तो पशु पक्षियों और प्राकृतिक दृश्यों के चित्र  बनाया करता था। वर्ष 1968 में भारत सरकार से मिली मेरिट स्कॉलरशिप में से पैसे बचाकर  एक साधारण कैमरा खरीद लिया। बात बारां कॉलेज की है, जहां विद्यार्थी काल में जीवविज्ञान की प्रयोगशाला में एक बहुत अच्छा जापानी कैमरा भी उपलब्ध था। उसी के कारण कैमरा संचालन की तकनीकी प्रक्रिया का ज्ञान प्राप्त किया। वहीं ज्योति स्टूडियो से डार्क रूम की प्रक्रियाएं  रोल डवलपिंग, प्रिंटिंग और एनलार्जिंग आदि की समस्त जानकारियां प्राप्त की।
वर्ष 1971 में लिये गये कोटा गढ़ पैलेस , जग मंदिर, अमरनिवास आदि के श्वेत श्याम चित्र आज भी सुरक्षित है।  आप शनै: शनै: वन्यजीव फोटो ग्राफी में आगे बढ़े। इसके लिए एक के बाद एक कैमरे भी खरीदे जिससे दूर के वन्यजीवों का चित्र लिया जा सकें। पहले बारां और कोटा के बाद में संपूर्ण हाड़ोती क्षेत्र की उन सभी साइटों पर जाने लगे जहां  वन्यजीव देखने को मिलते हैं। वे बताते हैं कि वन्यजीवों की विभिन्न मुद्राओं और उनकी अठखेलियों के चित्र उतारने के लिए कई बार घंटों प्रतीक्षा करनी पड़ती है, तब जा कर कुछ अच्छे चित्र मिल पाते हैं,  पर उस प्रतीक्षा में हमेशा आनंद की अनुभूति होती है।
वन्यजीव फोटोग्राफी और पर्यटन के शौक की वजह से आपने राजस्थान के साथ – साथ पूरे भारत वर्ष के उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम के करीब 200 स्थानों के अलावा नेपाल, सिंगापुर, थाइलैंड, मलेशिया, फ्रांस, जर्मनी, इटली,स्विटजरलैंड, ऑस्ट्रिया, लक्जमबर्ग, लिचेंस्टेन और यूएई देशों की यात्रा कर देश – विदेश के पर्यटक स्थलों और वन्यजीवों के फोटों अपने कैमरे में कैद किए हैं। इनके पास विभिन्न स्थानों के वन्यजीवों के साथ- साथ पर्यटक स्थलों के लगभग चार हज़ार  डिजिटल तथा प्रिन्टेड फोटोग्राफ का अच्छा खासा संग्रह उपलब्ध है।
आप बताते हैं कि हाड़ोती क्षेत्र में करीब 250 प्रजातियों के पक्षी तथा कई प्रजातियों के वन्य जीव पाए जाते हैं। जिनमें प्रमुख रूप से पैन्टेड स्टार्क,  पोंड हेरोन, परपल हेरोन, तीन चार तरह के इग्रेट्स,  सारस, सिल्वरबिल, बेबलर, पाँच प्रजाति के गिद्ध, बाज, मोर, परपल सनबर्ड, रेड वेनन्टेड बुलबुल, शिकरा, ड्रोन्गो, गौरेया, सलेटी कबूतर, येलो फुटेड कबूतर, स्पोटेड डव, कोलर्ड डव, साधारण तोतों के साथ साथ, प्लम हेडेड पेराकीट, हीरामन तोते, ब्लेक हेडेड आइबीज, कोर्मोरेन्ट्स और कई प्रजाति की बतखें शामिल हैं। अन्य वन्य जीवों मे टाइगर, पेन्थर, स्लोथ बेअर, कृष्ण मृग, चिंकारा, नीलगाय, हेईना (जरख), लंगूर, खरगोश, चमगादड़, नेवले, कई प्रजाति के सर्प, मगरमच्छ, सियार, भेडिया, लोमड़ी, और साँभर आदि  हैं।
