कभी 5-5 रुपए की दिहाड़ी मजदूरी करने वाली यह महिला आज अमेरिका में अपनी सॉफ्टवेयर कंपनी चलाती है, जो अब अरबों डॉलर की बन चुकी है। तेलंगाना के वारंगल में जन्मीं ज्योति के पिता बेहद गरीब थे और पैसे के अभाव में उन्होंने 5 बच्चों में दूसरे नंबर पर आने वाली ज्योति को 8 साल की उम्र में अनाथालय में छोड़ दिया। यहां ज्योति को भरपेट खाना और सरकारी स्कूल में पढ़ने का अवसर मिला।
16 साल की उम्र में उनकी शादी एक किसान से कर दी गई। 18 साल तक आते-आते ज्योति 2 बच्चियों की मां भी बन गई। परिवार का पेट पालने के लिए उन्होंने 5 रुपये दिहाड़ी पर खेतों में काम करना शुरू कर दिया। साल 1985 से 1990 तक यही सिलसिला चला। फिर एक सरकार योजना के तहत उन्हें पढ़ाने का काम मिला और रात में कपड़ों की सिलाई कर कुछ पैसे कमाने लगी।
ज्योति ने तमाम मुश्किलों और परिवार व समाज के तानों को सहकर भी अपनी पढ़ाई का जज्बा नहीं छोड़ा। उन्होंने साल 1994 में डॉ भीम राव अंबेडकर ओपन यूनिवर्सिटी से बीए की डिग्री ली, फिर काकतिया यूनिवर्सिटी से साल 1997 में पीजी किया। इतनी पढ़ाई के बाद भी ज्योति की कमाई 398 रुपये महीने तक ही पहुंच सकी।
ज्योति की जिंदगी में प्रकाश तब आया जब अमेरिका से आए उनके एक रिश्तेदार ने विदेश जाकर काम करने का हौसला दिया। इसके बाद ज्योति ने कंप्यूटर कोर्स किया और परिवार को छोड़ अमेरिका जा पहुंचीं। अमेरिका पहुंचकर भी ज्योति की मुश्किलें कम नहीं हुई। उन्हें पेट पालने के लिए पेट्रोल पंप से लेकर बेबी सिटिंग तक का काम करना पड़ा। धीरे-धीरे उन्होंने कुछ पैसे जुटाए और खुद का काम करने की सोची।
ज्योति ने 40 हजार डॉलर की पूंजी एकत्र की थी, जिसकी मदद से उन्होंने साल 2001 में अमेरिका के एरिजोना स्थित फीनिक्स में की सॉफ्टवेयर सॉल्यूशंस (Key Software Solutions) नाम से कंपनी बनाई। उनकी मेहनत रंग लाई और पहले साल 1।68 लाख डॉलर का मुनाफा हुआ। 3 साल के भीतर कंपनी का मुनाफा बढ़कर 1 मिलियन यानी 10 लाख डॉलर पहुंच गया। 2021 में कंपनी का राजस्व 2।39 करोड़ डॉलर यानी करीब 200 करोड़ रुपये पहुंच गया। आज ज्योति की कंपनी 1 अरब डॉलर यानी 8,300 करोड़ रुपये के मार्केट कैप को भी पार कर चुकी है। उनकी कंपनी में आज 100 से ज्यादा लोग काम करते हैं। ज्योति के पास आज अमेरिका में 4 मकान और हैदराबाद में एक मेंशन है। मर्सिडीज कार और सैकड़ों कपड़ों का कलेक्शन भी रखती हैं।