कोटा। राजस्थान के कोटा सरकारी पब्लिक लाइब्रेरी ने एक ऐतिहासिक उन्मोचन में घुमंतू समुदाय को जोड़कर सार्वजनिक पुस्तकालय सेवाओं की भूमिकाओं को नवस्थापित किया है। यह पहल न केवल राजस्थान के पुस्तकालय इतिहास में मानदंड स्थापित करती है, बल्कि समावेशीता और पहुंच के प्रति प्रतिबद्धता को भी प्रस्तुत करती है।
डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव, संभागीय पुस्ताकालयाध्यक्ष, ने इस परिवर्तनात्मक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित किया, जिसमें मुख्य रूप से असाक्षर घुमंतू जनसंख्या को शिक्षा की अनवरत धारा से जोड़ने का प्रयास किया गया। उनके द्वारा अवगत कराया गया कि उनका रुझान छवि और फोटो एवं औडीयो बुक्स जैसे दृश्यात्मक माध्यमों के प्रति पाया गया हुए, पुस्तकालय ने निर्णय लिया कि उनको उनकी पसंदों के अनुरूप अध्ययन सामग्री उपलब्ध करा कर शिक्षा के मुख्य धारा से जोड़ा गया |
इस क्रम में पप्पू लुहार को पहले पंजीकृत सार्वजनिक पुस्तकालय के सदस्य के रूप में निःशुल्क सदस्यता प्रदान की गयी पप्पू लुहार को पंजीकृत मुफ्त सदस्यता प्रदान की गई, जो इस प्रेरणादायक पहल की शुरुआत का प्रतीक है।
नवीनतम पुस्तकालय सेवाओं पर अपने विचार व्यक्त करते हुए, पप्पू लुहार ने यह व्यक्त किया कि हालात शायद वो पुस्तकों के साथ पारंपरिक रूप से जुड़ नहीं सकते, लेकिन सामग्री को सुनने और देखने की क्षमता मानव समाज को आगे बढ़ाने के लिए अत्यधिक मूल्य रखती है। कोटा पुस्तकालय और गुमंतू समुदाय के बीच इस नवाचारी संबंध का निर्माण, जो ज्ञान और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए एक प्रगतिशील कदम को दर्शाता है।
कोटा सरकारी पब्लिक लाइब्रेरी का संकल्प, सार्वजनिक लाइब्रेरी सेवाओं को टूटने वाली सीमाओं को तोड़ने और पारंपरिक रूप से अनुप्रयोग्य समुदायों के लिए अपनी सेवाओं को बढ़ाने की न केवल एक बड़ी जनसंख्या के जीवन को समृद्ध करता है, बल्कि प्रदेश भर में पुस्तकालयों के लिए एक प्रशंसनीय उदाहरण भी स्थापित करता है।