आपके ड्राइंग रूम में सजे विभिन्न वन्य जीवों के चित्र और मिले पुरस्कारों के प्रतीक चिन्ह से सजी अलमारी  स्वयं आपके सक्रिय स्काउट,  कुशल फोटोग्राफर और सामाजिक कार्यकर्ता  होने की गवाही देते हैं। खास बात यह है की आप देश-विदेश में बड़ी संख्या में समान रुचि वाले मित्रों से सोशल मीडिया के माध्यम से भी जुड़े हैं और इनके वन्य जीवों, पर्यटक स्थलों  तथा प्राचीन स्मारकों के चित्रों को उनके साथ दिये विवरण के साथ खूब पसंद किया जाता है। ये ऑन लाइन चित्र प्रतियोगिताओं में भी रुचि पूर्वक हिस्सा लेते हैं।  वहीं वन्य जीव विभाग, पर्यटन विभाग,  हाड़ोती नेचुरलिस्ट सोसाइटी एवं कोटा हेरिटेज सोसाइटी सहित कई  अन्य संस्थाओं के माध्यम से अब तक विभिन्न स्थानों पर आयोजित 20 प्रदर्शनियों में अपने फोटोग्राफ्स के साथ भागीदारी कर चुके हैं।
 छात्र जीवन में (1962 से 68 तक)  आप एक स्काउट के रूप में स्काउट एंड गाइड संगठन से जुड़े रहे। आपको स्काउटिंग संबंधी निर्धारित कौशल अर्जित कर लेने तथा  उत्कृष्ट सेवा के आधार पर 31 दिसंबर 1967 को राष्ट्रपति स्काउट अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।आपने पश्चिम बंगाल के कल्याणी में आयोजित पांचवीं अखिल भारतीय स्काउट गाइड जम्बूरी (1967) में भी भाग लिया। जम्बूरी में राजस्थान राज्य की पायोनियरिंग प्रोजेक्ट  टीम को राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ स्थान मिला,आप उस टीम के सदस्य रहे।
स्काउटिंग आंदोलन में विशेष रूचि के कारण आप राजस्थान स्टेट भारत स्काउट  व गाइड के कोटा संभाग के संभागीय कोषाध्यक्ष  तथा  कोटा संभाग के सचिव के पद पर भी रहे। इस अवधि में जिला स्तरीय, संभाग स्तरीय और राज्य स्तरीय  रैलियों के आयोजन में आपकी सक्रिय भूमिका रही।  साथ ही आपको स्काउट गाइड प्रशिक्षण केन्द्र आलनिया के विकास कार्यों  और वृक्षारोपण जैसे कार्यों मे सक्रिय योगदान के लिए भी सम्मानित किया गया।  आज भी संभागीय एसोसिएशन के आजीवन सदस्य हैं।
आप 1968 से 1971 तक एनसीसी कैडेट रहे। इसी दौरान 1970-71 में बारां कॉलेज एनसीसी में अंडर ऑफिसर के पद पर रहे। इसी बीच आपका चयन “अखिल भारतीय एडवांस लीडर शिप कोर्स” के लिए किया गया और आपने मई-जून 1971 में  मेघालय के बडापानी में 21 दिवसीय कोर्स में भाग लिया।
आपको कोटा में  स्पंदन इंटरनेशनल गोवा द्वारा आयोजित फोटोग्राफी एंड पेंटिंग प्रदर्शनी में सम्मानित किया गया। सचेतन संस्था द्वारा भी ” लाइफ ऑन रोड साइड” थीम पर आयोजित प्रदर्शनी में भी सम्मानित किया गया। राजस्थान सरकार  के वन विभाग, पर्यटन विभाग,  कोटा हेरिटेज सोसाइटी, हाडोती नेचुरलिस्ट सोसाइटी और अन्य संस्थाओं द्वारा आयोजित प्रदर्शनियों में भी आपके प्रदर्शित चित्रों की वजह से आप सम्मानित हुए। फरवरी 2023 में लाॅयन्स क्लब कोटा साउथ द्वारा सामाजिक सेवा के क्षेत्र  में सराहनीय कार्य के लिए सम्मानित किया गया।
वन्य जीव सप्ताह के अंतर्गत  सक्रिय रूप से भाग लेकर सहयोग प्रदान करने के लिए पिछले आठ वर्ष से लगातार सम्मानित किया गया है। एसबीबीजे बैंक के कोटा अंचल के सर्वश्रेष्ठ मुख्य प्रबधक के रूप में आपको तीन बार सम्मानित करने के साथ-साथ विभिन्न पदों पर उत्कृष्ठ सेवाओं के लिए कई बार सम्मानित किया गया है।  सेवा काल के उपरांत भी आपने भारतीय रिजर्व बैंक के वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम के अन्तर्गत वित्तीय साक्षरता एवम् ऋण परामर्श  केन्द्र झालावाड  जिले के प्रभारी परामर्शदाता के रूप में कार्य करते हुए आपको वर्ष 2014-15 में देश भर के विभिन्न राज्यों के 50 जिलों में से झालावाड जिले में श्रेष्ठ कार्य निष्पादन के लिए सेन्ट्रल बैंक ऑफ इन्डिया के अधिकारी प्रशिक्षण  महाविद्यालय  कोलकाता में सम्मानित किया गया।  विज्ञान केन्द्र कोटा द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी के लिए वर्ष 2018 व 2019 में सम्मानित किया गया।
परिचय
वन्य जीव फोटोग्राफी, सामाजिक कार्यों और स्काउटिंग में पहचान बनाने वाले विजय माहेश्वरी का जन्म पिता स्व. मास्टर गोपी लाल माहेश्वरी और माता स्व.कौशल्या देवी के परिवार में  28 सितंबर 1952 को बारां जिले के बमोरीकलाँ गांव में हुआ। आप 6 भाई – बहनों में पिता की पहली संतान हैं। प्रारंभिक शिक्षा गांव में हुई और उसके आगे स्नातक स्तर तक शिक्षा बारां में हुई। 1968 में आयोजित हायर सेकेन्डरी परीक्षा में आपने स्कूल में प्रथम  स्थान  प्राप्त किया। आपने बारां कॉलेज के छात्र के रूप में तीन साल तक भारत सरकार से मेरिट स्कॉलरशिप प्राप्त की  तथा जीव विज्ञान विषय में बी. एससी. परीक्षा 1971 में उत्तीर्ण कर कोटा कॉलेज से वर्ष 1973 में प्राणीशास्त्र में एम.एससी. की डिग्री प्राप्त की।
आपने 1983 में बैंक सेवा के दौरान  इन्डियन इन्स्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग एंड फाइनेंस मुंबई की (सर्टीफाइड एसोसिएट ऑफ इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ बैंकर्स) योग्यता प्राप्त की। इसी  संस्थान द्वारा आयोजित  बैंकिंग उन्मुख हिन्दी भाषा की विशेष योग्यता भी अर्जित की। दिसंबर 1973 को आपका चयन स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर में हुआ और मांगरोल शाखा में प्रथम नियुक्ति हुई। सेवा काल में विभिन्न  जगह पद स्थापित रह कर आप सहायक प्रबंधक, प्रबंधक, वरिष्ठ प्रबंधक और मुख्य प्रबन्धक स्तर तक पदोन्नति प्राप्त करते हुए 30 अप्रैल 2012 को एसबीबीजे के कोटा क्षेत्रीय कार्यालय से मुख्य प्रबंधक पद से सेवा निवृत हुए।
बैंक सेवा के दौरान आपको भारतीय रिजर्व बैंक के बैंकर्स  प्रशिक्षण  महाविद्यालय मुंबई, नेशनल इन्स्टीट्यूट  ऑफ बैंक मेनेजमेंट पूणे, स्टेट बैंक स्टाफ कालेज हैदराबाद, स्टेट बैंक अकादमी गुरूग्राम,  स्टेट बैंक इन्स्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन मैनेजमेन्ट हैदराबाद और स्टेट बैंक इन्स्टीट्यूट ऑफ रूरल डवलपमेंट लिंगमपल्ली में समय समय पर विशिष्ठ विधाओं पर प्रशिक्षण प्राप्त  किया। सेवाकाल में  ही 2003-06 के मध्य आपको इन्फोर्मेशन सिस्टम ऑडिटर के रूप में देश भर में फैली हुई  एसबीबीजे की लगभग 200 शाखाओं,  प्रशासनिक और क्षेत्रीय कार्यालयों में कंप्यूटर  सिस्टम के निरीक्षण कार्य भी दिया गया।
वर्ष 2004-05 में बैंक में कोर बैंकिंग सिस्टम आया तो उसे शाखा स्तर पर रोल आउट करने से पूर्व वैधानिक रूप से आवश्यक परीक्षण (यूएटी) हेतु  विशेष रूप से चयनित
अधिकारियों की टीम के सदस्य रूप में आपने एसबीआई ग्लोबल आईटी सेन्टर बेलापुर मुंबई में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज की टीम के साथ परीक्षण कार्य किया।
सेवानिवृति के उपरांत भी आपने भारतीय रिजर्व बैंक के वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम के अन्तर्गत सेन्ट्रल बैंक ऑफ इन्डिया द्वारा संचालित वित्तीय साक्षरता एवम् ऋण परामर्श  केन्द्र झालावाड  जिले के प्रभारी परामर्शदाता के रूप नियुक्त किया गया। उस पद पर कार्य करते हुए आपने  झालावाड़ जिले की लगभग 150 ग्राम पंचायतों के विभिन्न गांवों, स्कूलों, कॉलेज और आईटीआई आदि में  बैंकिंग योजनाओं, वित्तीय समावेशन, बैंकिंग से जुडी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं, ऑनलाइन डिजिटल लेनदेन और उससे जुडी धोखाधड़ी से बचने के तरीकों के संबंध में लगभग 700 जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए।जिसकी जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक सराहना की गई।
नाबार्ड के एक प्रोजेक्ट के तहत 2016 -17 में कोटा विज्ञान केंद्र में संचालित वित्तीय प्रौद्योगिकी एवं साक्षरता प्रयोगशाला के प्रभारी रह कर स्कूली छात्रों से लेकर इंजीनियरिंग कॉलेज तक के विद्यार्थियों को बैंक से संबंधित साइबर अपराध, डिजिटल भुगतान और  एक उद्यमी के रूप में वित्तीय प्रबन्धन व लाभप्रदता जैसे  विषयों पर कार्यशालाएं आयोजित कर जागरूक किया। कृषि विज्ञान केन्द्र कोटा, भारत सरकार के क्षेत्रीय प्रचार ब्यूरो, वानिकी महाविद्यालय झालावाड़ सहित कई  पोलीटेक्निक व इन्जीनियरिंग कॉलेजों  द्वारा समय – समय पर आपको वित्तीय प्रबन्धन  विषय पर रिसोर्स पर्सन के रूप में बुलाया जाता  रहा है। आप इस कार्य के लिए अपनी सेवायें देने के लिए आज सदैव तत्पर रहते हैं।
वर्तमान में आप अभिरुचि के चलते वन्य जीव फोटोग्राफी के साथ-साथ हाड़ोती की स्थानीय वनस्पति के अध्ययन, सर्वे, फोटोग्राफी, विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से जुड़ कर समाज सेवा, साहित्य और इतिहास की पुस्तकें पढ़ने में लीन रहते हैं। बैडमिंटन और वॉलीबाल खेलना आपकी अभिरुचि रही है।
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डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवं पत्रकार, कोटा

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